Wednesday, January 22, 2025
spot_img
Homeलोकसभा चुनावअबकी बार लोकसभा में आधी आबादी की धाक, 78 ने लहराया जीत...

अबकी बार लोकसभा में आधी आबादी की धाक, 78 ने लहराया जीत का परचम

Google search engineGoogle search engine

लोकसभा चुनाव के आए नतीजों के बाद हर किसी का ध्यान बीजेपी की प्रचंड जीत पर है, लेकिन इन सबके बीच एक जीत ऐसी है जो भारत की सियासत के भविष्य में मील का पत्थर साबित हो सकती है. जी हां, हम बात कर रहे हैं आधी आबादी की. 17वीं लोकसभा में 78 सीटों पर महिलाओं का काबिज होना सियासत में महिलाओं की स्थिती को मजबूत करता है.

महिला सांसदों की अब तक की सबसे ज्यादा भागीदारी के साथ, नई लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या, कुल सदस्य संख्या का 17 प्रतिशत हो जाएगी, जो एक तिहाई से कम जरूर है, लेकिन उस ओर बढ़ते मजबूत कदम है. आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो लोकसभा चुनाव में कुल 8049 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें 724 महिला प्रत्याशी थीं. बता दें कि 16वीं लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 64 थी.

पार्टीवार देखा जाए तो इस बार कांग्रेस ने सर्वाधिक 54 और बीजेपी ने 53 महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा था. अन्य राष्ट्रीय पार्टियों में से बीएसपी ने 24, तृणमूल कांग्रेस ने 23, सीपीएम ने 10, सीपीआई ने चार और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने एक महिला उम्मीदवार को मौका दिया था. वहीं निर्दलीय महिला उम्मीदवारों की संख्या 222 रही.

इस बार लोकतंत्र के पर्व में मताधिकार में जिस तरह से महिलाओं की बढ़-चढ़ कर साझेदारी रही, उसी तरह नतीजे भी ऐतिहासिक नजर आए. तकरीबन हर राज्य में जनता ने महिलाओं पर भरोसा जताया.आपको बताते है उन महिलाओं के नाम जिन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की है.

सबसे पहले बात करते है उत्तर प्रदेश की, जिस राज्य से सियासत की हवा चलती है वहां सबसे ज्यादा 10 सीटों पर महिलाओं का वर्चस्व देखने को मिला और इन सीटों पर वो बड़े चेहरे भी शामिल है जो भारतीय राजनीति में अपनी धाक रखते हैं. यहां अमेठी से स्मृति ईरानी ने एक बड़ी जीत दर्ज की है और ये जीत इस मायने में भी बड़ी हो जाती है कि यहां स्मृति ने कॉर्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को शिकस्त दी है जो कि उनका पैतृक गढ़ कहा जाता था. इसके अलावा यूपी में सोनिया गांधी, रीता बहुगुणा जोशी, संघमित्रा मौर्य, राखी वर्मा, संगीता आज़ाद, हेमा मालिनी, केशरी देवी पटेल, मेनका गांधी, साध्वी निरंजन ज्योति ने जीत दर्ज की है.

सीटों के संख्या के लिहाज महाराष्ट्र यूपी से काफी छोटा है लेकिन यहां भी इस बार 8 महिलाएं सांसद बनकर दिल्ली पहुंची हैं. जिनमें सुप्रिया सुले, डॉ. भारती प्रवीण पवार, पूनम महाजन, डॉ. हीना विजय कुमार गवित, रक्षा खड़से शामिल है. वहीं ओडिशा में प्रमिला बिसोयी, मंजुलता मंडल, राजश्री मलिक, सर्मिष्ठा सेठी, चांदरानी मुरमु, अपराजिता, संगीता नारायण सिंहदेव ने इतिहास रच लोकसभा चुनाव जीता है. साथ ही पश्चिम बंगाल में काकोली घोष दस्तिदार, अपरूपा पोद्दार, नुसरत जहां रूही, सताब्दी रॉय, मिनी चक्रबॉर्ती, प्रतिमा मंडल, माला रॉय, महुआ मोइत्रा, सजदा अहमद, गोड्डेति माधवी ने जीत दर्ज की है.

