किसानों के बहाने तोमर, गांधी और बादल साध रहे निशाने, सरकार जुटी 26 से पहले आंदोलन को निपटाने

नरेंद्र मोदी और कुछ उद्योगपति मित्र, जो भी आपका है उसे छीनने जा रहे हैं- राहुल गांधी, तोमर बोले- 'राहुल गांधी के बयान और उनके कामों पर पूरी कांग्रेस हंसती है,' आपकी दादी ने पंजाबियों के लिए खालिस्तानी शब्द क्यों कहा था- हरसिमरत कौर बादल

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Politalks.News/NewDelhi. शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में एक तरफ जहां किसानों और भाजपा सरकार के बीच 9वें दौर की वार्ता चल रही थी तो वहीं दूसरी और कांग्रेस पार्टी देशभर में किसानों के समर्थन में ‘किसान अधिकार दिवस’ के रूप में घरने प्रदर्शन कर रही थी. राजधानी दिल्ली में कांग्रेस के इस हल्ला बोल कार्यक्रम में राहुल और प्रियंका गांधी भी शामिल हुए. सही मायने में कांग्रेस किसानों के समर्थन में अब बखुलकर सामने आ गई है. इस मौके पर राहुल गांधी ने कहा कि, ‘किसानों को ये बात समझ आ गई है कि उनकी आजादी छिन गई है, अब हिंदुस्तान को ये बात समझनी है. नरेंद्र मोदी और कुछ उद्योगपति मित्र, जो भी आपका है उसे छीनने जा रहे हैं.’ राहुल गांधी ने कहा कि किसानों को खत्म करने के लिए तीन कानून लाए गए हैं और अगर हम इसे अभी नहीं रोकेंगे, तो यह अन्य क्षेत्रों में भी होता रहेगा.’

कांग्रेस के आरोपोंं के पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने तंज कसते हुए कहा कि राहुल गांधी के बयान और उनके कामों पर पूरी कांग्रेस हंसती है. कृषि मंत्री ने कहा कि 2019 में कांग्रेस के मेनिफेस्टो में कृषि सुधारों का लिखित वायदा किया गया था, अगर राहुल को यह याद नहीं है तो मेनिफेस्टो पढ़ लें.

दूसरी ओर अकाली दल की नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने राहुल गांधी पर जोरदार निशाना साधा. हरसिमरत ने सोशल मीडिया पर राहुल के लिए लिखा कि, ‘पंजाबियों को खालिस्तानी कहने पर घड़ियाली आंसू बहाने से पहले बताएं कि आपकी दादी ने पंजाबियों के लिए यही शब्द क्यों बोले थे? अकाली दल की नेता ने कहा कि जब किसान पंजाब में धरना दे रहे थे, तब राहुल गांधी कहां थे? जब संसद में कृषि कानून पास हो रहे थे, तब राहुल कहां थे.’

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गणतंत्र दिवस से पहले किसानों को मनाना केंद्र सरकार के लिए चुनौती

केंद्र सरकार चाहती है कि गणतंत्र दिवस के आयोजन से पहले राजधानी दिल्ली में डेरा जमाए किसानों की नाराजगी दूर हो जाए. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि विपक्ष के साथ विदेशों के कई राष्ट्राध्यक्षों की नजर 26 जनवरी को होने वाले दिल्ली के आयोजन पर लगी हुई है. भाजपा सरकार भी नहीं चाहती कि किसानों की नाराजगी की बीच यह राष्ट्रीय पर्व का आयोजन फीका बनकर रह जाए. इसी उद्देश्य को लेकर शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रियों ने किसान संगठनों को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन किसान आखिरी समय तक तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर कानून बनाने पर अड़े रहे.

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आपको बता केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच शुक्रवार को 9वें दौर की बेनतीजा वार्ता हुई. सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के बाद सरकार और किसान के बीच हुई ये पहली बैठक थी, लेकिन इस बार भी कुछ अलग नहीं दिखा. किसान संगठनों की ओर से अब भी कृषि कानून वापस लेने की मांग की जा रही है, जबकि सरकार संशोधनों का हवाला दे रही है. सरकार की ओर से किसानों को मीटिंग में यह भी कहा गया कि कौन सा मुद्दा आपके लिए अहम है, किस मुद्दे का समाधान निकलने से आप लोग आंदोलन खत्म कर सकते हैं? इस पर किसानों की ओर से यह कहा गया कि, ‘हमारे लिए तीनों कानूनों की वापसी और एमएसपी गारंटी कानून दोनों मुद्दे हैं. दोनों मुद्दे आपको पूरे करने पड़ेंगे, तब यह आंदोलन खत्म होगा.’ करीब 4 घंटे चली इस बैठक में 3 मंत्री- कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश शामिल हुए. बता दें कि सरकार और किसान संगठनों के बीच अब अगली बैठक 19 जनवरी को 12 बजे होगी.

गौरतलब है कि कई वर्षों बाद ऐसा हो रहा है जब किसी केंद्र सरकार को राष्ट्रीय पर्व यानी गणतंत्र दिवस के आयोजन को लेकर समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. 26 जनवरी को अब 10 दिन ही शेष रह गए हैं दूसरी ओर राजधानी दिल्ली में कृषि कानून के विरोध में डेढ़ महीने से अधिक डेरा डाले किसानों ने गणतंत्र दिवस पर बाधा पहुंचाने की धमकी दी है. इसलिए किसानों के इस आंदोलन को जल्द से जल्द समाप्त करवाना मोदी सरकार के लिए चुनौती बन गया है.

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