गुजरात विस चुनाव: दशकों से बीजेपी के गढ़ वडोदरा में अपनों की बगावत बिगाड़ सकती है पार्टी का खेल

सियासी दृष्टि से महत्वपूर्ण है वडोदरा जिला, जिले की 13 में से 9 सीटें बीजेपी के हिस्से में, केवल 4 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा, तीन सीटों पर बागी ठोक सकते हैं ताल, एक सीट पर 22 सालों से बागी विधायक का कब्जा, पार पाना होगी सबसे बड़ी चुनौती

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GujaratAssemblyElection. गुजरात विधानसभा चुनावों को लेकर जितनी सक्रिय भारतीय जनता पार्टी नजर आ रही है, उसके मुकाबले में फिलहाल कांग्रेस तो कहीं से कहीं तक नजर भी नहीं आ रही है, तो वहीं आम आदमी पार्टी ने जरूर बीजेपी की मश्किलें बढ़ा रही है. आज बात करें गुजरात के वडोदरा जिले की तो वडोदरा जिला दो दशकों से भी अधिक समय से बीजेपी के कब्जे में रहा है. यही नहीं बल्कि यहां की कुछ सीटे तो ढाई दशक से भाजपा के गढ़ के तौर पर जानी जाती है. आपको बता दें कि वडोदरा जिले में कुल 13 विधानसभा सीटें आती हैं जिनमें 51 लाख 89 हजार 411 मतदाता है. ये सभी 13 सीटें वडोदरा ग्रामीण और वडोदरा शहरी इलाके में आती है. वडोदरा शहर की सभी पांचों सीटों पर बीजेपी का लंबे समय से कब्जा है, जबकि ग्रामीण इलाके की 8 में से चार सीटों पर बीजेपी के ही विधायक विराजमान है.

जबकि वडोदरा ग्रामीण की अन्य चार सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है लेकिन इन पर काफी कम मार्जिन से हार जीत का अंतर है. वैसे तो वडोदरा जिले की सभी 13 सीटों पर बीजेपी काफी मजबूत नजर आ रही है लेकिन पार्टी के बागी नेताओं की बगावत सारा सियासी खेल बिगाड़ती दिख रही है. यहां के कुछ बाहुबली नेताओं द्वारा निर्दलीय चुनाव लड़ने के फैसले के चलते पार्टी के बड़े नेताओं में परेशानी साफ तौर पर देखी जा सकती है. अब इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा या आम आदमी पार्टी को यह तो आने वाली 8 दिसम्बर को सामने आएगा.

दरअसल, गुजरात विधानसभा चुनावों में इस बार बीजेपी ने अपने सीटिंग विधायकों में से कईयों का टिकट काट दूसरों को मौका दिया है. ऐसे में कई मौजूदा और कई पूर्व विधायकों की पार्टी को नाराजगी झेलनी पड़ रही है. इसमें पहला नाम बाहुबली विधायक मधु श्रीवास्तव का है. पार्टी ने उनकी टिकट काट दी है जिससे मधु श्रीवास्तव काफी नाराज हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं.

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आपको बता दें कि मधु श्रीवास्तव पहली बार 1995 में निर्दलीय चुनाव लड़कर विधायक बने और फिर बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद से पिछले 22 साल से वाघोडिया में भगवा लहरा रहा है. उत्तर भारतीय समुदाय से आने वाले मधु श्रीवास्तव अपने क्षेत्र में दबंग और एक बाहुबली विधायक की छवि रखते हैं. वे लोगों के रॉबिनहुड हैं तो मीडिया के मसाला. लेकिन इस बार बीजेपी ने उनका टिकट काटकर वडोदरा ग्राम्य के अध्यक्ष अश्विन पटेल कोहली को टिकट थमा दिया. मधु श्रीवास्तव का अपने विधानसभा क्षेत्र में दबदबा है और अगर वे चुनावी मैदान में उतरते हैं तो बीजेपी के लिए निश्चित तौर पर परेशानी होगी. वैसे पार्टी के नेता उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं.

गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में मधु श्रीवास्तव बीजेपी के टिकट पर जीते थे. उनका मुकाबला इलाके के एक अन्य दबंग नेता धर्मेंद्र सिंह वाघेला से हुआ था. वाघेला अपने समर्थकों में बापू के नाम से जाने जाते हैं. धर्मेंद्र सिंह बापू गुजरात के काठियावाड़ से ताल्लुक रखते हैं. श्रीवास्तव के टिकट कटते ही धर्मेंद्र सिंह भी निर्दलीय मैदान में उतरने का मन बना चुके हैं. अगर धर्मेंद्र सिंह और मधु दोनों निर्दलीय लड़ते हैं तो बीजेपी और अश्विन पटेल कोहली की राह वाघोडिया विधानसभा में मुश्किल हो सकती है.

आपको बता दें कि वडोदरा जिले में उत्तर भारतीय समुदाय के मतदाताओं की अच्छी संख्या है. वाघोडिया में इनकी संख्या करीब 30 हजार के आसपास है, ऐसे में मधु श्रीवास्तव का टिकट कटने पर ये वोट बीजेपी के खिलाफ भी जा सकते हैं. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की तरफ से इस सीट से वडोदरा के पूर्व सांसद सत्यजीत गायकवाड़ को टिकट दिए जाने की संभावना है. ऐसे में मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है. बीजेपी के प्रत्याशी अश्विन पटेल की जीत पूरी तरह से बीजेपी के कोर वोट पर टिकी है. आम आदमी पार्टी ने वाघोडिया से गौतम सोलंकी (राजपूत) को मैदान में उतारा है.

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वहीं बीजेपी के बागी लिस्ट में दूसरे नंबर पर पादरा से बीजेपी के पूर्व विधायक दिनेश पटेल उर्फ दीनू मामा का नाम आता है. बीजेपी ने मामा की टिकट काट दूसरे उम्मीदवार को थमा दी. इस पर उन्होंने नाराजगी जताते हुए निर्दलीय मैदान में उतरने का फैसला किया है. मामा कह रहे हैं कि मैं बीजेपी के विरोध में नहीं हूं लेकिन उम्मीदवार के विरोध में हूं.

इन दोनों के अलावा, वडोदरा ग्रामीण की करजण विस सीट पर पूर्व विधायक सतीश पटेल उर्फ निसालिया भी अपनी टिकट कटने से खुश नहीं हैं. करजण सीट से कांग्रेस के अक्षय पटेल ने जीत दर्ज की थी. बाद में इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए और फिर बीजेपी के टिकट पर विधायक बने. इस बार भी पार्टी ने अक्षय पटेल को मैदान में उतारा है. ऐसे में सतीश पटेल नाराज हो गए हैं और निर्दलीय चुनावी मैदान में ताल ठोकने की तैयारी में हैं. मामा और सतीश पटेल के निर्दलीय या पार्टी बदलकर चुनावी मैदान में उतरने की संभावना काफी अधिक है.

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वाघोडिया में मधु श्रीवास्तव, पादरा से दिनेश पटेल उर्फ दीनू मामा और करजण विस सीट पर सतीश पटेल उर्फ निसालिया का अपने अपने चुनावी क्षेत्रों में अच्छा प्रभाव है. ये तीनों अपनी सीटों के साथ साथ अन्य सीटों पर भी बीजेपी का खेल बिगाड़ने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. ऐसे में बीजेपी की असली चुनौती बागियों को शांत करने की रहने वाली है. अगर ऐसा नहीं होता है तो कोर वोट के अलावा भी बीजेपी को अपने समर्थकों को मजबूत करना होगा. वैसे उनकी इस स्थिति का फायदा कांग्रेस या आप पार्टी को हो सकता है. वैसे कहना गलत न होगा कि वडोदरा जिले की बीजेपी के प्रभुत्व वाली तीन मजबूत सीटों पर इस बार सेंध लग सकती है जिससे बीजेपी की स्थिति थोड़ी कठिन हो सकती है.

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