इसके अलावा आंध्र प्रदेश में चिंता अनुराधा, बी वी सत्यवथी, वन्गा गीथा विस्वनाथ ने जीत अपने नाम की है. वहीं असम में बोबीता शर्मा, अलथुर से रम्या हरिदास ने लोकसभा सीट जीती है. महबूबाबाद से टीआरएस की कविथा मलोथु की जीत हुई है. उत्तराखंड की अकेली महिला लोकसभा उम्मीदवार टीरी गढ़वाल से माला राज्यलक्ष्मी शाह विजयी रही हैं. हरियाणा में भी 10 सीटों में सिरसा सीट से बीजेपी की सुनीता दुग्गल ने जीत दर्ज की है. मेघालय से अगाथा संगमा और त्रिपुरा वेस्ट से बीजेपी की प्रतिमा भौमिक ने लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाबी हासिल की है.

वहीं कर्नाटक में शोभा करंडलाजे, अंबरीश सुमनलता, झारखंड से अन्नपूर्णा देवी, गीता कोरा, पंजाब लोकसभा से सीट से हरसिमरत कौर, प्रिनीत कौर जीतीं हैं. इसके अलावा तमिलनाडू से जोथिमनि एस, सुमथि, कनिमोजी ने जीत दर्ज की. छत्तीसगढ़ लोकसभा सीट पर ज्योत्सना चरनदास महंत, गोमती साई, रेणुका सिंह को दबदबा रहा. बिहार में मीसा भारती, रामा देवी, कविता सिंह, वीणा देवी विजयी रही हैं. वहीं मध्य प्रदेश में साध्वी प्रज्ञा सिंह, हिमाद्री सिंह, रीति पाठक ने जीत दर्ज की.

पश्चिमी भारत में गुजरात से भारती शियाल, पूनमबेन मादम, शारदाबेन पटेल, दर्शना जरदोश, रंजनाबेन भट्ट ने जीत हासिल कर इतिहास रचा है. साथ ही राजस्थान से रंजीता कोली, जसकौर मीना और दिया कुमारी ने विजय हासिल कर संसद में महिलाओं को भागीदारी को बढ़ाया है. ये नतीजे उस सियासत की अगली कड़ी है जिसमें अब तक महिलाओं ने अलग-अलग समय पर ना केवल खुद को साबित किया है बल्कि भारतीय सियासत में खुद को स्थापित भी किया है. पहली लोकसभा से लेकर सत्रहवी लोकसभा तक के वो चेहरे हैं, जिन्होंने पुरूष प्रधान राजनीति की दिशा ही बदल दी.

इतिहास के पन्नों को पलटें तो महिलाओं ने आजादी की लड़ाई में और उसके बाद की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाई है. जब भी अवसर मिला, खुद को बेहतर साबित किया है. साल 1952 के पहले चुनाव के बाद जब जवाहरलाल नेहरू की अगुवाई में पहली कैबिनेट का गठन किया गया तो उसमें राजकुमारी अमृत कौर को रखा गया. वे स्वास्थ्य मंत्री बनी. अमृता कौर देश की पहली कैबिनेट मंत्री के तौर पर सशक्त चेहरा बनकर उभरी. उनके अलावा कई महिला सांसद जिन्होंने भी संसद में भागीदारी निभाई.

सुचेता कृपालानी
साल 1963 में सुचेता कृपालानी देश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी. वो भी ऐसे राज्य की बागडोर उन्होंने सभाली जो सियासत का गढ़ माना जाता रहा है. उन्होंने यूपी की बागडोर संभाली थी. 1952 के लोकसभा चुनाव में सुचेता कृपलानी नई दिल्ली से जीत कर आईं और 1952, 1957 में नई दिल्ली से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई.

