जिस स्कीम का उड़ाया मजाक, उसी ने निभाई सरकार को बचाने में अहम भूमिका- सोनिया के निशाने पर केंद्र

मनरेगा को लेकर सोनिया गांधी ने इशारों इशारों में साधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना, साथ ही सोनिया गांधी ने मनरेगा स्कीम को सुदृढ़ करने के लिए केंद्र सरकार से की चार मांग, तो सोनिया गांधी के बयान पर भड़का सत्ता दल, केंद्रीय मंत्रियों ने खोला सोनिया के खिलाफ मोर्चा

सोनिया का पीएम मोदी पर तंज
सोनिया का पीएम मोदी पर तंज

Politalks.News/Loksabha. आज कांग्रेस सांसदों ने संसद के बाहर बढ़ती महंगाई को लेकर प्रदर्शन करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा. तो वहीं सदन के अंदर लोकसभा में आज कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने मनरेगा का जिक्र करते हुए पीएम मोदी को आड़े हाथ लिया. सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर मनरेगा को कमजोर करने का आरोप लगाया. बिना पीएम मोदी का नाम लिए सोनिया गांधी ने कहा कि, ‘MGNREGA, जिसका कुछ लोगों ने कुछ साल पहले मजाक उड़ाया था, उसी ने गरीब परिवारों को समय से सहायता दी और सरकार को बचाने में भी अहम भूमिका निभाई.’ सोनिया गांधी के बयान पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर एवं गिर्राज सिंह ने पलटवार किया और कहा कि, ‘कांग्रेस के शासन काल में भ्रष्टाचार चरम पर था.’

लोकसभा में मनरेगा से जुड़े विषय पर बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्षा एवं रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी ने कहा कि, ‘मनरेगा स्कीम का कई लोगों ने कुछ साल पहले मजाक उड़ाया था. लेकिन इसके कोरोना काल में जब लॉकडाउन लगा तो करोड़ों गरीबों को समय पर मदद पहुंचाने का काम किया. इसने सरकार को बचाने में सकारात्मक भूमिका अदा की.’ सोनिया गांधी ने आगे कहा कि, ‘आज फिर भी मनरेगा के बजट में लगातार कटौतियां हो रही हैं. इससे वक्त पर भुगतान और नौकरियों की कानूनी गारंटी कमजोर हो रही है. साथ ही साथ बेरोजगारी भी पुरे देश में लगातार बढ़ रही है तब भी मनरेगा का बजट 2020 की तुलना में इस साल 35% कम है. बजट में कटौती के कारण श्रमिकों के भुगतान में देरी हो रही है, सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे मजबूर श्रम कहा है.’

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सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार से 4 मांग करते हुए कहा कि, ‘मैं केंद्र सरकार से मांग करती हूं कि मनरेगा स्कीम के लिए अलग से बजट का आवंटन किया जाए. दूसरा ये कि काम के 15 दिनों के भीतर मजदूरों के खातों में इसकी पेमेंट पहुंच जानी चाहिए. यदि किसी भी तरह की देरी होती है तो फिर केंद्र को इसकी क्षतिपूर्ति करनी चाहिए. तीसरा ये कि, राज्य सरकारों से कहा जाना चाहिए कि उनके सालाना प्लान तब तक अप्रूव नहीं होंगे, जब तक कि वे सोशल ऑडिट नहीं कराते हैं. वहीं मनरेगा स्कीम के कामों के ऑडिट के लिए लोकपाल की नियुक्ति करनी चाहिए.

सोनिया गांधी ने सदन में चर्चा के दौरान कहा कि, ‘मनरेगा का सोशल ऑडिट होना चाहिए, लेकिन पेमेंट रोककर गरीब मजदूरों को सजा नहीं दी जानी चाहिए.’ वहीं सोनिया गांधी जब अपना बयान देकर आसान पर बैठी तो केंद्रीय मंत्री गिर्राज सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘सोनिया गांधी ने जो बातें कहीं वे तथ्यों से परे हैं. 2013-14 में सिर्फ 33 हजार करोड़ बजट था जिसे एक लाख करोड़, एक लाख 12 हजार करोड़ तक पहुंचाया गया.’

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वहीं गिर्राज सिंह के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि, ‘जब देश में यूपीए सरकार थी तो साल 2013-14 में आवंटित बजट भी उपयोग नहीं हो पाता था. इस दौरान 30 हजार करोड़ रुपये उपयोग नहीं किए गए जो कि जनता की भलाई के लिए थे. कांग्रेस के शासन काल में भ्रष्टाचार चरम पर था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाई जा रही जन धन योजना की वजह से आज मजदूरों के खाता में पैसे सीधे ट्रांसफर किए जा रहे हैं.’

आपको बता दें कि, यूपीए सरकार की इस बड़ी स्कीम को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरुआती दौर में आलोचना की थी. हालांकि NDA सरकार ने इसपर किसी तरह की कोई पाबन्दी नहीं लगाई थी. वहीं यह स्कीम लगातार जारी रही और कोरोना काल में लोगों को इससे तत्काल रोजगार गांवों में मिल सका था. खासतौर पर यूपी और बिहार में इस स्कीम ने कोरोना काल में गरीबों की मदद करने का काम किया था.

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