Wednesday, January 15, 2025
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विपक्षी एकता को मजबूत करने में अहम कड़ी साबित होंगे तमिलनाडु के सीएम एम.के.स्टालिन 

कांग्रेस से नाराजगी के चलते स्टालिन ने किया था विपक्षी एकता की बैठक में शामिल होने से इनकार लेकिन उन्हें मनाने चेन्नई पहुंचे तेजस्वी, स्टालिन को विपक्षी दल की बैठक में आने के लिए मनाया

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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन अपने सियासी मुद्दों को लेकर कांग्रेस से नाराज चल रहे थे. यही वजह थी कि 23 जून को पटना में होने वाली विपक्षी एकता की बैठक में उनके आने की संभावना न के बराबर थी. ऐसे में लालू यादव के सुपुत्र तेजस्वी यादव ने ये असंभव काम कर दिखाया और स्टालिन के बैठक में आने के लिए राजी कर लिया. बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने मंगलवार को चेन्नई में स्टालिन से मुलाकात की और बैठक में शामिल होने का न्योता दिया. तेजस्वी के निमंत्रण पर स्टालिन ने सहमति जता दी है. अब 23 जून को होने वाली विपक्षी एकता की बैठक में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन भी शामिल होंगे. विपक्षी एकता की बैठक से पहले अब दोनों नेताओं के बीच ये मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है. महागठबंधन के नेता इसे विपक्षी एकता को मजबूत करने की एक अहम कड़ी मान रहे हैं.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में मोदी सरकार के विरूद्ध विपक्षी एकता को मजबूत किया जा रहा है. इसमें हर एक विपक्षी दल की महत्वपूर्ण भूमिका है. दक्षिणी राज्यों में तमिलनाडू भी एक महत्वपूर्ण राज्य है. प्रदेश के मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन की नाराजगी दूर करने के लिए पहले नीतीश कुमार उनसे मुलाकात करने जाने वाले थे लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उनका दौरा होने की वजह से वे ऐसा न कर सके. वक्त न बर्बाद करते हुए तेजस्वी ने यह काम अपने जिम्मे लिया और चेन्नई पहुंच गए.

तेजस्वी ने वहले करुणानिधि कोट्टम के उद्घाटन और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में भाग लिया. इसी कार्यक्रम के बाद तेजस्वी और स्टालिन की बैठक हुई. बैठक में क्या बातचीत हुई, इसकी जानकारी अभी नहीं दी गई है, लेकिन स्टालिन की ओर से विपक्षी एकता बैठक में शामिल होने की बात कन्फर्म की गई है.

यह भी पढ़ें: जीत का फॉर्मूला 475- कांग्रेस को 250 के आसपास सीटें देना चाहता है संयुक्त विपक्ष!

विपक्षी एकता में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है और यूपीए के बैनर तले सभी अन्य विपक्षी राजनीतिक पार्टियों को लाने की मुहिम है. यह मुहिम बड़ी है. लोक नायक जयप्रकाश के बाद बिहार से सत्ता के खिलाफ आंदोलन होने जा रहा है और यह सब सीएम नीतीश कुमार की अगुआई में हो रहा है. बिहार में विपक्षी एकता की बैठक 23 जून को होनी है. इस बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, एनसीपी के शरद पवार, उद्धव ठाकरे समर्थित शिवसेना, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव सहित 12 राजनीतिक पार्टियों के मुखिया एवं प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं. यह सभी पार्टियां एक बैनर तले आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने का रोड मैप तैयार कर रही हैं.

हालांकि इस बैठक के बाद सभी पार्टियों के हितों की रक्षा करना काफी मुश्किल है लेकिन एकबारगी तो भारतीय जनता पार्टी भी इस विपक्षी एकता की बैठक से बौखला सी गई है. बीजेपी के नेता इस बैठक को हल्का बता रहे हैं लेकिन उनकी बयानबाजी से स्पष्ट है कि कहीं न कहीं चिंता तो उनके मन में भी घर करने लगी है.

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