मीरा कुमार
मीरा कुमार का नाम वरिष्ठ नेताओं में शुमार है. बहुत ही शांत और सहज स्वभाव के लिए जानी जाने वाली मीरा कुमार राजनीति में मजबूत पिलर की तरह जानी जाती हैं. बिजनौर चुनाव क्षेत्र से पहली बार लोक सभा की सदस्य बनीं. वे ग्यारहवीं लोक सभा की सदस्य बनीं. दिल्ली के करोल बाग़ चुनाव क्षेत्र से भी मीरा कुमार लोक सभा की सदस्य बनीं थी. पांच बार सांसद रह चुकी मीरा कुमार साल 2009 में देश की पहली महिला लोकसभा स्पीकर बनी थीं.

सुमित्रा महाजन
सुमित्रा महाजन भारत की 16वीं लोकसभा की अध्यक्ष रहीं हैं. वे इस पद पर आसीन होने वाली भारत की दूसरी महिला हैं. सुमित्रा महाजन आठ बार से लोकसभा सांसद हैं और वे सदन के सभापति के पैनल में लंबे समय तक काम कर चुकी हैं.

सुषमा स्वराज
सुषमा स्वराज नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में भारत की विदेश मंत्री रही हैं और केन्द्रीय कैबिनेट का हिस्सा रह चुकी है. साथ ही सुषमा दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रही हैं. भारत की पहली विदेश मंत्री होने के रूप में इन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है, कैबिनेट में उन्हे शामिल करके उनके कद और काबिलियत को स्वीकारा गया. साथ ही देश में किसी भी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्हीं के नाम दर्ज है.

सुषमा स्वराज की शख्सियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पारम्परिक राजनीति के साथ-साथ आज वो आधुनिक राजनीति में भी मिसाल हैं. सुषमा नई तकनीक के जरिए युवा, बुजुर्ग और महिलाओं से सीधे जुड़ी रहती हैं. आज वो हर वर्ग में इतनी लोकप्रिय हैं कि जनता अपनी परेशानी उनको सोशल मीडिया के जरिए पहुंचाती हैं और वो सीधे उनका समाधान करती हैं. तो वक्त के साथ बदली राजनीति और उनके तौर तरीको पर भी वो खरा उतर रही हैं जो महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है.

इसके साथ ही ममता बनर्जी, शीला दीक्षित, वसुंधरा राजे, स्मृति ईरानी जैसी शख्सियतें वर्षों के इस फासले को पाटने में लगी हुई है. ये वो महिला राजनेता हैं जिन्होंने ना केवल राजनीति में अपना सिक्का जमाया है बल्कि महिलाओं में इतना आत्मविश्वास भरा है कि आज गांव से लेकर कस्बों तक की राजनीति में महिलाएं हर मुकाम हासिल कर रही हैं.

समय-समय पर देश की राजनीति की बागडोर संभालते हुए ये तो साबित हो चुका है कि महिलाएं बहुत ही कुशल और निपुण तरीके से इस जिम्मेदारी को संभालती आ रही हैं. साथ ही जनता भी उनकी इस काबिलियत पर मुहर लगाती रही है. लेकिन बावजूद इसके आज तक महिलाओं को 33 फीसदी सीटों पर आरक्षण नहीं मिल पाया है. हर बार ऐसी उम्मीद की जाती है कि शायद इस बार महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा से पारित हो जाये, लेकिन स्थिति वही ढाक के तीन पात.

बता दें कि महिला आरक्षण के लिए संविधान संशोधन 108वां विधेयक, राज्यसभा में 2010 में पारित हो चुका है और अब लोकसभा में इसे पारित करवाने की बारी है. अगर लोकसभा इसे पारित कर दे, तो राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा. अब देखना ये होगा कि इस नई लोकसभा में महिलाओं के बढ़े इस संख्या बल के बाद भी क्या 33 फीसदी महिलाओं के वहां पहुचंने का ये रास्ता साफ हो पाएगा.

(लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फ़ेसबुक, ट्वीटर और यूट्यूब पर पॉलिटॉक्स से जुड़ें)

Google search engineGoogle search engine
RELATED ARTICLES

Leave a Reply

विज्ञापन

spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img