Politalks.News/Rajasthan/Mali-Samaj. प्रदेश में 2020 में आए सियासी संकट के बाद से गहलोत सरकार लगातार अपनी पार्टी के विधायकों के साथ-साथ बसपा से कांग्रेसी बने और अन्य समर्थन देने वाले दलों के साथ निर्दलीय विधायकों के दबाव में ही नजर आती रही है. लेकिन जैसे-जैसे अगले विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है वैसे ही अब अन्य सामाजिक संगठन भी सरकार पर अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने लगे हैं. सबसे बड़ी बात इस बार अन्य किसी समाज ने नहीं बल्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खुद के समाज ने हुंकार भरी है और भरे भी क्यों न, जब अपने समाज का मुख्यमंत्री होते हुए भी समाज के साथ न्याय न हो तो फिर आक्रोश बढ़ना लाजमी है. इसी के चलते गुरुवार को राजधानी जयपुर में पूर्व निर्धारित माली सैनी समाज ने 12 फीसदी आरक्षण सहित 11 सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन का बिगुल बजा दिया. हजारों की संख्या में माली समाज के लोगों ने एकत्रित होकर गहलोत सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज करवाया.
आपको बता दें कि सैनी माली समाज को अलग से 12% आरक्षण, महात्मा फूले कल्याण बोर्ड का गठन, महात्मा फूले फाउंडेशन बनाने, ठेले लगाने वाले समाज के बंधुओं को स्थाई जगह देने, महात्मा फूले बागवानी विकास बोर्ड का गठन करने समेत अन्य मांगों को लेकर गुरुवार को राजधानी जयपुर के विद्याधर नगर में हजारों की संख्या में समाज के लोग एकत्रित हुए. समाज ने गहलोत सरकार को चेताया कि उनकी आरक्षण समेत 11 सूत्री मांगों को पूरा नही किया गया तो उग्र आंदोलन होगा.
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इस दौरान फुले आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश सैनी ने कहा कि प्रदेश में माली समाज 15 फीसदी है जो बहुत पिछड़ा होने के साथ ही गरीब और असहाय है. फिर भी समाज केवल 12 फीसदी ही आरक्षण मांग रहा है. चंद्र प्रकाश सैनी ने आगे चेतावनी देते हुए1कहा कि जब तक आरक्षण नहीं मिलेगा तब तक आर-पार की लड़ाई जारी रहेगी. आज भी हमारा प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री निवास पर वार्ता के लिए गया है. सकारत्मक जवाब नहीं मिला तो विश्वकर्मा इंडस्ट्रियल एरिया (वीकेआई) -12 पर समाज जाम लगाएगा.
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सैनी ने आगे कहा कि हमारा समाज लगातार 10 साल आरक्षण सहित अपनी छोटी-छोटी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहा है, लेकिन प्रदेश में जो भी सरकार रही हो उसने वोट बैंक की राजनीति ही की है. अब समाज किसी भी तरह के झांसे में नहीं आने वाला है. अध्यक्ष चंद्र प्रकाश सैनी ने कहा कि पूर्व में माली समाज ने 25 फरवरी 2022 को विधानसभा घेराव किया था लेकिन उस दिन सरकार ने आश्वासन देकर भेज दिया था, लेकिन अब कोरे आश्वासन से काम नहीं चलेगा.