Politalks.News/Maharashtra-Delhi. देश की सियासत में मौजूदा समय में हर मुलाकात और बयान के मायने निकाले जा रहे हैं. कोरोना संकटकाल में जब दो अलग-अलग पार्टियों के नेताओं की मुलाकात होती है तो सवाल उठना ‘लाजमी‘ है. सोमवार से ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात को लेकर राजनीतिक दलों में ‘हलचल‘ थी. भले ही दोनों राजनीति दलों की तरफ से बयान दिया गया कि, यह ‘मराठा आरक्षण’ और महाराष्ट्र के विकास समेत तमाम मुद्दों को लेकर मुलाकात थी, लेकिन यह भी सच है पिछले कुछ समय से भाजपा और शिवसेना के बीच जारी खटास अब ‘पिघलती‘ हुई दिखाई दे रही है.
वर्ष 2019 के आखिरी में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना एक दूसरे से 25 साल बाद अलग हो गए थे, तभी से राजनीतिक पंडित कहते रहे हैं कि दोनों ही पार्टियां एक ही विचारधारा की है, ज्यादा समय तक एक दूसरे से अलग नहीं रह सकती हैं. मुंबई से राजधानी दिल्ली करीब 1400 किलोमीटर से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मंगलवार को राज्य के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार और मंत्री अशोक चव्हाण के साथ पीएम मोदी से दिल्ली स्थित निवास 7 लोक कल्याण मार्ग मिलने आते हैं. सुबह से ही पीएम मोदी और उद्धव ठाकरे की मुलाकात सुर्खियों में बनी हुई थी. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने उप मुख्यमंत्री अजीत पवार और मंत्री अशोक चव्हाण के साथ प्रधानमंत्री मोदी से एक साथ करीब डेढ़ घंटे मुलाकात की. इस बैठक में मराठा आरक्षण, तौकते चक्रवात से हुए नुकसान और वैक्सीनेशन जैसे कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई.
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सबसे बड़ी बात इस सामुहिक मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से अकेले मेंं भी 10 मिनट की मुलाकात की, इसी के बाद अटकलों का बाजार गर्म है. पीएम मोदी से मिलने केेे बाद दिल्ली में ही उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की. इस दौरान ‘ठाकरे ने कहा कि भले ही राजनीतिक रूप से साथ नहीं हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हमारा रिश्ता खत्म हो गया है, मैं कोई नवाज शरीफ से थोड़े ही मिलने गया था, जो छिपकर मिलता. यदि मैं उनसे व्यक्तिगत मुलाकात करता हूं तो इसमें क्या गलत है’?’ उद्धव ने कहा कि हमने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर बात की, ओबीसी आरक्षण के मुद्दे, मेट्रो कार शेड मुद्दे और जीएसटी बकाया पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र सरकार से मदद की जरूरत है.
बता दें कि कोरोना के कारण महाराष्ट्र सबसे अधिक प्रभावित राज्य रहा है. देश में कोरोना के सबसे ज्यादा केस और मौतें महाराष्ट्र में ही हुई हैं. जिसे लेकर उद्धव ठाकरे सरकार और केंद्र के बीच कई मसलों पर विवाद भी रहा है. फिर चाहे वो वैक्सीन पॉलिसी हो या फिर लॉकडाउन को लेकर नीति, कई मामलों में महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र का विरोध किया है. वहीं राज्य में बीजेपी लगातार उद्धव सरकार को घेर रही है. शिवसेना भी अपने मुखपत्र ‘सामना‘ में केंद्र के खिलाफ हल्ला बोल रही है. इसके बावजूद भाजपा और शिवसेना को आज एक दूसरे की जरूरत है.
आपको बता दें कि पिछले कुछ समय से एनडीए गठबंधन कमजोर होने लगा है. कृषि बिल कानून के बाद पंजाब का पुराना सियासी साथी ‘अकाली दल‘ भी अब केंद्र सरकार के साथ नहीं है. इसके अलावा कुछ और छोटे अन्य दल भी अब केंद्र के साथ नहीं है. दूसरी ओर बंगाल में भाजपा की हुई हार के बाद मोदी सरकार ‘बैकफुट‘ पर है. वहीं ‘शिवसेना की भी महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर कांग्रेस से तनातनी चल रही है‘. बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन की सरकार है. दूसरी ओर महाराष्ट्र में शिवसेना का साथ भाजपा को केंद्र में भी मजबूती देता रहा है. पिछले दिनों दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बैठक में मोहन भागवत समेत सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले भी महाराष्ट्र में शिवसेना को मनाने में जुटे हुए हैं. पीएम मोदी और उद्धव ठाकरे की मुलाकात के बाद कांग्रेसी खेमे में जरूर ‘हलचल‘ मच गई है. हालांकि अभी कांग्रेस के किसी नेता का इस मामले में कोई बयान नहीं आया है.