जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाए जाने के बाद नेताओं की छीटाकशी और जुबानी जंग तेज हो गयी है. हाल ही में मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर टिप्पणी करते हुए उन्हें ‘अपराधी’ करार दिया. अब उनके इस बयान पर कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्गविजय सिंह और प्रदेश के वर्तमान सीएम कमलनाथ ने पलटवार किया. दोनों ने शिवराज पर निशाना साधा है.
बता दें, शनिवार को ओडिशा में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिवराज सिंह ने कहा, ‘जब भारतीय सेना कश्मीर में पाकिस्तानी कबायलियों को खदेड़ रही थी, तभी नेहरू ने संघर्ष विराम का ऐलान कर दिया. इस वजह से कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला गया. अगर ऐसा नहीं होता तो पूरा कश्मीर भारत का होता. जवाहर लाल नेहरू का दूसरा अपराध अनुच्छेद 370 था. भला एक देश में कैसे दो निशान, दो विधान (संविधान) और दो प्रधान अस्तित्व में हो सकते हैं? यह केवल देश के साथ अन्याय नहीं बल्कि अपराध भी है.’
इस बयान का जवाब देते हुए दिग्गविजय सिंह ने शिवराज सिंह को नेहरूजी की पैरों की धूल बताया. उन्होंने कहा, ‘नेहरू के पैरों की धूल भी नहीं हैं शिवराज. शर्म आनी चाहिए उनको.’ साथ ही दिग्गी ने कहा, ‘सरकार ने आर्टिकल 370 हटाकर अपने हाथ आग से जला लिया है. कश्मीर को बचाना हमारी प्राथमिकता है. मैं मोदी, अमित शाह और अजित डोभाल से अपील करता हूं कि सावधान रहें, वरना हम कश्मीर खो देंगे.’
इसी मुद्दे पर एमपी के वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए लिखा, ‘देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं.जवाहरलाल नेहरू जिन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है, जिन्होंने आज़ादी के लिये संघर्ष किया,जिनके किये गये कार्य व देश हित में उनका योगदान अविस्मरणीय है. उनको मृत्यु के 55 वर्ष पश्चात आज अपराधी कह कर संबोधित करना बेहद आपत्तिजनक व निंदनीय है.’
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं.जवाहरलाल नेहरू जिन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है,जिन्होंने आज़ादी के लिये संघर्ष किया,जिनके किये गये कार्य व देश हित में उनका योगदान अविस्मरणीय है।
उनको मृत्यु के 55 वर्ष पश्चात् आज अपराधी कह कर संबोधित करना,बेहद आपत्तिजनक व निंदनीय है।— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) August 11, 2019
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने हाल में जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटाते हुए राज्य को जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया. जम्मू कश्मीर में विधानसभा को यथावत रखा है जबकि लद्दाख बगैर विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश रहेगा. इस पर प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए बताया था कि शांति को देखते हुए ऐसा किया गया है. ज्यादा समय तक ऐसा नहीं रहने वाला. हमारे इस फैसले से न केवल देश में शांति पनपेगी, विकास भी चरम पर होगा.