Politalks.News/Rajasthan. पंजाब में कांग्रेस की कमान नवजोत सिंह सिद्धू को सौंपने के बाद अब आलाकमान राजस्थान की सियासी उलझन दूर करने में जुट गया है. कांग्रेस के संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी अजय माकन जयपुर आ रहे हैं. इससे पहले ये दोनों दिग्गज राहुल गांधी से भी मुलाकात करेंगे. इसके चलते माना जा रहा है कि अगले 48 घंटे राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति के लिए अहम हैं. खासकर आज की रात तो कत्ल की रात मानी जा रही है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमा इस दोनों दिग्गजों के ऊपर नजरें गड़ाए बैठे हैं. सियासी गलियारों में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर कई तरह के सियासी कयास लगाए जा रहे हैं. लेकिन पॉलिटॉक्स के पास पुख्ता सूचना है कि राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार 28 जुलाई के आसपास हो सकता है.
राजस्थान में अब कांग्रेस हाईकमान जल्द मंत्रिमंडल विस्तार, राजनीतिक नियुक्तियों और संगठनात्मक नियुक्तियों का काम खत्म करने की कवायद में है. सचिन पायलट खेमे की मांगों का भी इसमें ध्यान रखा जाएगा. किस खेमे से कितने मंत्री बनेंगे, यह आलाकमान तय करेगा. सीएम गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम पायलट खेमों को मंत्रिमंडल, राजनीतिक नियुक्तियों और ग्रास रूट स्तर पर कांग्रेस संगठन में भागीदारी देने का शेयरिंग फार्मूला जल्द ही फाइनल हो जाएगा.
चुनावी राज्यों पंजाब और उत्तराखंड का मसला सुलझाने के बाद आलाकमान के निर्देश पर राष्ट्रीय महासचिव वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी अजय माकन आज जयपुर आ रहे हैं. पंजाब और उत्तराखंड के बाद आलाकमान का फोकस अब राजस्थान के विवाद के निपटाने में जुटा है. इन दिग्गजों के दौरे से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दिल्ली जाने की चर्चाएं जोरों पर थीं. लेकिन बार-बार दौरा टलने के चलते अब आलाकमान के निर्देश पर केसी वेणुगोपाल और अजय माकन आ जयपुर आ रहे हैं. शनिवार शाम 5 बजे दिल्ली से सड़क मार्ग से ये दोनों नेता जयपुर आएंगे. बताया जा रहा है कि अगले दो दिन सीएम गहलोत और सचिन पायलट से वेणुगोपाल, माकन मुलाकात करेंगे. इनके मंथन से जो ‘अमृत‘ निकलेगा उसके बाद 31 जुलाई से पहले कभी भी या 28 जुलाई को मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें लगाई जा रही है.
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कांग्रेस सूत्रों की मानें तो सचिन पायलट समर्थकों को मंत्रिमंडल, राजनीतिक नियुक्तियों में अच्छी जगह मिलने की संभावना है. पायलट की ओर से मंत्री पद के लिए आलाकमान को अपने तीन नाम दे दिए हैं. पायलट ने मुरारी लाल मीणा, दीपेंद्र सिंह शेखवात और बृजेन्द्र ओला के नाम आलाकमान को दिए हैं. वहीं खुद सचिन पायलट को भी बड़ी जिम्मेदारी मिलने की संभावना जताई जा रही है, इस तरह पायलट गुट के चार नामों में सोशल इंजीनियरिंग देखने को मिल रही है पायलट की ओर से गुर्जर-जाट-मीणा और राजपूत का नाम आगे बढ़ाया गया है. पायलट कैंप के माने जाने वाले विश्वेन्द्र सिंह जो की आजकल गहलोत कैंप में माने जा रहे हैं. विश्वेन्द्र सिंह के नाम पर पहले से ही सहमति बनी हुई है. लेकिन सूत्रों की मानें तो विधायक रमेश मीणा के नाम पर पेंच फंसा हुआ है. ये तो पहले ही साफ किया जा चुका है कि पहली बार जीते विधायकों को मंत्री बनाए जाने की संभावनाएं कम ही हैं. अब वेणुगोपाल और माकन के साथ मुख्यमंत्री गहलोत के मंथन के बाद मंत्रिमंडल पर अंतिम मुहर लगनी तय मानी जा रही है और इसके बाद भी अगर बात नहीं बनती है तो ये दोनों नेता दिल्ली लौट जाएंगे और फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली जा सकते हैं.लेकिन ऐसी कोई भी नौबत आएगी इसकी संभावना कम ही जताई जा रही है.
कुछ मंत्री होंगे ड्रॉप, कुछ नए चेहरे और कुछ बनाए जा सकते संसदीय सचिव
राजस्थान सरकार में अभी मुख्यमंत्री के अलावा 20 मंत्री हैं. राज्य सरकार में कुल 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं, इस लिहाज से 9 जगह खाली हैं. इन 9 जगहों के लिए कांग्रेस के दोनों खेमों में करीब 40 से ज्यादा दावेदार हैं. बताया जा रहा है कि सचिन पायलट गुट अपने लिए जितने मंत्री चाह रहा है, उस पर पहले मुख्यमंत्री गहलोत तैयार नहीं थे. मंत्रिमंडल विस्तार में देरी के पीछे गहलोत का सहमत नहीं होना ही माना जा रहा है. अशोक गहलोत पायलट कैंप को उसके विधायकों के हिसाब से ही मंत्री बनाने के फार्मूले पर जोर दे रहे हैं, जबकि पायलट ग्रुप पहले से ज्यादा मंत्री बनाने की मांग कर रहा है. इसको देखते हुए मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल विस्तार के लिए अब कभी भी कुछ मंत्रियों के इस्तीफे ले सकते हैं. जिससे नए चेहरों को ज्यादा मौका दिया जा सके. बताया जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में भी पूरे 30 मंत्री बनाने के बजाय 28 तक संख्या रखी जा सकती है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ की तर्ज पर राज्य में 15 संसदीय सचिव बनाए जा सकते हैं.
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सीएम अशोक गहलोत के सामने ये हैं चुनौतियां
राजस्थान मंत्रिमंडल में खाली पड़ी मंत्रियों की नौ सीटों पर मंत्री बनाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने कई चुनौतियां हैं. पायलट खेमे के अलावा गहलोत के सामने उनके अपने समर्थक, बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायकों और 13 निर्दलियों जो की गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे हैं. उनका भी ध्यान रखना है.
सचिन पायलट खेमा हैं साइलेंट
सचिन पायलट खेमा भी पिछले कुछ दिनों से फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है. सियासी हलकों में यह चर्चा है कि पायलट को कांग्रेस हाईकमान ने उनसे साल भर पहले तय हुए मुद्दों के समाधान का भरोसा दिलाया है. सचिन पायलट समर्थक विधायकों ने बयानबाजी में भी सावधानी बरती है. इन नरम तेवरों की वजह मंत्रिमंडल विस्तार जल्द होने की संभावना है.