महाराष्ट्र में अब विधानसभा का चुनावी दंगल स्पष्ट होते जा रहा है. टिकट के ऐलान के बाद आमने सामने की लड़ाई भी एकदम साफ नजर आ रही है. इस बार अपनों से अपनों की लड़ाई भी देखना रोचक रहने वाला है. इसी कड़ी में एक सीट है बारामती, जो अजित पवार के अधिकार क्षेत्र में है. यहां से वे खुद मैदान में है. उनके सामने शरद पवार ने अपनी पावर बताने के लिए अजित पवार के भतीजे युगेंद्र पवार को टिकट दिया है. वे चाचा अजित पवार के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे. टिकट की घोषणा के बाद अजित लगातार शरद पवार को परिवार को तोड़ने और जान बूझकर युगेंद्र को अपने सामने खड़ा करने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं इतिहास अपने आपको दोहराता प्रतीत हो रहा है.
57 सालों से पवार फैमेली का गढ़ है बारामती
कोई विश्वास करें या न करें लेकिन सच है. 1967 से लेकर 2024 तक बारामती विधानसभा सीट पर केवल और केवल पवार फैमेली का ही कब्जा रहा है. 1967 से लेकर 1990 तक यहां केवल और केवल शरद पवार ने जीत दर्ज की. उसके बाद 1991 और 1995 में अजित पवार ने पहले कांग्रेस और उसके बाद से एनसीपी के टिकट पर यहां विजयी पताका फहरायी है. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो बीते 34 सालों से यहां केवल और केवल अजित पवार ही जीतते आ रहे हैं.
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बारामती लोकसभा सीट पर भी पवार फैमेली का कब्जा रहा है. यहां से शरद पवार की सुपुत्री सुप्रिया सूले लगातार सांसद रही हैं. यहां शरद पवार की मजबूत पकड़ है. एनसीपी के विघटन के बाद इसी साल हुए आम चुनाव में सुप्रिया सूले ने अजित पवार की पत्नी को हराया था.
इस बार मुकाबला शरद बनाम अजित पवार
बारामती पर इस बार अजित पवार के सामने उनके भतीजे युगेंद्र पवार चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि यहां सीधा मुकाबला अजित बनाम युगेंद्र के बीच है लेकिन लड़ाई अजित पवार और शरद पवार के वर्चस्व की है. सभी की नजरें शरद पवार पर टिकी हैं. जानकारों का कहना है कि शरद पवार अजित के भतीजे और अपने पोते युगेंद्र के जरिए अजित पवार की घेराबंदी कर सकते हैं. हालांकि ये अजित पवार के लिए आर या पार की लड़ाई होगी लेकिन जो भी हो, मुकाबला टक्कर का रहने वाला है.