Politalks.News/UttarPradeshChunav. सात चरणों में होने वाले उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections 2022) में हर राजनीतिक दल का प्रचार अपने चरम पर है. सियासी जानकार यूपी में भाजपा और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के बीच सीधा मुकाबला मान रहे हैं. वहीं भाजपा के प्रचार अभियान से इस बात का साफ अंदाजा लगाया जा सकता है. एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार का मोर्चा संभालते हुए समाजवादी पार्टी को न केवल चौतरफा घेरा बल्कि उसके नेतृत्व पर भी सवाल खड़े किए. पीएम मोदी ने अपनी पहली वर्चुअल रैली के जरिए सपा के पिछले कार्यकाल में माफिया और गुंडाराज के गम्भीर आरोप लगाए.
तो वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भगवान (CM Yogi Adityanath) राम की जाति, सपा की लाल टोपी, मुजफ्फरनगर के दंगों, जिन्ना, याकूब मेमन और कसाब को लेकर लगातार बयान दे रहे हैं. चुनावों की घोषणा से पहले भी यही कयास लगाए जा रहे थे यूपी में भाजपा विकास के दावों के बजाए हिंदुत्व के एजेंडे पर ही लड़ेगी, अब बीजेपी दिग्गजों की बयानबाजी के बाद सियासी जानकारों का कहना है कि भाजपा का चुनाव प्रचार भगवान और मुसलमान के आसपास ही आकर टिकता दिख रहा है.
उत्तरप्रदेश में भाजपा एक तरफ यह दावा कर रही है कि उसकी डबल इंजन (मोदी-योगी) की सरकार ने इतना काम कर दिया है कि राज्य के लोग खुद-ब-खुद बीजेपी को वोट करेंगे. लेकिन दूसरी ओर भाजपा इन उपलब्धियों की बजाय सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराने वाले मुद्दों पर ही वोट मांग रही है. पार्टी के स्टार प्रचारक और उत्तर प्रदेश से भाजपा के सबसे बड़े नेता राजनाथ सिंह ने कहा कि, ‘उनको समझ नहीं आ रहा है कि क्यों जिन्ना का मुद्दा उठाया जा रहा है, जिन्ना की बजाय गन्ना की बात होनी चाहिए‘. जिस दिन राजनाथ सिंह ने यह बात कही उसके अगले ही दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विट करके समाजवादी पार्टी पर हमला किया और कहा कि, ‘वे जिन्ना के अनुयायी हैं और हम सरदार पटेल के उपासक हैं‘. योगी ने यह भी बता दिया कि, ‘वे और भगवान राम एक ही जाति के हैं‘
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आपको बता दें, हाल ही में बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा के छाता में एक जनसभा को संबोधित किया. इस दौरान योगी ने सपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘इनकी टोपियां लाल दिखाई पड़ती हैं, क्योंकि ये मुजफ्फरनगर दंगों में खून से सनी हुई हैं. इनकी टोपियां राम भक्तों के खून रंग से सनी हुई हैं. समाजवादी पार्टी की सरकार में दंगा हुआ करते थे. सपा की सरकार में सबसे पहला दंगा कोसी में हुआ था. दंगों में निर्दोष हिंदू मारे गए और व्यापारियों के प्रतिष्ठान जलाए गए‘. योगी ने कहा कि, ‘जब उन्हें न्याय के लिए गुहार लगाई तो झूठे मुकदमों में जेल में बंद कर दिए गए. यह सपा की यही कोशिश रही कि राम भक्तों की निर्मम हत्या, लोगों पर गोलियां चलवाना कभी मुजफ्फरनगर में दंगा तो कभी कहीं और दंगा‘.
ऐसे में सियासी गलियारों में इस बात की बड़ी दिलचस्प चर्चा है कि, जब डबल इंजन (मोदी-योगी) की सरकार की उपलब्धियां इतनी हैं तो जिन्ना का जिक्र करने की क्या जरूरत है? अकेले जिन्ना नहीं हैं, जिनके नाम पर भाजपा ध्रुवीकरण कराना चाह रही है. हाल ही में आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी पर डोरे डालने में नाकाम रहे बीजेपी के चाणक्य और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रचार के दौरान कहा कि, ‘चुनाव में सपा जीती तो जयंत चौधरी की छुट्टी हो जाएगी और आजम खान आ जाएंगे.’ जेल में बंद आजम खान और हाल ही में जेल से छूटे उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान भी चुनाव में बड़ा मुद्दा है.
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वहीं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने तो यह भी आरोप लगाया कि, ‘सपा अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम इसलिए नहीं घोषित कर रहे हैं क्योंकि अगर मुंबई बम धमाकों के आरोपी याकूब मेमन को फांसी नहीं हुई होती तो अखिलेश याकूब को भी उम्मीदवार बना देते और कसाब को स्टार प्रचार के रूप में उतार देते‘. भाजपा प्रवक्ता ने सपा को मुसलमानपरस्त पार्टी बताने के लिए पाकिस्तान भाग गए याकूब मेमन और मुंबई हमले में फांसी पर लटका दिए गए कसाब को भी प्रचार में घसीटा और कहा कि सपा का वश चले तो वह याकूब मेमन और कसाब को भी टिकट दे दे. ऐसे में चुनाव पहले लगे कयासों पर मुहर लगती नजर आ रही है कि भाजपा अपने विकास के दावों को छोड़ पूरा प्रचार भगवान और मुसलमान, दंगों के इतिहास के भरोसे चला रही है.’