Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में जारी सियासी घमासान के बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) विधायकों के कांग्रेस में विलय मामले में हाईकोर्ट ने बुधवार को विधानसभा स्पीकर को नोटिस जारी किए हैं. राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पीकर को गुरुवार सुबह तक जवाब देने के निर्देश दिये हैं. अब आज सुबह 10:30 बजे फिर से इस पर सुनवाई होगी.
बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले में दायर अपील पर बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान विलय के आदेश पर कोर्ट ने एक्स पार्टी स्टे देने से मना कर दिया. इस पर बसपा और बीजेपी विधायक मदन दिलावर की ओर से कहा गया कि बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायक गहलोत कैम्प में बाड़ेबंदी में बंद हैं. ऐसे में उन्हें नोटिस तामील नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में मामले में सुनवाई नहीं हो सकती है. इस पर मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत माहन्ती की खण्डपीठ ने विधानसभा स्पीकर को नोटिस जारी कर दिए.
यह भी पढ़ें: सुलह के बजाए कलह की ओर बढ़ता सियासी बवाल, देर रात मुखर हुए पायलट गुट के तीन विधायक
हाईकोर्ट में इस मामले में बसपा और बीजेपी विधायक मदन दिलावर की ओर से दायर अपील पर मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत माहन्ती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की बेंच ने सुनवाई की. इस मामले में बसपा और दिलावर दोनों ने एकलपीठ के फैसले को चुनौती दे रखी है. पहले एकलपीठ ने इस मामले में सुनवाई के बाद 30 जुलाई को नोटिस जारी किए थे. लेकिन विलय के फैसले पर स्टे देने से इनकार कर दिया था.
वहीं बुधवार को सुनवाई के दौरान बसपा की ओर से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एवं बसपा महासचिव सतीशचंद्र मिश्रा ने कहा कि 14 अगस्त से विधानसभा सत्र शुरू होना है. वहीं एकलपीठ ने मामले की सुनवाई 11 अगस्त को तय की है. ऐसे में एकलपीठ को मामले की जल्द सुनवाई के निर्देश भी दिए जाएं. इस पर बैंच ने इसे कल सुनने की बात कही.
यह भी पढ़ें: फिर से पायलट के समर्थन में उतरे राजेंद्र राठौड़ ने कहा- गहलोत सरकार ने किया थूंक कर चाटने का काम
गौरतलब है कि बीजेपी विधायक मदन दिलावर और बहुजन समाज पार्टी ने मंगलवार को राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष याचिका दायर कर एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी थी. बीजेपी विधायक दिलावर और बसपा की याचिकाओं पर न्यायधीश महेंद्र कुमार गोयल की एकल पीठ ने 30 जुलाई को विधानसभा अध्यक्ष, विधानसभा के सचिव और बसपा छोड़ने वाले छह विधायकों को नोटिस जारी कर 11 अगस्त तक उसका जवाब देने को कहा था. लेकिन कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत देने और बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस विधायक के तौर पर सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने से रोकने की दलील को स्वीकार नहीं किया.