पायलट सहित 19 विधायकों को नोटिस: सरकार और विधानसभा अध्यक्ष की नीयत में खोट है- सतीश पूनियां

विधानसभा की बैठक में उल्लंघन होता तो विधानसभा अध्यक्ष का अधिकार जरूर होता -गुलाबचंद कटारिया, विधानसभा सचिवालय एक अलग स्वतंत्र इकाई है, लेकिन नोटिस देकर उसका राजनीतिकरण किया गया है, इसकी मैं भर्त्सना करता हूं- राजेन्द्र राठौड़

Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान पर देशभर की निगाहें टिकी हुई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विधायक सचिन पायलट की आपसी लडाई के चलते गहलोत सरकार के गिरने जैसी सम्भावना का मौका भाजपा नेता गंवाना नहीं चाहते. मध्यप्रदेश की तर्ज पर प्रदेश मेंं आए सियासी तुफान में भाजपा की हर संभव कोशिश है कि येन केन प्रकारेण कांग्रेस की सरकार धराशाही हो जाए. ऐसे में भाजपा नेता प्रदेश में चल रहे इस सियासी संकट पर अपनी पैनी निगाहें गड़ाए हुए हैं. वहीं सतीश पूनिया ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि विधायक दल की बैठक में विधायकों की अनुपस्थिति उनकी अयोग्यता का कारण नहीं होती है. इसका मतलब विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) और सरकार की नीयत में तो पहले से खोट था.

प्रदेश में चल रहे सियासी घटनाक्रम पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे धौलपुर से ही पल पल की अपडेट ले रही है तो भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर इस पूरे घटनाक्रम में भाजपा को सियासी लाभ दिलाने के चलते मंगलवार देर रात से जयपुर में डेरा डाले हुए है. बीते दिन प्रदेश भाजपा कार्यालय पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां की अध्यक्षता में सचिन पायलट सहित उनके 19 समर्थित विधायकों को विधानसभा सचिवालय की ओर से जारी किए गए नोटिस पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने बैठक की. बतादें, इस बैठक में पहले पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के भी शामिल होने की बात सामने आ रही थी लेकिन वो नहीं आईं.

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विधानसभा सचिवालय की ओर से विधायकों को जारी किए नोटिस पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने पत्रकारों को बताया कि विधायकों को नोटिस देना हास्यास्पद है. विधानसभा का सदन गरिमाओं, मर्यादओं और नियमों से बंधा है. सदन के अंदर जो भी कार्यवाही होती है उसकी कार्य सूची के लिए व्हीप जारी होता है. किसी रिसोर्ट में हुई विधायक दल की बैठक में विधायक अनुपस्थित हो जाए, वो नोटिस का आधार कैसे बन सकता है, यह संवैधानिक प्रश्न है. पूनिया ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि विधायक दल की बैठक में विधायकों की अनुपस्थिति उनकी अयोग्यता का कारण नहीं होती है. इसका मतलब विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) की नीयत में भी खोट है और सरकार की नीयत में तो पहले से खोट था. पूनियां ने कहा कि लोकतंत्र की बात करने वाली सरकार एसओजी और एसीबी की कार्रवाई का डर दिखा रही है, सचिन पायलट और उनके विधायकों को नोटिस दिए जा रहे हैं.

प्रदेश में चल रहे मौजूदा हालातों को लेकर पूनियां ने कहा कि हम परिस्थितियों से आंख नहीं मूंद सकते. प्रदेश में विशेष परिस्थिति बनी है विपक्ष के नाते हमारी भूमिका क्या हो, इसको लेकर हमने आज बैठक में चर्चा की है. वहीं पूनियां ने दावा किया कि गहलोत सरकार के पास 100 से कम विधायकों का बहुमत है. सीएम गहलोत किस स्थिति में बहुमत साबित करेंगे यह तो समय ही बताएगा. इसके साथ ही पूनियां ने कहा कि हम यह कोशिश करेंगे कि संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं हो, उसके लिए जो भी कानून लड़ाई होगी, वह लड़ी जाएगी. विपक्षी पार्टी होने के नाते हम जनता के हक में हर संभव उपाय करेंगे.

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सचिन पायलट व उनके विधायकों को मिले नोटिस को लेकर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि इस मामले में विधानसभा की कोई भूमिका नहीं है. पार्टी की बैठक में कोई सदस्य नहीं आए तो उस पर विधानसभा अध्यक्ष कार्रवाई तय नहीं करते हैं. विधानसभा फ्लोर में यह नोटिस दिया हो और विधानसभा में पार्टी का व्हीप जारी हो, उसका पालन कोई सदस्य नहीं करे तो विधानसभा अध्यक्ष कार्रवाई कर सकते है. विधानसभा की बैठक में उल्लंघन होता तो विधानसभा अध्यक्ष का अधिकार जरूर होता. लेकिन यह नोटिस अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर दिया गया है.

वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि विधानसभा के अध्यक्ष द्वारा दिया गया नोटिस आर्टिकल 191 ऑफ द कांस्टीट्यूशन की 10वीं अनुसूची में इस बात का उल्लेख किया गया कि कोई भी विधायक किन किन कृत्यों से अनुशासनहीनता की श्रेणी में आकर डिस्क्वालिफाइ किया जा सकता है. विधायकों को दिए गए नोटिस में 10वीं अनुसूची का उल्लेख जरूर किया गया है. 10वीं अनुसूची के पैरा एक ए और एक बी में पढ़ लिया जाता तो शायद नोटिस नहीं दिया जाता. राठौड़ ने कहा कि विधानसभा सचिवालय एक अलग स्वतंत्र इकाई है, लेकिन नोटिस देकर उसका राजनीतिकरण किया गया है, इसकी मैं भर्त्सना करता हूं.

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बता दें, बीते दिन प्रदेश के राजनीतिक हालातों पर प्रदेश भाजपा कार्यालय पर हुई इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचन्द कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र, पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी मौजूद रहे. इस बैठक में सचिन पायलट व उनके समर्थित विधायकों को विधानसभा सचिवालय से मिले नोटिस पर गहन चर्चा की गई.

गौरतलब है कि प्रदेश में चल रहे राजनीतिक घमासान के चलते बीते दिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का भी जयपुर आना प्रस्तावित था. लेकिन सचिन पायलट की ओर से आगामी रणनीति की स्थिति स्पष्ठ नहीं होने के चलते वसुंधरा राजे जयपुर नहीं आई. ऐसे में प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान को लेकर भाजपा नेताओं की निगाहें सचिन पायलट पर टिकी हुई है. सचिन पायलट के अगला एक्शन लेने के बाद ही भाजपा के नेता अपनी आगामी रणनीति तय कर पाएंगें.

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