Politalks.News/Rajasthan. इस बार की बारिश में राजस्थान ‘जलस्थान’ में तब्दील होता दिख रहा है. आसमान से बरसी आफत में 71 लोग काल का ग्रास बन चुके हैं. ‘जलस्थान’ बन चुके राजस्थान में सरकारी इंतजाम बह चुके हैं. बारिश और ओवरफ्लो बांधों से पानी छोडने के बाद गांव टापू बन गए हैं. बस्तियां डूब गई हैं. कई रास्तों का संपर्क टूट चुका है. रेलवे लाइनों से लेकर अंडरपास और हाइवे पानी में डूबे हुए हैं.खासकर हाड़ौती अंचल में पिछले 10 दिन से जारी झमाझम से काफी नुकसान हुआ है. कोटा, झालावाड़, बूंदी और धौलपुर में कई इलाकों में बाढ़ के हालात हैं. चंबल सहित अन्य नदीयों ने किसानों की फसल को चौपट कर दी है. जिससे हजारों किसानों की फसल बर्बाद हो गई है. साथ ही कई लोगों काल का ग्रास बन गए हैं. प्रदेश पर आई इस विपदा को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गहलोत सरकार से मांग की है कि नुक़सान का आंकलन कर लोगों को मुआवज़ा देने की मांग की है. मैडम वसुंधरा राजे ने कहा है कि- ‘भारी बारिश से हुए नुक़सान का सर्वे करवा कर सरकार लोगों को राहत पहुंचाए’.
भारी बारिश से हुए नुकसान पर लोगों को राहत दिलवाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे आगे आई है. वसुंधरा राजे ने प्रदेश में हो रही लगातार बारिश से हुए नुक़सान का आंकलन कर लोगों को मुआवज़ा देने की मांग की है. अपने बयान में मैडम ने कहा कि, ‘भारी बारिश से पूरे प्रदेश में फ़सलों को तो नुक़सान हुआ ही है, कई लोगों की जान भी गई है. लोगों का पशु धन नष्ट हुआ है और मकान ढहें हैं. सरकार सर्वे करवा कर इन्हें राहत दे’
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बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने अपने बयान में कहा कि, ‘हाड़ौती में ख़रीफ की अस्सी फ़ीसदी फ़सल बर्बाद हो गई है. वहां ख़ास कर सोयाबीन, उड़द और चावल की फ़सलें चौपट हुई है. इसके अलावा प्रदेशभर में मक्का, ज्वार, तिल, ज़ीरा, मूंग, मूंगफली जैसी फ़सल भी पूरी तरह भारी बरसात की भेंट चढ़ गई है. राज्य सरकार इस नुक़सान का सर्वे करवा कर प्रभावित लोगों को शीघ्र सहायता राशि दिलवाये’. पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने कहा है कि, ‘भारी बारिश से अधिकांश खेत जलमग्न हो गये हैं, आवागमन अवरुद्ध हो गया है, ऐसे में सरकार जहां सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं वहां सड़कों को भी शीघ्र ठीक करवा कर आवागमन सुचारू करवाए’.
मैडम राजे ने गहलोत सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘प्रदेश की गहलोत सरकार यदि मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान को बंद न करती तो इतने ख़राब हालत न होते. उससे पानी का संचय तो होता ही, साथ ही नुक़सान से भी बचाव होता. सरकार को इस अभियान को फिर से चालू करना चाहिए’.
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आसमान से बरस रही आफत, राजस्थान बना ‘जलस्थान’
प्रदेश में भारी बारिश से भारी नुकसान हुआ है. आपदा प्रबंधन की भी पोल खुल गई है. सरकारी तंत्र की नाकामी के बाद अब मंत्रियों और विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों में पानी में उतरकर मोर्चा संभाल रखा है. इसी सरकारी तंत्र की लापरवाही के कारण अब तक 71 लोगों की मौत हो चुकी है. आकाशीय बिजली गिरने से 49 लोगों की मौत हो चुकी है, बारिश से 125 पशुओं की मौत और कई घर भी ध्वस्त हुए हैं. हाड़ौती अंचल के कृषि विस्तार विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. रामावतार शर्मा ने बताया कि, कोटा संभाग में 11 लाख 68 हजार हेक्टेयर का खरीफ सीजन बुवाई का रकबा है. आधे जुलाई तक बारिश नहीं बरसी थी. ऐसे में बुवाई 10 लाख 9 हेक्टेयर में हो सकी. खराबे का शुरूआती आंकलन बताते हुए डॉ. शर्मा ने कहा, ‘जो बुवाई हुई उसमें से भारी बारिश के कारण सवा से डेढ़ लाख हैक्टेयर की फसलें प्रभावित हुई हैं. और इनमें से 60 से 80 फीसदी ही नुकसान हुआ है.