Modi VS Gehlot
Modi VS Gehlot

Rajasthan Politics: राजस्थान के राजनीतिक इतिहास में संभवता यह पहला अवसर है कि जब भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और केंद्र की योजनाओं के आधार पर ही विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इतना ही नहीं, अब राजस्थान विस चुनावों से जुड़ी पार्टी की चुनावी गतिविधियों को भी स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही संभालेंगे. देश के चार राज्यों में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनावों की कमान जिस तरह से शीर्ष चार नेताओं को सौंपी गई है, उसके अनुसार तो ये स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि राजस्थान में इस बार चुनाव गहलोत बनाम राजे नहीं, बल्कि मोदी बनाम गहलोत ही लड़ा जाना तय है.

दरअसल, बीजेपी ने अपने शीर्ष चार नेताओं को चार प्रदेशों की कमान सौंपने का फैसला किया है. इन चारों राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके तहत पीएम नरेंद्र मोदी को राजस्थान, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को मध्यप्रदेश, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को छत्तीसगढ़ और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष को तेलंगाना की कमान सौंपी गई है. राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है जबकि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद शिवराज सरकार विराजमान है.

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अब राजस्थान के सियासी सफर पर एक नजर डालें तो प्रदेश में पिछले दो दशक में वर्ष 2002 से 2018 के बीच हुए चार चुनावों (2003, 2008, 2013 और 2018) में बीजेपी की ओर से वसुंधरा राजे ही सीएम फेस रहीं. उन्हीं के नेतृत्व में पार्टी की रणनीति तय हुई. 2018 विधानसभा चुनावों के समय जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह थे, तब भी खुद अमित शाह, वसुंधरा राजे और प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी के हिसाब से रणनीति तय हुआ करती थी लेकिन इस बार हालात और परिस्थितियां शायद इस बात को गवारा नहीं कर पा रही हैं.

वजह है कि राजस्थान देश में कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभर रहा है. एक समय था जब कांग्रेस देश में केवल दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही सत्ता में रह गई थी. मध्यप्रदेश की तरफ राजस्थान में दो बार बगावत का खेल भी हुआ, लेकिन सरकार नहीं गिरी. इससे कांग्रेस को ताकत हासिल हुई. इसके बाद कांग्रेस दोबारा खड़ी हुई और हिमाचल-कर्नाटक जैसे राज्यों में एक तरफा जीत दर्ज कर पहले से मजबूत हुई. अब इस ताकत को खत्म करना बीजेपी के लिए बेहद जरूरी है. बीजेपी राजस्थान में हर हाल में जीत चाहती है.

राजस्थान में पार्टी के सर्वेसर्वा सीएम अशोक गहलोत ने जनहितकारी योजनाओं के जरिए जिस तरह से ग्रामीण एवं मध्यमवर्गीय परिवारों के बीच पैठ बनाई है, इसने केंद्र की महंगाई रूपी तलवार पर कांग्रेस के लिए ढाल का काम किया है. मुफ्त 100 यूनिट बिजली, 500 रुपए में घरेलू गैस सिलेंडर, चिरंजीवी योजना, मुफ्त स्मार्टफोन जैसी कई योजनाओं को चलाकर सीएम गहलोत ने जनता की नब्ज को टटोल लिया है और अब रहनुमा बनकर पिछले साढ़े चार से सफलता पूर्वक सरकार चला रहे हैं.

लंबे समय से अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सियासी टकराव के बावजूद कांग्रेस का शीर्ष आलाकमान न तो गहलोत और न ही पायलट पर कोई एक्शन ले पाया. इसकी वजह यही है कि आलाकमान जानता है कि राजस्थान में दो बार सरकार पलटने के हालातों के बीच भी गहलोत सरकार बचाने में कामयाब हो गए थे. ऐसे में उनका कद राष्ट्रीय नेताओं से भी उपर उठ चुका है, इसलिए उन्हें छेड़ना ठीक नहीं है. सूत्र यह भी बताते हैं कि चुनावी माहौल को देखते हुए गहलोत अब खुद नहीं चाहते हैं कि पायलट को लेकर कोई भी जोखिम उठाया जाए. यही वजह रही कि अब न तो पायलट और न ही गहलोत एक दूसरे पर बयानबाजी कर रहे हैं. राजस्थान में यही सियासी गठजोड़ पीएम मोदी पर भारी पड़ता नजर आ रहा है.

