loksabha election 2024: राजस्थान का शेखावाटी इलाके का झुंझुनूं संसदीय क्षेत्र एक हॉट सीट है. कहने को तो ये कांग्रेस का गढ़ है लेकिन बीजेपी के उम्मीदवार पिछले दो बार से यहां से जीत दर्ज कर रहे हैं. बीजेपी ने लगातार तीसरे चुनाव में तीसरा चेहरा उतारा है. इस बार बीजेपी ने शुभकरण चौधरी पर दांव खेला है. शुभकरण वर्ष 2013 में उदयपुरवाटी से विधायक रह चुके हैं. चौधरी के कंधों पर झुंझुनूं सीट पर लगातार कमल खिलाने की जिम्मेदारी है. वहीं अपने गढ़ को वापिस पाने की आस में कांग्रेस ने बृजेन्द्र ओला को मैदान में उतारा है. शेखावाटी में ओला परिवार मजबूत राजनैतिक जड़ वाला परिवार है. सीसराम ओला इस सीट से लगातार पांच बार सांसद और तीन बार विधायक रह चुके हैं. बृजेन्द्र ओला उनके बेटे हैं.
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पांच बार के सांसद रहे ओला
पिछले 5 चुनावों की बात करें तो सीसराम ओला यहां सबसे अधिक बार के सांसद रहे हैं. सीसराम ओला 1999, 2004 और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद रहे हैं. इससे पहले 1996 व 1998 में भी वे यहां से सांसद रह चुके हैं. दोनों बार उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों को हार का स्वाद चखाया था. 2009 में ओला ने बीजेपी के दशरथ सिंह शेखावत को 65 हजार वोटों से हराया. इसके बाद 2014 में बीजेपी के संतोष अहलावत ने कांग्रेस के राज बाला ओला को सवा दो लाख और 2019 में बीजेपी के नरेंद्र कुमार ने कांग्रेस के श्रवण कुमार को करीब तीन लाख वोटों से हराया. झुंझुनूं लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने अब तक 17 में से 11 बार जीत दर्ज की है.
जातिगत गणित
झुंझुनू लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें से नवलगढ़ और खेतड़ी में बीजेपी विधायक हैं. जबकि पिलानी, सूरजगढ़, झूंझनू, मांडवा, उदयपुरवाटी और फतेहपुर में कांग्रेस पार्टी के विधायकों को कब्जा है. इन 8 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 20,68,540 मतदाता हैं जो झुंझुनू का भावी सांसद तय करेंगे. इनमें से 10,80,299 पुरुष मतदाता हैं जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 988,228 है.
झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र जाट बाहुल्य है. यहां मोटे तौर पर जाट मतदाताओं की संख्या 4 लाख 33 हजार के करीब मानी जाती है. वहीं राजपूत मतदाताओं की संख्या 2 लाख 12 हजार और 1 लाख 15 हजार ब्राह्मण मतदाता बताए जाते हैं. यहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 2 लाख 99 हजार, माली 1 लाख 92 हजार, मुस्लिम 1 लाख 90 हजार, गुर्जर 92 हजार, कुम्हार 72 हजार, यादव 61 हजार, अनुसूचित जनजाति 45 हजार, खाती 38 हजार और वैश्य 35 हजार मानी जाती है.
वैसे यहां जाट वोट बैंक ही किसी भी प्रत्याशी की जीत हार का फैसला करते हैं. हालांकि राजपूत मतदाताओं की भी अहम भूमिका रहती है. इस बार राजपूत मतदाता लामबंध है और यह समुदाय बीजेपी के समर्थन में जाता दिख रहा है. वहीं जाट समुदाय में बंटवारा निश्चित है. ऐसे में दोनों प्रत्याशियों के बीच रोचक टक्कर होते दिख रही है.