राजस्थान में लगातार बढ़ते जा रहे छात्राओं से यौन उत्पीड़न के मामलों को रोकने के लिए गहलोत सरकार एक नए फरमान को अमल में लाने जा रही है. ये नया आदेश है – ”लड़कियों के सरकारी स्कूलों में 50 साल से कम आयु के पुरुष शिक्षकों पर रोक”. उनकी जगह महिला शिक्षकों की तैनाती की जाएगी. कहने का मतलब है कि सरकारी महिला विद्यालयों में 50 वर्ष से कम आयु के शिक्षक नहीं पढ़ा सकेंगे. राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा (Govind Dotasara) ने इस संबंध में अधिकारिक बयान भी जारी कर दिया है. इसके लिए प्रदेश में महिला शिक्षकों की पूरी लिस्ट मंगवाई गई है ताकि योजना पर अमल किया जा सके. पुरुष शिक्षकों को लड़कों के सरकारी विद्यालयों में भेजा जाएगा. मतलब तबादलों की भारी भरकम प्रकिया एक बार फिर शुरू होगी.
इस बारे में शिक्षा मंत्री डोटासरा (Govind Dotasara) ने बयान जारी करते हुए कहा, ‘हम शिक्षकों और शिक्षक संघ से बात कर रहे हैं. जल्द ही इस संबंध में रोड मैप बनाकर सरकारी विद्यालयों में अधिक से अधिक महिला शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी जिससे छात्राएं अपनी सारी समस्याएं शिक्षकों के साथ शेयर कर सके. स्कूलों में महिला शिक्षकों के होने से लड़कियां अपनी मां और बहन की तरह शिक्षकों से भी सारी बात साझा कर सकेंगी.’
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स्कूली छात्राओं से यौन उत्पीड़न के मामलों पर रोकथाम के लिए सरकार का ये फैसला सही हो सकता है लेकिन शिक्षा मंत्री ने ये नहीं बताया कि अगर 50 साल से उपर के शिक्षकों पर अगर ऐसा आरोप लगता है तो वे क्या फैसला लेंगे. सच तो ये है कि जिस तरह दिन ब दिन प्रदेश में यौन उत्पीड़न और नाबालिकों से दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ती जा रही है, पुलिस प्रशासन तक उन पर लगाम नहीं लगा पा रहा. ऐसे में अगर डोटासरा की ये सुपर स्कीम अगर कारगर साबित होती है तो क्या कहने. हालांकि राज्य शिक्षामंत्री ने ये जरूर कहा है कि यह फैसला तभी लागू होगा जब हमारे पास पर्याप्त संख्या में महिला शिक्षक उपलब्ध होंगी.
फिलहाल राजस्थान में 68,910 स्कूल ऐसे हैं, जहां लड़के और लड़कियां दोनों पढ़ते हैं. प्रदेशभर में केवल 1,019 स्कूल महिला विद्यालय हैं. प्रदेश में कुल 3.80 लाख सरकारी शिक्षक हैं जिनमें से करीब सवा लाख महिला शिक्षक हैं.
अपने बयान पर सफाई देते हुए मंत्री गोविंद डोटासरा (Govind Dotasara) ने कहा, ‘सरकार के इस फैसले का कतई ये मतलब नहीं है कि 50 साल से कम उम्र के शिक्षक ठीक से काम नहीं कर रहे या वो लड़कियों को पढ़ा नहीं सकते. सरकार की एक ही प्राथमिकता है कि छात्राओं को विद्यालय में कोई दिक्कत न हो.’ खैर जो भी हो, सरकार के इस कदम को सोशल मीडिया पर जरूर बचकाना बताया जा रहा है.
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अपने इस फैसले के साथ ही सरकार कक्षा 9 से 12 तक की छात्राओं को भी मिड डे मील योजना के दायरे में लाना चाहती है. प्रदेश सरकार ने इसके लिए केंद्र से सहयोग मांगा है. मंत्री ने कहा कि लड़कियों के लिए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के साथ साथ पोषण भी जरूरी है. इसके लिए राज्य सरकार बजट का प्रावधान भी करने पर विचार कर रही है.