जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव अब अगले साल गर्मियों तक ही होने के आसार हैं. इससे पहले उम्मीद थी कि महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा के साथ ही जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव होंगे, लेकिन केंद्र सरकार के धारा 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन करने के फैसले के बाद यह उम्मीद समाप्त हो गई है. इसका पहला संकेत यही है कि हाल ही भाजपा ने महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में चुनाव प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रभारी नियुक्त नहीं किया गया है.

गौरतलब है कि 31 जुलाई को भाजपा कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में भाजपा की जम्मू-कश्मीर समन्वय समिति की बैठक हुई थी, जो तीन घंटे चली थी. इसमें अविनाश राय खन्ना को जम्मू-कश्मीर का प्रभारी बनाया गया था, जिन्हें बाद में चुनाव प्रभारी बनाया जाना था. यह काम अब टल गया है. क्योंकि अब किसी भी स्थिति में अक्टूबर में जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव नहीं हो सकते, क्योंकि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 31 अक्टूबर से प्रभावी होगा.

अधिनियम लागू होने के बाद चुनाव आयोग परिसीमन आयोग का गठन करेगा. संसदीय क्षेत्रों और विधानसभा क्षेत्रों का नए सिरे से परिसीमन होगा. इसमें समय लगेगा. जनता की राय भी मांगी जाएगी. जनता की राय मिलने के बाद परिसीमन के मसौदे की अधिसूचना जारी होगी. इसमें दो-तीन महीने का समय लग सकता है. इसके बाद सर्दियों का मौसम शुरू हो जाएगा. कश्मीर घाटी में इस दौरान बर्फबारी होती है और कड़ाके की ठंड पड़ती है. इन परिस्थितियों में अगले साल जून से पहले चुनाव होने की संभावना नहीं बनती है.

अधिनियम में पुनर्गठन के तहत जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सात सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव है. इसके बाद जम्मू क्षेत्र में कश्मीर से ज्यादा सीटें हो जाएंगी. पिछले नवंबर में भंग की गई जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीर की 46, जम्मू की 37 और लद्दाख की चार सीटें थीं. इसके अलावा पाक अधिकृत कश्मीर की 24 सीटें खाली रखी गई थी. लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने से यहां की चार विधानसभा सीटों समाप्त हो जाएंगी. अब लद्दाख से अलग जम्मू-कश्मीर विधानसभा का गठन होगा.

परिसीमन में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के पुनर्निर्धारण पर जोर दिया गया है. परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 114 सीटें होंगी. इनमें पीओके की 24 खाली सीटें भी शामिल हैं. फिलहाल जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीओके को छोड़ कर लद्दाख की चार सीटों सहित कुल 87 सीटें हैं. जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की नई विधानसभा में परिसीमन के बाद विधानसभा सीटों की संख्या 90 पार हो सकती है.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार को राष्ट्र को दिए गए संदेश में स्पष्ट कर चुके हैं कि केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर को बाद में पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा. लेकिन यह वहां की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर निर्भर है. अगर कानून-व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं रही तो जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश ही बना रहेगा. केंद्र सरकार यही चाहेगी कि राज्य की कानून-व्यवस्था उसी के हाथ में रहे.

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