पीएम मोदी की राजस्थान में कितनी गहरी दिलचस्पी है, उसका पता तो इसी बात से लग जाता है कि विगत 8 महीनों में मोदी प्रदेश के 9 दौरे कर चुके हैं. इसके अलावा, हाल में राष्ट्रीय मंच पर पीएम मोदी ने मणिपुर हिंसा का जवाब जिस तरह से ‘गुढ़ा की लाल डायरी’ से दिया है और जिस तरह से बीजेपी के आला नेता भी इसी मुद्दे को बार बार उठाने का प्रयास कर रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि मोदी प्रदेश की राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं. इतना ही नहीं, ऐसा पहली बार हुआ कि प्रदेश भाजपा के किसी आंदोलन के लिए स्वयं पीएम मोदी ने ट्वीट किया हो. राजस्थान बीजेपी ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ 1 अगस्त को जयपुर में सचिवालय के घेराव का कार्यक्रम तय किया था. इस पर ट्वीट करते हुए पीएम मोदी ने लिखा, ‘बेटियों के मान में चलो…गरीबों के उत्थान में चलो…दलित सम्मान में चलो…किसान का दर्द भी सुनो..हुंकार भरो….’

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आह्वान करने पर बीजेपी ने इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए पुरजोर कोशिश की. इस ट्वीट का असर यह हुआ कि बीजेपी के लगभग सभी छोटे-बड़े नेता और कार्यकर्ता इस घेराव में शामिल हुए. प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ पिछले साढ़े चार सालों में बीजेपी का यह सबसे प्रभावशाली आंदोलन बताया जा रहा है. हालांकि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने इससे दूरी बनाकर रखी और इसे नाराजगी के तौर पर ही लिया जा रहा है.

राजस्थान के हालौतों पर पीएम को फीडबैक देने वाली कोर टीम तैयार 

राजस्थान विधानसभा चुनाव पर फोकस बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की कोर टीम ने काम भी शुरू कर दिया है. बीजेपी ने हाल ही संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी को राजस्थान में चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है. इससे पहले संसद के साथी सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष भी नियुक्त कर चुके हैं.

वहीं, मोदी की धार्मिक-सांस्कृतिक स्थलों की रणनीति को अमली जामा पहनाने वाले केंद्रीय संस्कृति मंत्री अर्जुनराम मेघवाल का भी पॉलिटिकल प्रमोशन किया है. प्रहलाद जोशी, सीपी जोशी और मेघवाल तीनों ही संसद के साथी हैं. ऐसे में तीनों की ट्यूनिंग PM मोदी की टीम के हिसाब से पहले ही सेट है. आगामी समय में राजस्थान में पीएम के दर्जनभर से अधिक दौरे कराने की तैयारियां चल रही है.

प्रदेश में गुटबाजी और सीएम फेस की खींचतान खत्म करना भी जरूरी 

राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित चार बड़े केन्द्रीय मंत्रियों और स्थानीय स्तर पर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, उप नेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया और प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी को मुख्यमंत्री की रेस में आगे माना जाता है. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी इनमें से एक हैं. ऐसे में यहां बड़े नेताओं के बीच खींचतान और सीएम फेस को लेकर कशमकश पूरी तरह से खत्म करने के लिए स्वयं पीएम मोदी ही मोर्चे पर नजर आएंगे. उन्हीं के चेहरे और केंद्र की योजनाओं और रणनीति पर चुनाव लड़ा जाएगा. अब यहां मोदी का आकर्षण और गहलोत की जादूगरी दोनों के बीच करारी जंग है. यहां अगर गहलोत किसी तरह से सत्ता बचाने में कामयाब हो जाते हैं तो निश्चित तौर पर ये हार मोदी सहित भारतीय जनता पार्टी की सबसे करारी हार में से एक गिनी जाएगी.

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