महाराष्ट्र की राजनीति में 10 जनवरी का दिन खास होने वाला है. इस दिन यह तय होने वाला है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का मुख्यमंत्री रूपी सिंहासन रहने वाला है या फिर गिरने वाला है. मुकाबला शिवसेना और शिवसेना के बीच है. बुधवार को शिंदे समर्थित शिवसेना और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे की शिवसेना के बीच है. अगर फैसला शिंदे की शिवसेना के खिलाफ आता है तो उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी जाना तय है. अगर ठाकरे के खिलाफ फैसला आता है तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. हां, उनकी मनोवैज्ञानिक हार जरूर होगी, तो करीब करीब पहले से ही तय है.
दरअसल, महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे और उनके समर्थित 16 विधायकों की अयोग्यता पर बुधवार को फैसला आना है. राज्य के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर इस संबंध में अपना फैसला सुनाने जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, नार्वेकर ने शिवसेना के दोनों गुट के विधायकों की सुनवाई पूरी करते हुए अंतिम फैसले की तैयारी कर ली है. शिवसेना (उद्धव गुट) ने पार्टी तोड़कर जाने वाले विधायकों को अयोग्य घोषित करने के मामले में जल्द फैसला लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने विधानसभा अध्यक्ष को फैसले के लिए 10 जनवरी की डेडलाइन दी थी.
अंतिम निर्णय से पहले ही फैसले पर उठे सवाल –
वैसे तो तय है कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा फैसला क्या आने वाला है. फिर भी पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने फैसले से पहले सवाल खड़े किए हैं. ठाकरे ने स्पीकर नार्वेकर के फैसला सुनाने की डेडलाइन से पहले बीते मंगलवार को ही उनकी और एकनाथ शिंदे के बीच मुलाकात को लेकर सवाल उठाए. ठाकरे ने कहा कि फैसला सुनाने की डेडलाइन से पहले बीते मंगलवार को स्पीकर नार्वेकर ने एकनाथ शिंदे से दो बार मुलाकात की, जिससे जनता समझ चुकी है कि फैसला क्या होगा.
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इधर, विस अध्यक्ष नार्वेकर ने कहा है कि मुख्यमंत्री से 3 जनवरी को मेरी निर्धारित मुलाकात थी. इसके बाद मैं एक जरूरी कारण से मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री से मिला, तो क्या इसका मतलब यह है कि मुझे उनसे नहीं मिलना चाहिए. कुछ लोग मेरी निर्णय लेने की प्रक्रिया पर दबाव डालने के लिए ऐसे मूर्खतापूर्ण आरोप लगाते हैं, लेकिन मैं कानून के मुताबिक ही फैसला लूंगा.
वहीं, प्रदेश के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने सरकार स्थिर रहने का दावा किया है. उन्होंने कहा कि हमारा अलायंस कानूनी रूप से वैध है और हमें उम्मीद है कि स्पीकर का फैसला भी हमारे पक्ष में ही आएगा.
फैसले का क्या होगा असर –
वैसे तो स्पीकर राहुल नार्वेकर का फैसला सत्ताधारी सरकार और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पक्ष में ही आने वाला है. फिर भी अगर ऐसा न हुअ तो शिंदे को मुख्यमंत्री पद से तुरंत इस्तीफा देना होगा और तकनीकी तौर पर सरकार गिर जाएगी. हालांकि अजित पवार के एनसीपी गुट के पास बहुमत से ज्यादा विधायक होने के कारण महायुति सरकार दोबारा आएगी, लेकिन मुख्यमंत्री कोई और होगा. अयोग्य ठहराए गए शिंदे दोबारा शपथ नहीं ले पाएंगे. इस फैसले के बाद अब तक पराजित रहे ठाकरे ग्रुप की ताकत बढ़ सकती है. इसके विपरीत, अगर शिंदे योग्य हो गए तो ठाकरे के कुछ अन्य विधायक भी उनका साथ छोड़ सकते हैं. अजित पवार गुट के विधायक अयोग्यता मामले में भी इसी तर्ज पर फैसला आने की संभावना है.