लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में चुनावी द्वंद्व बड़ा ही दिलचस्प रहा. बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस की लीडिंग वाली ‘इंडिया गठबंधन’ के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला. 80 संसदीय सीटों वाले यूपी में गठबंधन ने सत्ताधारी योगी सरकार के होने के बावजूद 43 सीटों पर कब्जा करके एनडीए को मुंह तोड़ जवाब दिया. बीजेपी ने 33 सीटें जीतीं, जबकि उसकी सहयोगी आरएलडी को 2 और अपना दल (एस) को 1 सीट मिली. बीएसपी का खाता नहीं खुला.
यह भी पढ़ें: आकाश आनंद बनेंगे बसपा के सुप्रीमो! मायावती के साथ खत्म हुए सभी गिले-शिकवे
आम चुनाव के बाद अब एक बार फिर से दोनों दलों के बीच टक्कर होने जा रही है. प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने वाले हैं. सपा और कांग्रेस एक बार फिर से साथ मैदान में हैं. एनडीए के सामने बसपा की चुनौती भी होगी क्योंकि हाल में पार्टी सुप्रीमो मायावती ने उप चुनाव में उतरने का ऐलान किया है. हालांकि अभी तक चुनाव आयोग की ओर से उपचुनाव की तारीख का ऐलान नहीं किया गया है लेकिन सभी प्रमुख दलों ने उप चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है. प्रदेश में मैनपुरी, अयोध्या, अंबेडकर नगर, मुरादाबाद, अलीगढ़, गाजियाबाद, मुज्जफर नगर, प्रयागराज, मिर्जापुर और कानुपर में उप चुनाव होने हैं.
बीजेपी पर होगा वापसी का दबाव
प्रदेश के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा, जिसकी पार्टी ने उम्मीद की थी. 43 सीटें जीतकर इंडिया ब्लॉक ने उसके खेमे में घमासान मचा दिया. बीजेपी के सामने ये चिंता है कि अगर लोकसभा चुनाव 2024 में जिस तरह का परिणाम रहा है, अगर उसकी पुनरावृत्ति उप चुनाव में हो जाए तो पार्टी के मनोबल पर इसका गहरा असर पड़ेगा. ऐसे में सत्तारूढ़ दल बीजेपी पर अपनी बढ़त वापस पाने का दबाव है. इसलिए बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है.
अखिलेश-राहुल की जोड़ी का कमाल
सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी की जोड़ी का कमाल आम चुनाव में देखने को मिला है. इस बार यह जोड़ी फिर से वापस आ गयी है. गठबंधन ने इस बार कमाल कर दिया और बीजेपी के खिलाफ सीटों के लिहाज से अच्छी खासी बढ़त हासिल की. दोनों दलों को उम्मीद है कि उपचुनाव में भी अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी का कमाल दिखेगा, इसलिए सपा पार्टी और कांग्रेस ने घोषणा की है कि वे इंडिया ब्लॉक के तहत उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में एक साथ लड़ेंगे.
दोनों दलों का है बराबर सीटों पर कब्जा
खाली हुई 10 विधानसभा सीटों की स्थिति को देखें तो 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इनमें से 5 सीटों पर समाजवादी पार्टी का कब्जा था. एक सीट राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) को मिली थी. तब आरएलडी और सपा ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था, लेकिन अब आरएलडी एनडीए का हिस्सा है. तीन सीटें बीजेपी के खाते में आई थीं और एक सीट उसके सहयोगी पार्टी निषाद पार्टी को मिली थी. ऐसे में सपा और एनडीए के पास 5-5 सीटें हैं. यूपी में योगी सरकार है. ऐसे में फायदा बीजेपी को हो सकता है लेकिन हाल में संपन्न आम चुनावों में जिस तरह से गठबंधन ने जोर लगाया है, सपा का पलड़ा ही भारी दिखता है.
यूपी विधानसभा की वर्तमान स्थिति
वर्तमान में, यूपी विधानसभा की वेबसाइट के अनुसार 403 सदस्यीय सदन में बीजेपी के पास 249, उसकी सहयोगी अपना दल (एस) के पास 13, आरएलडी के पास 8, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के पास 6 और निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (NISHAD) के 5 सदस्य हैं. सपा के 103 और कांग्रेस के दो सदस्य हैं. इसके अलावा जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के 2 और बीएसपी के 1 सदस्य हैं. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ कुल 273 सीटें जीती थीं. लोकसभा चुनाव के साथ हुए 4 विधानसभा क्षेत्रों के उप-चुनाव में 2-2 सीटें समाजवादी और बीजेपी के खाते में आई हैं, हालांकि अभी तक इन विधायकों ने शपथ नहीं ली है.
‘संजीवनी’ साबित होगा उप चुनाव
उपचुनाव को लेकर बीजेपी, सपा, कांग्रेस और बीएसपी समेत सभी दलों ने कमर कस ली है. वे पूरजोर से तैयारियों में जुट गए हैं. चूंकि नतीजों से योगी सरकार के बहुमत पर कोई असर नहीं पड़ेगा. ऐसे में कहा जा सकता है कि ये चुनाव मनोबल को ‘संजीवनी’ देने जैसा साबित होगा. लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी को कोई और नुकसान विपक्षी सपा और कांग्रेस को और मजबूत करेगा. उनके आत्मविश्वास में जबरदस्त इजाफा होगा.
इस बार अच्छे प्रदर्शन का दबाव बीजेपी पर जरूर होगा, इसलिए पार्टी ने विपक्ष से निपटने के लिए कुछ खास प्लानिंग की है. हालांकि पार्टी नेताओं का कहना है कि NDA पूरी ताकत के साथ विधानसभा उपचुनाव लड़ेगी. कहीं कोई दबाव नहीं है.