Politalks.News/Rajasthan. इन दिनों जितनी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सियासी चर्चा में हैं, उतनी ही चर्चा उनके बंगला नंबर 13 की भी हो रही है. सियासी घमासान के दौरान अशोक गहलोत सरकार ने एक ऐसी पाॅलिसी बना दी है कि अब वसुंधरा राजे को यह बंगला खाली नहीं करना पड़ेगा.
क्या है बंगला नंबर 13 का मामला
मुख्यमंत्री के लिए सिविल लाइन्स में बंगला नंबर 8 का आवंटन होता है. लेकिन वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री तब भी और अब जब मुख्यमंत्री नहीं हैं तब भी बंगला नंबर 13 में ही रह रही हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस बंगले को अपने लिए शुभ मानती है. यही कारण है कि वो इसी में रहना चाहती हैं.
लेकिन उनके शुभचिंतकों की भी कमी नहीं है. वसुंधरा राजे से इस सरकारी बंगले को खाली कराने के लिए सबसे पहले कभी उन्हीं की केबिनेट में मंत्री रहे और पूर्व सांगानेर विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने बड़ी मुहिम चलाई थी. लेकिन मुहिम सिफर रही और मैडम वसुंधरा राजे इसी बंगले में रहीं.
फिर मामला हाईकोर्ट पहुंच गया. मिलाप चंद डांडिया एवं अन्य की याचिका पर लंबी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगले खाली करने का फरमान सुना दिया. इस पर अशोक गहलोत सरकार सुप्रीम कोर्ट में सीएलपी लेकर चली गई, जो खारिज हो गई. ऐसे में आखिरकार तय हो गया कि बंगला तो खाली करना ही पड़ेगा. लेकिन सरकार के पास कानून और नियमों के जानकारों की भी कोई कमी नही. सो रास्ता निकाला गया, जिसे गली निकालना कहते हैं, तो गली निकाल दी गई.
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इसके लिए सरकार ने एक नई स्टेट पाॅलिसी तैयार कर उसे लागू कर दिया है. इस पाॅलिसी से गहलोत सरकार ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बंगले को खाली होने से बचाने का रास्ता निकाल लिया है. सरकार ने 4 बड़े बंगलों को विधाानसभा की आवास समिति के अधीन कर दिया है. इसके साथ ही यह नियम बना दिया कि कोई भी पूर्व सीएम जब तक विधायक रहेगा, उसे टाइप वन श्रेणी के इन चार में से कोई बंगला आउट आॅफ टर्न मिल सकेगा.
इस संबंध में गहलोत सरकार ने दो अधिसूचना जारी की हैं. यानि एक पंथ दो काज कर दिए. पहला सरकार ने कोर्ट की अवमानना से बचने का रास्ता भी निकाल लिया और बंगला भी खाली ना करना पड़े, इसकी भी व्यवस्था कर दी है. सरकार की अधिसूचना के अनुसार विधानसभा को दिए गए इन 4 बंगलों में एक बंगला सिविल लाइंस का बंगला नंबर 13 भी है. इसी बंगले में वसुंधरा राजे रहती है. इसके अलावा तीन बंगले और हैं जो महेंद्र जीत सिंह मालवीय, नरेंद्र बुड़ानिया और महादेव सिंह खंडेला को आवंटित हैं.
यह बनाई गई है गाइड लाइन
इन चार बंगलों के आवंटन के लिए एक गाइडलाइन बनाई गई है. इसके तहत इन बंगलों का आवंटन राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्री को हो सकता है. दूसरी गाइड लाइन के तहत वो नेता जो केंद्र में केबिनेट मंत्री रहे हों या फिर केंद्र सरकार में राज्य मंत्री और कम से कम तीन बार सदस्य रहे हो. इसके साथ ही ऐसे नेता जो कम से कम दो बार लोकसभा या राज्यसभा के सदस्य रह चुके हो. इस गाइड लाइन के अंतर्गत आने वाले नेताओं को इन चार बंगलों में से किसी एक का आवंटन संभव हो सकेगा. लेकिन इसके साथ एक खास शर्त जोड़ी गई है कि उनका वर्तमान में विधायक होना जरूरी है.
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वसुंधरा राजे से बंगला नंबर 13 को खाली कराने के लिए बीजेपी के पूर्व नेता घनश्याम तिवाड़ी ही नहीं, रालोपा मुखिया हनुमान बेनीवाल सहित कई नेता अलग-अलग मंचों से इस बात को जोरदार तरीके से उठा चुके हैं. वहीं पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट तो इस मामले को लेकर सीएम गहलोत और वसुंधरा राजे पर मिलीभगत का आरोप तक लगा चुके हैं. आरोपों का क्या है, कोई भी किसी पर भी लगा सकता है. यहां तो मुख्यमंत्री गहलोत ने फिलहाल मैडम वसुंधरा राजे के बंगला नंबर 13 में रहने का पक्का इंतजाम कर दिया है.