मोरेटोरियम के बाद ब्याज दें या नहीं, अधरझूल में उपभोक्ता, सुप्रीम कोर्ट पड़ा नरम

बैंक ब्याज पर ब्याज लेने पर अड़े जिसका भार ग्राहक पर पड़ेगा, लॉकडाउन में उद्योग धंधे हुए बंद तो ईएमआई देने में आ रही दिक्कत, केंद्र सरकार को तीन दिन के भीतर देना होगा अपना जवाब

Supremecourtofindia
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पॉलिटॉक्स न्यूज. कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से काम धंधे ठप हो चुके हैं. ऐसे में लोगों के सामने लोन की ईएमआई न चुका पाने की समस्या आ खड़ी हुई. ऐसे वक्त पर रिजर्व बैंक ने उपभोक्ताओं को टर्म लोन की ईएमआई चुकाने पर छह महीने की मोहलत लोगों को दी. हालांकि इस बढ़े समय पर ब्याज लेने या न लेने का फैसला बैंकों पर छोड़ दिया. ऐसे में ग्राहक खुद अधरझूल में है कि बैंक ब्याज पर ब्याज लेगी या नहीं. हालांकि बैंकों ने मोरेटोरियम पर अतिरिक्त ब्याज माफ न करने को कहा है जिसका मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. इसका मतलब लॉकडाउन में हुए नुकसान का भुगतान भी उपभोक्ता को ही करना पड़ेगा. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में नरमी बरतते हुए बीच का कोई रास्ता सुझाने को कहा है.

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय को निर्देश दिया कि तीन दिन के भीतर बैठक कर इस बारे में निर्णय लें और बीच का कोई रास्ता सुझाए. कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से टर्म लोन की ईएमआई चुकाने पर छह महीने की मोहलत लोगों को मिली है, लेकिन इस दौरान ब्याज माफ हो या नहीं, इस पर कोई भी स्पष्टीकरण नहीं है. सुप्रीम कोर्ट की मुख्य चिंता अब इस बात को लेकर है कि क्या ईएमआई में दिए जाने वाले ब्याज पर भी ब्याज लिया जाएगा? इसके बारे में केंद्र सरकार को तीन दिन के भीतर अपना जवाब देना है. इस बारे में अगली सुनवाई 17 जून को होगी.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रहा है. अदालत ने कहा कि हमारी चिंता यह है कि जो ब्याज माफ किया गया है उसे क्या आगे जोड़कर ग्राहकों से लिया जाएगा और क्या इस ब्याज पर भी ब्याज लिया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि इस बारे में कई तरह की राय है. कोई एक रास्ता निकालने की कोशिश हो सकती है. हमारा सवाल बस इतना है कि क्या ब्याज पर भी ब्याज लिया जाए.

इस संबंध में बैंकों का कहना है कि लोन पर ब्याज माफ करने से उन्हें करीब 2 लाख करोड़ रुपये का भारी नुकसान हो सकता है, जिसका बोझ सहन करना उनके लिए संभव नहीं है. हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने भी इसका विरोध किया है. आरबीआई का कहना है कि इससे बैंकिंग सेक्टर पर गंभीर असर पड़ेगा.

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गौरतलब है कि देश में कोरोना संकट के चलते 23 मार्च से लॉकडाउन लगाया गया था. ये लॉकडाउन करीब दो महीने तक चला और उसके बाद उसमें कुछ छूट दी गई. लॉकडाउन के चलते काम धंधे बंद हो गए और नौकरियों पर भी संकट आ गया. कईयों की चली गई और कुछ इस काबिल नहीं बचे कि ईएमआई भर पाएं. रिज़र्व बैंक के आदेश पर बैंकों ने ईएमआई में तीन तीन करके 6 महीने का मोरेटोरियम तो दिया है लेकिन कर्ज पर ब्याज बराबर लग रहा है, जो लाखों में जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस ब्याज अदायगी से छूट मांगी गई है.

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