पॉलिटॉक्स ब्यूरो. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच तीखी जुबानी जंग अब आक्रामक होती जा रही है. कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने गुरुवार को अपने ट्वीटर पर डिटेंशन सेंटर (Detention Center) का एक वीडियो जारी करते हुए लिखा कि, “RSS का प्रधानमंत्री भारत माता से झूंठ बोलता है”. इस पर बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने 2011 की असम सरकार की एक प्रेस रिलीज ट्वीट कर कांग्रेस पर पलटवार किया है. प्रेस रिलीज में 362 अवैध घुसपैठियों को तीन डिटेंशन कैंप में भेजने की बात कही जा रही है. बता दें, 2011 में देश और प्रदेश दोनों में कांग्रेस सरकार काबिज थी. तरुण गोगोई राज्य के मुख्यमंत्री और डॉ.मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे.
दरअसल, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने ट्वीटर हैंडल से BBC न्यूज़ का एक वीडियो जारी किया जिसमें असम में 46 करोड़ की लागत से केंद्र सरकार द्वारा एक डिटेंशन सेंटर (Detention Center) बनाए जाने का खुलासा किया गया है. वीडियो की शुरुआत में पीएम मोदी को बोलते हुए दिखाया है कि डिटेंशन सेंटर बनाने को लेकर कांग्रेस जो आरोप लगा रही वो सरासर झूंठ है…झूंठ है…झूंठ है.
RSS का प्रधानमंत्री भारत माता से झूठ बोलता हैं ।#JhootJhootJhoot pic.twitter.com/XLne46INzH
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 26, 2019
राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाने के बाद बीजेपी ने राहुल गांधी को चारों ओर से घेरना शुरु कर दिया. इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारे प्रधानमंत्री एक हैं और वे भारत माता के प्रति समर्पित हैं. झूठ राहुल गांधी बोल रहे हैं. 2011 में किसने डिटेंशन कैंप बनाया था. केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस को चुनौती देते हुए कहा कि अगर हिम्मत है तो कांग्रेस कह दे कि हमने डिटेंशन सेंटर (Detention Center) नहीं बनवाए हैं. अगर गलत हुआ तो मैं पद से इस्तीफा दे दूंगा और नहीं तो वो हट जाएं.
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वहीं बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके राहुल गांधी को झूठों का सरदार बताते हुए कहा कि राफेल डील पर उनका झूंठ पूरी दुनिया ने देखा है. संबित पात्रा ने कहा, ‘आज राहुल गांधीजी ने कुछ ट्वीट किया है और जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया है वो बहुत आपत्तिजनक है. मुझे लगता है राहुल गांधी से भद्रता और अच्छी भाषा की अपेक्षा करना ही गलत है. आज वो प्रधानमंत्री जी की बात को लेकर भ्रम फैला रहे हैं.’
इससे पहले अमित मालवीय ने ट्वीट कर लिखा, ‘राहुल गांधी समय-समय पर विदेश जाते रहते हैं. एक बार उन्हें वीज़ा लिमिट से ज्यादा वहां पर रुकना चाहिए और देखना चाहिए कि किस तरह उनकी पहचान की जाती है और फिर वापस भेजने से पहले कैसे उन्हें डिटेंशन सेंटर (Detention Center) में डाला जाता है. तब वह सीख पाएंगे कि कैसे दूसरे देश अवैध घुसपैठियों के साथ डील करते हैं’. दरअसल, डिटेंशन सेंटर वो जगह होती है जहां उन लोगों को रखा जाता है जो अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाते हैं.
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Since Rahul Gandhi travels abroad quite often. Let him on one of those travels overstay beyond the valid visa permit and experience for himself how he is identified and put in a ‘detention center’ before being deported.
He will then learn how countries handle illegal migrants…
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 26, 2019
अब अमित मालवीय ने अपने ट्वीटर हैंडल पर एक प्रेस रिलीज़ शेयर करते हुए ट्वीट कर लिखा, ‘2011 में असम की कांग्रेस सरकार ने एक प्रेस रिलीज़ जारी की थी, जिसमें 362 अवैध घुसपैठियों को डिटेंशन कैंप (Detention Center) में भेजने की बात कही गई थी. सिर्फ इसलिए कि भारत ने आपको नकार दिया है, अब क्या आप नफरत से इसे नष्ट करने में जुट जाएंगे?’
Rahul Gandhi
Seen this press release from 2011 issued by the Congress govt claiming to have sent 362 illegal migrants to ‘detention camps’ in Assam.Just because India has rejected you repeatedly, are you hell bent on destroying it with your politics of hate and fear mongering? pic.twitter.com/wc9HPWjBlS
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 26, 2019
उधर, अमित मालवीय ने राहुल गांधी के साथ ही पूर्व गृहमंत्री मंत्री पी. चिदंबरम को भी जवाब देते हुए लिखा, ‘चिदंबरमजी, आपकी याददाश्त कमजोर हो रही है लेकिन मैं आपकी यहां मदद करता हूं. आपने 2012 में कहा था कि NPR की प्रक्रिया सिर्फ नागरिकों को रेजिडेंट कार्ड देने के लिए है जो सीधा नागरिकता कार्ड की ओर बढ़ता है. हमारी सरकार ने NPR को नागरिकता से अलग किया है’. हालांकि पी.चिदंबरम ने इस वीडियो को गलत बताया.
Mr Chidambaram, Your memory seems to be failing you. Let me help you a bit here…
The year was 2012: ‘NPR process is for the purpose of issuing a residents card, which will eventually lead to a citizenship card’.
It is infact the NDA that has delinked the NPR from citizenship. https://t.co/wiqBxHzQ2V pic.twitter.com/inQkKEmXaA
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 26, 2019