पॉलिटॉक्स न्यूज/महाराष्ट्र. मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर मंगलवार शाम प्रवासी मजदूरों की भारी भीड़ जमा हो गई. ये संख्या करीब 15 हजार बताई जा रही है. ये सभी लोग घर वापसी की जिद कर रहे थे. पुलिस ने भीड़ को तीतर बितर करने के लिए मजदूरों पर लाठियां भांजी और उन्हें वहां से भगा दिया. इधर, घटनाक्रम पर सियासत छिड़ गई है. एक ओर तो सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने मजदूरों को घर न भेजने की बात पर केंद्र पर निशाना साधा. वहीं दूसरी ओर, बीजेपी सांसद पूनम महाजन ने कहा कि सरकार अपना काम ठीक से नहीं कर रही है. साथ ही इस पूरे वृतांत को एक षडयंत्र बताया. इसके अलावा सवाल ये भी है कि प्रदेशभर में लॉकडाउन के चलते इतनी भीड़ एक साथ सड़कों पर कैसे आ गई? फिलहाल इस बारे में सीएम उद्धव ठाकरे की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. वहीं मामले पर केंद्रीय गृहमंत्री ने मुख्यमंत्री ठाकरे से फोन पर वार्ता कर संज्ञान लिया.
हुआ कुछ यूं कि शाम 5 से 6 बजे के बीच में अचानक बांद्रा रेलवे स्टेशन पर लोगों की भीड़ उमड़ने लगी और कुछ ही मिनटों में हजारों की संख्या में ये लोग आकर खड़े हो गए. ये सभी अपने आपको प्रवासी श्रमिक बता रहे थे जो अपने हाथों में काफी सारा सामान लिए हुए थे. इनमें से अधिकतर जुग्गी झोपड़ियों में रहते हैं. इनमें से कुछ का कहना है कि इन्हें ट्रेन चलने और सरकार द्वारा अपने अपने घर लौटाने की जानकारी मिली है. पुलिस ने इन्हें समझाने का प्रयास किया क्योंकि आज पीएम मोदी के संबोधन के बाद फिर से 19 दिन का लॉकडाउन लगाया जा चुका है. ऐसे में 3 मई तक ट्रेन और विमान सेवा पूरी तरह लॉक कर दी गई है.
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इसके बाद भी भीड़ नहीं मानी और धक्का मुक्की शुरु गई. माहौल को नियंत्रण में करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तीतर बितर कर दिया. लेकिन लॉकडाउन होने के बावजूद इतने लोगों का एक साथ सड़कों पर आना जाना पुलिस और प्रशासन दोनों की समझ से बाहर है. इस मामले में बांद्रा में स्थित मस्जिद की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है.
इस मामले पर बीजेपी की स्थानीय सांसद पूनम महाजन ने सरकार पर लापरवाही बरतने और ठीक से काम न करने का आरोप लगाया. सांसद ने कहा कि सरकार अपना काम ठीक से नहीं कर रही है. मजदूरों की अपेक्षाएं पूरी नहीं हो रही और न ही मजदूरों को रहना या खाना मिल रहा है इसलिए वे घर जाने की जिद कर रहे हैं. बीजेपी सांसद ने इसे षडयंत्र बताते हुए कहा है कि लोगों को मोबाइल पर ट्रेन चलने की सूचना मिली थी इसलिए वे यहां आकर जमा हो गए. ऐसे में सरकार को इनके रहने और खाने पीने की व्यवस्था करनी चाहिए.
इधर, सीएम उद्धव ठाकरे के पुत्र और सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने इस पूरे घटनाक्रम का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ दिया. आदित्य ने कहा कि मजदूर भोजन या आश्रय नहीं चाहते, वे घर जाना चाहते हैं लेकिन केंद्र सरकार को अनुग्रह करने के बावजूद इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया. शिवसेना मंत्री ने बताया कि वर्तमान में महाराष्ट्र में विभिन्न आश्रय शिविरों में 6 लाख से अधिक लोगों को रखा गया है.
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अपने ट्वीटर हैंडल पर आदित्य ने लिखा, ‘गुजरात के सूरत में कानून और व्यवस्था की स्थिति काफी हद तक यहां के जैसी दिख रही है और दोनों ओर सभी प्रवासी श्रमिक शिविरों से प्रतिक्रिया समान है. कई खाने या रहने से इंकार कर रहे हैं. वर्तमान में प्रदेश में विभिन्न आश्रय शिविरों में 6 लाख से अधिक लोगों को रखा गया है.
The law and order situation in Surat, Gujarat, largely has been seen as a similar situation and the feedback from all migrant labour camps is similar. Many are refusing to eat or stay in.
Currently more than 6 lakh people are housed in various shelter camps across Maha.— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) April 14, 2020
जूनियर ठाकरे ने कहा कि बांद्रा स्टेशन की मौजूदा स्थिति जो अब छितरी हुई है या यहां तक कि सूरत में दंगा भी हो रहा है, केंद्र सरकार द्वारा प्रवासी श्रमिकों के लिए घर वापस जाने के रास्ते की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं होने का एक परिणाम है. वे भोजन या आश्रय नहीं चाहते, वे तो घर वापस जाना चाहते हैं’.
बता दें, सूरत में भी सैंकड़ों मजदूर सड़कों पर उतर आए हैं. उन्होंने खाना न मिलने की शिकायत की है. ध्यान देने वाली बात ये भी है मुंबई और सूरत दोनों ही शहरों में लॉकडाउन और सोशल डिस्टेन्सिंग दोनों की ही धज्जियां उड़ गई है. वहीं बांद्रा पर भीड़ इक्ट्ठी होने के मामले पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सीएम उद्धव ठाकरे से फोन पर वार्ता की है.