Politalks.News/Rajasthan. लगता है प्रदेश में ठीक एक साल बाद इतिहास और सियासी हालात एक बार फिर अपने आप को दोहरा रहे हैं. पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू के बाद प्रदेश का सियासी तापमान एक दम गरमा गया है. वहीं अब सचिन पायलट के साथ-साथ उनके समर्थक विधायक भी मुखर होने लगे हैं. इसी कड़ी में पायलट समर्थक विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने गहलोत सरकार पर बड़ा हमला बोला है. चाकसू विधायक सोलंकी ने कहा कि इस सरकार में अब तक कांग्रेस के लिए लाठियां खाने वालों की सुनवाई नहीं हुई है. कांग्रेस पार्टी को जो दलित, आदिवासी, पिछड़े और माइनोरिटी के लोग वोट देते हैं, उन्हें हम बदले में क्या दे रहे हैं. केवल वोट के वक्त ये वर्ग याद आते हैं. जहां एससी, एसटी, माइनॉरिटी के वोट नहीं हैं, वहां से कांग्रेस नेता चुनाव लड़कर देख लें, पता लग जाएगा. सोलंकी ने कहा कि वोट हमारा, दूसरे लोग मलाई खा रहे हैं यह नहीं चलेगा.
गहलोत मंत्रिमंडल पर सवाल उठाते हुए सोलंकी ने कहा, 10 महीने से कोई दलित कैबिनेट में नहीं है, हम किसके सामने अपना दुखड़ा रोएं. अगर नया मंत्री नहीं बनाना तो किसी राज्य मंत्री को ही कैबिनेट मंत्री बना दीजिए. केवल वोट लेते वक्त याद आते हैं दलित, आदिवासी और माइनॉरिटी, सत्ता में हिस्सेदारी के वक्त संकीर्ण क्यों?
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लाठियां खाने वाले कार्यकर्ता देखते रह गए, रिटायर्ड अफसरों को दे दीं राजनीतिक नियुक्तियां
सोलंकी ने कहा, मुझे दर्द है कि जिन कार्यकर्ताओं ने बरसों से कांग्रेस को मजबूत करने का काम किया, उन्हें कुछ नहीं मिला. आईएएस और बड़े-बड़े पदों पर रहे रिटायर्ड अफसरों को राजनीतिक नियुक्तियां दे दीं. जिस कार्यकर्ता ने कांग्रेस के लिए लाठियां खाईं, खून-पसीना बहाया, वह देखता रह गया. कार्यकर्ता कह रहा है कि हमने लाठियां खाई है, लाठी खाने वाले कार्यकर्ता का नंबर कब आएगा.
वेदप्रकाश सोलंकी ने आगे कहा की सोनिया गांधी के निर्देश पर प्रियंका गांधी, वेणुगोपाल और दिवंगत अहमद पटेल ने हमारी मांगों को सुना था. हमने उन्हें हमारे मुद्दों को रखा था. उन्होंने हमारे मुद्दों के समाधान का वादा किया था. जिन समुदायों के हम वोट लेकर आते हैं उनके लिए हमें काम करना होगा. इस सरकार में एससी, एसटी और अल्पसंख्यक की सत्ता में भागीदारी नहीं है. जब वोट लेने की बात आती है तो कांग्रेस को दलित, आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यक याद आते हैं, लेकिन जब सत्ता में भागीदारी देने की बात आती है तो संकीर्णता पर आ जाते हैं. इन वर्गों को जितनी भागीदारी और जितना अधिकार मिलना चाहिए था, वह इस सरकार में नहीं मिला है. राजनीतिक नियुक्तियों की लिस्ट देख लीजिए, साफ पता लग जाएगा.
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जितने एससी-एसटी विरोधी फैसले हुए, उनमें सुभाष गर्ग का हाथ- सोलंकी
गहलोत सरकार में राज्य मंत्री सुभाष गर्ग पर निशाना साधते हुए वेदप्रकाश सोलंकी ने कहा कि सरकार में कांग्रेस को वोट देने वाले वर्गों की बात उनके मंत्री ही तो उठाएंगे, जब उनके मंत्रियों को आप कमेटियों में लेंगे ही नहीं तो कौन बात सरकार में रखेगा. पहली बार के विधायक मंत्री सुभाष गर्ग नौ कमेटियों में हैं और दो से तीन बार जीत चुके टीकाराम जूली और भजनलाल जाटव जैसे मंत्री बाहर हैं. क्या सुभाष गर्ग ही अकेले पूरे राजस्थान की राजनीति को समझते हैं? इस सरकार में एससी, एसटी समुदाय के खिलाफ जितने फैसले हुए हैं, उनमें सुभाष गर्ग मिले हुए हैं. चाहे अंबेडकर पीठ का मामला हो या एससी-एसटी के बैकलॉग का मामला हो, मुख्यमंत्री से गलत फैसले करवाने में मंत्री गर्ग का ही हाथ रहा है.