Sachin Pilot on Ashok Gehlot: प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट शुक्रवार को दो दिवसीय दौरे पर पहले करौली और फिर बाद में अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक पहुंचे. टोंक में मीडिया से बातचीत के दौरान पायलट ने वीरांगनाओं के मुद्दे पर खुलकर बयान देते हुए अपनी ही गहलोत सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए. पायलट ने कहा कि वीरांगनाओं की तकलीफ को समझकर उनसे बैठ कर बातचीत का हल निकाला जा सकता था. वीरांगनाओं की मांगें मानना या न मानना अलग बात है लेकिन उनसे बात करने में मैं समझता हूं किसी को चाहे वो कोई भी हो उसे अपना ईगो सामने नहीं लाना चाहिए. पायलट ने कहा सरकार को मामले को मिल बैठकर सुलझाना चाहिए. इसके साथ ही सचिन पायलट ने कहा कि मैं दुबारा टोंक से चुनाव लड़ूंगा.
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इससे पहले शुक्रवार दोपहर में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट मंडरायल के नयागांव पहुंचे. इस दौरान पायलट ने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा की मां को श्रद्धांजलि दी. पायलट ने रमेश मीणा की मां केसर देवी के चित्रपट पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और मंत्री से अपनी संवेदना प्रकट की. इस दौरान सचिन पायलट ने मंत्री से कुछ देर चर्चा भी की. वहीं मंडरायल पहुंचने के दौरान कार्यकर्ताओं ने सचिन पायलट का जगह जगह जोरदार स्वागत किया. वहीं मंडरायल से लौटते समय गंगापुर सिटी में भी पायलट का जोरदार स्वागत हुआ. गंगापुर सिटी में थोड़ी देर रुकने के बाद पायलट टोंक के लिए रवाना हुए.
टोंक पहुंचने पर मीडिया से मुखातिब हुए सचिन पायलट ने वीरांगनाओं के मुद्दे पर बिना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम लिए अपनी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए. पायलट ने कहा कि, इस मुद्दे पर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए. जिन लोगों ने वर्दी पहन कर इस देश की सेवा का काम किया. अपना सब कुछ कुर्बान करने वाले लोग जिन्होंने देश के लिए शहादत दी, उन लोगों की तुलना करना भी संभव नहीं है. उनके परिजन इस देश की संपत्ति है और उनको मान सम्मान देना, उनकी मदद करना यह हर सरकार, हर संस्था, हर नागरिक, हम सभी का कर्तव्य है. मैं ऐसा मानता हूं कि वीरांगनाओं का जो पैकेज है केंद्र सरकार व राज्य सरकार का वह सबको मिला है, इसके अलावा भी कोई मांग है तो संवेदनशीलता से अगर हम बैठकर उन बातों को सुनते और किसी भी नागरिक खासकर ऐसी वीरांगनाएं जिनके पति ने देश के लिए शहादत दी है, उन लोगों की बातों को सुनना संवेदनशील होना उनकी मांगें कितनी जायज है, कितनी संभव है, उन मसलों को आपस में बैठकर सुलझाया जा सकता है.
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सचिन पायलट ने आगे कहा कि, यह तीनों वीरांगना मेरे घर भी आई थी, मेरा घर मेरा नहीं सरकार का घर है, उनकी बातों को मैंने सुना, मैने उन्हें जूस पिलाया. मेरे घर आते समय वह बहुत दुखी थी, उत्तेजित थी, अगर कोई वीरांगना अपनी बात को रखती है हम उसकी बात को माने या नहीं माने यह बाद का विषय है, लेकिन उनके साथ जो व्यवहार पुलिस ने किया, जो हमने टेलीविजन में देखा, उसको कोई देख नहीं सकता. किसी भी नागरिक के साथ इस तरह का कोई व्यवहार करता है तो हम उसे स्वीकार नहीं कर सकते. कोई भी महिला या विधवा उसके साथ हम किसी भी कारण इस तरह का व्यवहार नहीं देख सकते है. विषय केंद्र सरकार का हो या राज्य सरकार का हो यह बाद का विषय है, जिस तरह का व्यवहार उनके साथ किया गया वह गलत था, उसे सुनकर मैं बहुत आहत था, मुझे लगा की किसी व्यक्ति ने इस तरह की कार्रवाई करवाई है या करी है तो इस पर जांच करवाकर कार्रवाई करनी चाहिए.
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पायलट ने आगे कहा कि यह मेरा मानना है मैं इस पर आज भी कायम हूं, इस मुद्दे पर किसी को भी राजनीति नहीं करनी चाहिए. सभी को अपनी बातें रखने का अधिकार है. धरना देना, प्रदर्शन करना, अपनी मांग रखना यह हमारे लोकतंत्र की अपनी एक अलग पहचान है. इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. अगर कोई छोटी मोटी मांगे है उसे हम पूरी कर सकते है तो देश में इस तरह का मैसेज नहीं जाना चाहिए कि हम वीरांगनाओं की मांगे सुनने को तैयार नहीं हैं. बात को मानना या नहीं मानना अलग बात है, लेकिन बात सुनने में किसी को भी अपनी ईगो को सामने नहीं लाना चाहिए. मेरे घर भी वो अचानक आई तो मैंने उनकी बात सुनी. वो भावुक थी. मेरा मानना है कि उनकी मांगों को बड़ी संवेदनशीलता से सुना जाना चाहिए था और जो भी पॉसिबल है उन्हें बताया जाना चाहिए था, उन्हें समझाना चाहिए था अगर बैठकर उन्हें समझाया जाता तो बेहतर तरीके इस मामले को निपटाया जा सकता था.