कांग्रेस गलियारों में आजकल यह चर्चा तेज है कि क्या लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद सचिन पायलट को पीसीसी चीफ पद पर बरकरार रखा जाएगा या हटाया जाएगा. इन कयासों पर खुद सचिन पायलट ने एक बयान के जरिए ब्रेक लगाने की कोशिश की है. पायलट ने कहा कि बदलाव हर जगह होते रहते हैं.चुनाव में हार-जीत चलती रहती है लेकिन उनका लक्ष्य अगले पंचायत चुनाव की तैयारी में जुट जाना है.

साफ है कि उनके इस बयान से संकेत गया है कि पंचायती चुनाव तक वें ही पीसीसी चीफ की कमान संभालते रहेंगेे. सचिन पायलट करीब साढ़े पांच साल से इस पद पर विराजमान हैं. लंबे समय तक प्रदेशाध्यक्ष रहने वालों की सूची में पायलट तीसरे नंबर पर हैं. इस लिस्ट में पहले नंबर पर परसराम मदेरणा हैं जिन्होंने करीब छह साल तक पीसीसी चीफ का पदभार संभाला है.

खुद ने दिए पद पर बने रहने के संकेत
जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद ही यह तस्वीर साफ होगी कि पायलट प्रदेशाध्यक्ष पद पर बने रहेंगे या दूसरे नेता को मौका दिया जाएगा. कुछ का कहना है कि सीएम और डिप्टी सीएम बनाने के फॉर्मूले के दौरान आलाकमान के साथ बंद कमरे में क्या बातें हुई, उन पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा. इन तमाम कयासों के बीच सचिन पायलट ने शुक्रवार को पीसीसी में एक प्रेस कॉन्फ्रेस में एक बयान से सबको चौंका दिया. पायलट ने कहा, ‘परिवर्तन होते रहते हैं हर जगह. मेरा ध्यान पंचायत चुनाव की तैयारी में जुट जाना है.’ बता दें, राजस्थान में अगले साल यानि 2020 में पंचायत के चुनाव होंगे.

विधानसभा चुनाव में किया था खुद को साबित
पीसीसी चीफ बनने के बाद सचिन पायलट ने पांच साल काम करते हुए कांग्रेस को सत्ता में लाने की पहली अग्निपरीक्षा तो पास कर ली. अब उनकी असली परीक्षा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा सीटें दिलाने की होगी. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल सका था. ऐसे में कांग्रेस के पक्ष में परिणाम लाना पायलट के लिए बड़ा टास्क था. हालांकि राज्य में सरकार कांंग्रेस की है. ऐसे में संगठन के साथ सरकार का भी रिपोर्ट कार्ड मायने रखेगा.

खैर…पायलट प्रदेशाध्यक्ष पद पर रहेंगे या नहीं रहेंगे, यह चर्चा तो लोकसभा चुनाव के परिणाम और उसके कईं दिनों बाद भी जारी रहेगी. हालांकि तमाम बातें सीटों के आंकड़ों पर निर्भर रहेगी. सीटे कम या ज्यादा आने पर बहुत कुछ निर्भर करेगा.

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