पॉलिटॉक्स न्यूज़/पटना. बिहार विधानसभा के दूसरे दिन सदन में नागरिकता संशोधन कानून और एनपीआर के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ. यहां तक की नेता पतिपक्ष और राजद विधायक तेजस्वी यादव ने सीएए को काला कानून तक बता दिया. इस पर सत्तापक्ष के विधायक विरोध करने लगे और तेजस्वी से माफी की बात पर अड़ गए. सत्तापक्ष के विधायकों ने कहा कि तेजस्वी ने संविधान का अपमान किया है और अपनी बात वापस लेने और माफी मांगने की बात पर हंगामा करने लगे. इस पर विपक्ष के विधायक भी अपनी जगह पर खड़े हो गए और शोर शराबा करने लगे.
हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने दोनों पक्षों के विधायकों से शांत होने की अपील की लेकिन हंगामा बदस्तूर जारी रहा. न तेजस्वी ने अपने बयान पर माफी मांगी और न ही सत्ता पक्ष का हंगामा शांत हुआ. हंगामे के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक आमने-सामने आ गए और दोनों पक्षों में नोकझोंक होने लगी. यहां तक की बात धक्का-मुक्की तक पहुंच गई. हंगामा बढ़ते देख विधानसभा स्पीकर ने सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया. विधानसभा अध्यक्ष ने राजद की ओर से एनपीआर पर लाए गए कार्यस्थगन प्रस्ताव को भी मंजूर कर लिया है. राजद, सीपीआई-माले और कांग्रेस की ओर से एनपीआर को लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव लाया गया. इस पर दोपहर दो बजे से चर्चा होगी.
सदन से बाहर आकर तेजस्वी यादव ने मीडिया के सामने बीजेपी विधायकों को भाजपा का गुंडा बताया. तेजस्वी ने कहा कि सदन के अंदर भाजपा के गुंडों ने अपने चरित्र को उजागर किया है. यह एनडीए की सरकार है लेकिन सदन के अंदर ऐसा लग रहा था कि भाजपा और जदयू अलग-अलग है.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश ने ने कुछ दिन पहले बयान दिया था कि एनपीआर 2010 के अनुसार होना चाहिए. मेरा सवाल है कि क्यों एनपीआर को लेकर नीतीश कुमार ने गजट नोफिकेशन जारी कराया? नोटिफिकेशन के अनुसार, एनपीआर 15 मई से चालू हो जाएगा. सरकार बताए कि यह 2010 के अनुसार होगा या केंद्र द्वारा बनाए गए नए फॉर्मेट के अनुसार. राजद नेता ने कहा कि नीतीश विधानसभा में यह पारित कराएं कि 2010 के अनुसार ही एनपीआर होगा. सिर्फ भाषण देने से काम नहीं चलेगा.