परिवहन विभाग के महाघूसकांड पर भाजपा ने सीएम गहलोत से पूछे बारह सवाल, परिवहन मंत्री से मांगा इस्तीफा

मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा कोई कार्रवाई नहीं कि जा रही है जो कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं, बीजेपी के राज में भी इस तरह का कभी कोई भी मामला हुआ हो तो जांच करवाएं और कार्रवाई करें

पॉलिटॉक्स न्यूज़. राजस्थान में परिवहन विभाग के अब तक के सबसे बड़े महाघूसकांड पर भाजपा गहलोत सरकार पर हमलावर है. इस मामले को लेकर भाजपा नेताओं ने सीएम गहलोत से एक के बाद एक बारह सवाल करते हुए परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास से नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की मांग की.

परिवहन विभाग के महाघूसकांड को लेकर शुक्रवार को प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर एक प्रेसवार्ता आयोजित की गई, जहां जयपुर के सभी पूर्व व मौजूदा भाजपा विधायक पत्रकारों से रूबरू हुए. इस दौरान मालवीय नगर विधायक कालीचरण सर्राफ ने इस मामले पर कहा कि परिवहन विभाग में योजनाबद्ध तरीके से भ्रष्टाचार चल रहा है. एसीबी ने 6 महीने जानकारी लेकर इस मामले को उजागर किया है, लेकिन इस मामले में मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा कोई कार्रवाई नहीं कि जा रही है जो कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं. कालीचरण सर्राफ ने कहा इस मामले पर हम सीएम गहलोत से पूछना चाहते है कि…

  1. परिवहन मंत्री जी के दलाल जसवंत यादव से क्या संबंध है ?
  2. क्या परिवहन मंत्री 8 फरवरी को जसवंत यादव की बेटी की शादी में अलवर गये थे ?
  3. दलाल जसवंत यादव की गोल्ड लाईन ट्रांसपोर्ट कम्पनी की 40 बसें बिना परमिट के किसकी शह पर चल रही थी ?
  4. जयपुर जैसे प्रमुख केन्द्र पर एक इंस्पेक्टर महेश शर्मा को डीटीओ का चार्ज किसके कहने पर दिया गया ?
  5. हर महीने की बंधी देने वाले ट्रांसपोर्टर को एक विशेष चिन्ह दिया जाता था, जिस बस/ट्रक पर यह चिन्ह होता था उस वाहन को रोका नहीं जाता था. क्या किसी दलाल या अधिकारी के कहने पर इस प्रकार की कार्यवाही हो सकती है ? किसके निर्देश पर यह छूट दी गई ?
  6. दलालों द्वारा एकत्रित करोडों की राशि किसके पास पहुँचती थी ?
  7. अगर दलालों के निर्देश पर मासिक बंधी देने वाले वाहनों की जांच नहीं होती थी तो क्या विभाग में दबंग मंत्री की नहीं चलती थी, अधिकारी विभाग चलाते थे ?
  8. दलाल किसके इशारे पर काम करते थे, उनके संबंध सरकार में किससे थे ?
  9. परिवहन मंत्री का कहना है कि एसीबी की कार्यवाही से रेवेन्यू कलेक्शन प्रभावित होगा, जब बिना टैक्स दिये गाडियां निकल रहीं थी तब मंत्री जी को सरकार के रेवेन्यू की चिंता नहीं थी, अब किसके लिए रेवेन्यू कलेक्शन की चिंता ?
  10. दलालों/अफसरों से बरामद 1.50 करोड़ रूपये किसके पास पहुंचने थे ?
  11. परिवहन मंत्री द्वारा अभयदान देना, व एसीबी के अधिकारियों को धमकाना क्या सरकार की भ्रष्टाचार के पोषण की नीति में नहीं आता?
  12. परिवहन मंत्रालय में गत एक वर्ष में कितने स्थानान्तरण आदेश निकले और इनमें कितने अधिकारियों/कर्मचारियों का स्थानान्तरण बार-बार हुआ ? जिसने पैसे पहुंचा दिये और मासिक देने की बात मान ली उसको इच्छित स्थान पर लगा दिया.

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वहीं भाजपा विधायक सराफ ने मुख्यमंत्री गहलोत से मांग करते हुए कहा कि एसीबी ने सर्वलांस पर जो काॅल लिये हैं, उनके नम्बर व बातचीत को सार्वजनिक किया जाये. इस पूरे प्रकरण में शक की सुई सीधे परिवहन मंत्री की तरफ जाती है. साथ ही परिवहन मंत्री द्वारा जो इनके अभियान में शामिल नहीं है, उनको धमकी और साथ ही यह कहना कि एसीबी, मंत्री व मुख्यमंत्री के कहने पर काम करती है. सीधे-सीधे एसीबी को धमकी की श्रेणी में आता है. इस कारण परिवहन मंत्री नैतिकता के आधार पर मंत्री पद से इस्तीफा दें, नहीं तो जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले सीएम गहलोत को मंत्री को बर्खास्त कर देना चाहिए. सीएम को सभी दोषियों पर सख्त करवाई करनी चाहिए.

इसके साथ ही पत्रकारों के सवाल पर सराफ ने कहा कि भाजपा के राज में भी इस तरह का कभी कोई भी मामला हुआ हो तो जांच करवाएं और कार्रवाई करें.

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बता दें, गत रविवार भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने दलालों के जरिये वाहन मालिकों को डरा-धमकाकर परिवहन विभाग के अफसरों द्वारा मासिक बंधी लेने का बड़ा खुलासा किया था. एसीबी ने रविवार को 2 डीटीओ व 6 इंस्पेक्टर के अलावा 7 दलालों को कस्टडी में लेकर सर्च अभियान चलाया. देर रात तक 1.20 करोड़ रुपये नकद, प्रॉपर्टी के दस्तावेज तथा दलालों से रिश्वत के लेनदेन की सूचियों सहित अहम साक्ष्य मिले. वहीं इस मामले में 3 इंस्पेक्टर फरार बताए जा रहे हैं. जबकि 7 अधिकारी एसीबी की राडार पर हैं. इस मामले में सोमवार को 8 परिवहन विभाग के अफसर और 7 दलालों को गिरफ्तार किया गया. इससे पहले एक इंस्पेक्टर उदयवीर सिंह और दलाल मनीष को रंगे हाथों ट्रैप किया गया था.

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