इतनी फजीती के बाद भी आखिर सचिन पायलट क्यों नहीं छोड़ रहे हैं कांग्रेस पार्टी? ये हो सकते हैं कारण

सबकी निगाहें सचिन पायलट के अगले कदम पर, मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा पायलट पर इतने गंभीर आरोपों के बाद अब क्या होगी सचिन पायलट की अगली रणनीति, जबकि बीजेपी में जाने की संभावना से इनकार कर चुके हैं पायलट

Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान में चल रहा सियासी घमासान अब एक निर्णायक मोड़ पर आ गया है. प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की निगाह सचिन पायलट के अगले कदम पर है. वहीं हर इक्के मन में यह सवाल भी बार बार आ रहा है कि आखिर इतनी फजीती के बाद भी आखिर सचिन पायलट कांग्रेस पार्टी को छोड़ क्यों नहीं रहे हैं. जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीधे सचिन पायलट पर विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सरकार गिराने का आरोप तक लगा दिया. यहीं नहीं मुख्यमंत्री गहलोत ने उनके पीसीसी चीफ के कार्यकाल के बारे में भी एक राष्ट्रीय चैनल पर यह तक बोल दिया कि, “पीसीसी चीफ कार्यकाल की परतें मैं अभी खोलना नहीं चाहता…”. इतने गम्भीर आरोपों के बाद भी आखिर क्या मजबूरी है कि सचिन पायलट का कांग्रेस से मोह खत्म नहीं हो पा रहा है. इसके पीछे की कुछ सम्भावनाएं इस प्रकार हैं: –

1. सचिन पायलट कांग्रेस पार्टी नहीं छोड़ सकते हैं क्योंकि कांग्रेस छोड़ते हैं तो उनकी सदस्यता चली जाएगी और बहुत सारे विधायक दोबारा चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं.

2. सचिन पायलट तीसरी पार्टी बनाते हैं तो बता दें, राजस्थान में तीसरी पार्टी का कोई इतिहास नहीं रहा है जो भी तीसरा मोर्चा बनाया है वह बुरी तरह से असफल हुआ है. डॉ किरोडी लाल मीणा और घनश्याम तिवाड़ी जैसे दिग्गज इस तरह की कोशिश करके देख चुके हैं. सचिन पायलट ममता बनर्जी और नीतीश कुमार भी नहीं है जो उस तरह की मेहनत कर सकें. गुर्जर वोट बैंक एक इलाके पूर्वी राजस्थान तक ही सीमित है.

यह भी पढ़ें: हमारे डिप्टी सीएम खुद कर रहे थे सरकार गिराने की डील, मेरे पास सबूत-सीएम गहलोत

3. सचिन पायलट के साथ बहुत सारे विधायक बीजेपी में नहीं जाना चाहते हैं क्योंकि स्थानीय समीकरण उनके मुफीद नहीं है. बहुत सारे बुजुर्ग विधायक हैं जैसे दीपेंद्र सिंह शेखावत, भंवर लाल शर्मा, हेमाराम चौधरी यह लोग आखिरी चुनाव लड़े हैं और अपने बेटों को विरासत सौंपना चाहते हैं, मगर बीजेपी में जाने के बाद बेटों को विरासत नहीं मिलेगी.

4. सचिन पायलट के पास गहलोत सरकार गिराने लायक नंबर नहीं है. ऐसे में अगर वह कांग्रेस से अलग होते हैं तो सरकार गिरने का संकट उत्पन्न नहीं होगा.

5. सचिन पायलट के बहुत सारे साथी जैसे दानिश अबरार, प्रशांत बैरवा, चेतन डूडी और रोहित बोहरा जैसे कई साथी हैं जो अशोक गहलोत के साथ हैं, वह कह रहे हैं कि अगर आप कांग्रेस में रहकर संघर्ष करेंगे तो हम आपके साथ रहेंगे.

ताजा हालातों की बात करें तो एक तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर तीखा हमला बोला तो कांग्रेस की ओर से बार-बार सचिन पायलट को समझाया जा रहा है और वापसी के संकेत दिए जा रहे हैं. वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से संदेश दिया गया कि अगर पायलट वापस आना चाहें तो आ सकते हैं, उनके अलावा रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सचिन पायलट अगर खुद को कांग्रेसी कहते हैं तो हरियाणा का होटल छोड़कर पार्टी के पास आ जाएं.

यह भी पढ़ें: राजस्थान में एक बार फिर चल गया अशोक चक्र!, लेकिन आखिर ये सब कब तक, सवाल गंभीर मगर बरकार

अब हर किसी की नजरें सचिन पायलट पर टिकी हैं. क्योंकि सचिन पायलट बगावत करने के बाद से ही शांत हैं. हालांकि पायलट ने दावे से कहा है कि वो बीजेपी ज्वाइन नहीं करेंगे. ऐसे में अब इस बात का इंतजार है कि सचिन पायलट क्या करेंगे. जानकारों की मानें तो सचिन पायलट अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं या फिर कांग्रेस आलाकमान के साथ बात करके एक बार फिर पार्टी का दामन थाम सकते हैं.

Leave a Reply