नागौर में दलित युवकों के घर लगा राजनीतिक पार्टियों के नेताओं का तांता, पायलट सौपेंगे आलाकमान को रिपोर्ट

दलित युवकों के साथ दंबगों द्वारा की गई बेहद शर्मनाक व अमानवीय कृत्य की घटना के बाद जहां एक ओर बीजेपी और रालोपा राज्य सरकार पर लगातार हमलावर हैं, वहीं कांग्रेस आलाकमान भी घटना को लेकर काफी गम्भीर है

पॉलिटॉक्स न्यूज़. राजस्थान के नागौर जिले के चौरड़ी थाना इलाके के करनु गांव के दो दलित युवकों के साथ दंबगों द्वारा की गई बेहद शर्मनाक व अमानवीय कृत्य की घटना ने प्रदेश के साथ साथ पूरे देश की सियासत को हिला कर रख दिया है. जहां एक ओर घटना को लेकर बीजेपी और रालोपा राज्य सरकार पर लगातार हमलावर हैं, वहीं कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी भी इस घटना को लेकर काफी गम्भीर हैं. जानकारों की मानें तो कांग्रेस अध्यक्षा द्वारा घटना की तत्काल विस्तृत रिपोर्ट मांगे जाने के निर्देश के बाद पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने जांच समिति गठित की. शुक्रवार को पायलट के निर्देश पर कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने पीड़ितों के घर जाकर मुलाकात की. वहीं बीजेपी की जांच समिति और रालोपा के विधायकों ने भी पीड़ितों से उनके घर जाकर मुलाकात की.

शुक्रवार को पीड़ित युवकों के घर नेताओं का तांता लगा रहा. सुबह सबसे पहले इस मामले में रालोपा से स्थानीय विधायक नारायण बेनीवाल अपने दोनों विधायकों के साथ पीड़ित के घर पहुंचे. फिर बीजेपी जांच समिति के सदस्य और उसके बाद सत्ताधारी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने पीड़ित के घर पहुँचकर इस मामले की पूरी जानकारी ली. इस दौरान पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के दौरान पीड़ित परिवार ने जांच अधिकारी बदलने, सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग रखी थी, जिसे तुरंत स्वीकार कर लिया गया.

कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल शनिवार को भी पीड़ित परिवार से मुलाकात करेगा. बता दें, प्रतिनिधिमंडल में कैबिनेट मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल, हरीश चौधरी, विधायक हरीश मीना, संगठन महामंत्री महेश शर्मा, पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा शामिल हैं. पार्टी सूत्रों की मानें तो शनिवार शाम तक कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल अपनी रिपोर्ट बंद लिफाफे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट को सौंप देगा, जिसके बाद पायलट ये रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल को सौंपेंगे.

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वहीं पीड़ित परिवार से मुलाकात के बाद राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि इस अमानवीय घटना की जितनी निंदा की जाए उतनी कम है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार पीड़ितों के साथ है. इस मामले के आरोपियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा. राजस्थान सरकार ने विधानसभा में मॉब लिचिंग जैसी घटना को रोकने के लिए एक विधेयक पारित कर मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भिजवाया है. सरकार को नए कानून से काफी मदद मिलेगी और इस तरह की घटनाओं की रोकथाम हो सकेगी. इस घटना को लेकर बनी संघर्ष समिति से उन्होंने वार्ता की है, उनकी मांगों को पूरा कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी.

प्रतिनिधिमंडल में शामिल मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने कहा कि पीड़ितों को उनके विभाग की ओर से 50-50 हजार रूपए की आर्थिक सहायता दी गई है. पीड़ितों के खाते में पैसे ट्रांसफर करवा दिए गए हैं. मुख्यमंत्री की ओर से दी जाने वाली सहायता भी पीड़ितों के लिए स्वीकृत करवाई जाएगी. इस तरह की घटनाओं का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. सरकार पीड़ित के पक्ष में हमेशा रहेगी. इस मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी.

वहीं बीजेपी की ओर से नागौर पहुँचे केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा कि, राजस्थान में लाचार क़ानून व्यवस्था के कारण दलितों पर हो रहे अत्याचारों ने सारी हदें लांग दी है. नागौर घटना के बाद अगर कांग्रेस पार्टी में थोड़ी सी भी नैतिकता बची है तो प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस्तीफ़ा देना चाहिये.

पीड़ित से मिलने उनके घर पहुँचे मेघवाल ने मुलाकात का एक वीडियो ट्वीट कर लिखा, नागौर के करणु गाँव में घटित अमानवीय घटना के उपरांत गाँव में पीड़ित व उनके परिजनों से भेंट की. नागौर विधायक मोहनराम चौधरी व भाजपा नेता मदन दिलावर व अन्य साथ में उपस्थित रहे. बीजेपी कांग्रेस के कुशासन, अन्याय व लाचार क़ानून व्यवस्था के ख़िलाफ़ सदैव लड़ती रहेगी.

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वहीं पीड़ित परिवार से मुलाकात के दौरान रालोपा विधायक नारायण बेनीवाल ने पीड़ितों को आश्वस्त करते हुए कहा कि सामाजिक न्याय की इस लड़ाई में रालोपा उनके साथ है. इस मामले में जब तक पीड़ितों को न्याय नहीं मिल जाता तब तक वे अपना संघर्ष जारी रखेंगे. नारायण बेनीवाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि मामले की जानकारी पुलिस के संज्ञान में आने के बावजूद नागौर पुलिस अधीक्षक के दबाव में स्थानीय थाना अधिकारी ने मामले को दबाने का प्रयास किया, साथ ही पीड़ित दलितों को धमकाया गया जिसकी वजह से वह आज भी सदमे में है. नागौर एसपी के पास पूरे जिले का दायित्व है ऐसे में प्रकरण को दबाना पूर्ण रूप से अनुचित है. प्रथम दृष्टया नागौर एसपी इस मामले में पूर्णतया लापरवाह नजर आए इसलिए अलवर की तर्ज पर नागौर एसपी को भी एपीओ किया जाये.

रालोपा संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने गहलोत सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि घटनाक्रम होने के बाद मुकदमे में देरी होना और मुकदमा दर्ज होना हो जाने के बाद भी पीड़ित पक्ष को समय पर मुकदमे की प्रति नहीं देना इस बात की ओर इंगित करता है कि जिले के पुलिस अधीक्षक सहित सरकार में बैठे कुछ लोग इस मामले को दबाने का प्रयास कर रहे थे. लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद मजबूरी में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और हल्की धाराओं को लगाकर अपराधियों को फायदा पहुंचाने का प्रयास किया. इस मामले में मुख्यमंत्री को तत्काल प्रभाव से नागौर एसपी सहित अन्य जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई करना चाहिए.