महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही प्रदेश की राजनीति में हलचल शुरू हो गयी है. एक तरफ सत्ताधारी महायुति सरकार में गठबंधन को लेकर दरार पड़ती दिख रही है. दूसरी तरफ, महाविकास अघाड़ी में सीटों को लेकर बातचीत शुरू हो चुकी है. वहीं सीटों के बंटवारे से पहले रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भारतीय जनता पार्टी को आंखे दिखाना शुरू कर दिया है. उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 10 से 12 सीटों की मांग की है. डिमांड पूरी न होने पर गठबंधन को छोड़ने और महाविकास अघाड़ी से जुड़ने के भी स्पष्ट तौर पर संकेत दिए हैं. अठावले फिलहाल मोदी सरकार में मंत्री हैं.
अगर उनकी मांग न मानी गयी और उन्हें गठबंधन छोड़ना पड़ता है तो अकेले चुनाव लड़ने के बारे में अठावले ने कहा कि यह संभव नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि अकेले लड़ने की जिद संभव नहीं, लेकिन हम जिस भी गठबंधन के साथ रहेंगे तो उसमें मजबूती मिलेगी. अठावले ने स्पष्ट तौर पर कहा कि हम तीसरी अघाड़ी में नहीं जाएंगे. जहां मैं नहीं, उस अघाड़ी का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने एमवीए को खुद के साथ आने का सुझाव दिया है.
आरपीआई चीफ का बयान ऐसे समय में आया है, जब सत्ताधारी दल शिवसेना-बीजेपी-एनसीपी वाली महायुति के बीच सीटों की डील फाइनल नहीं हो पाई है. ऐसे में अठावले की ओर से 10 से 12 सीटों की डिमांड करना महायुति के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर सकती है. वहीं महाविकास अघाड़ी में शामिल उद्धव ठाकरे की शिवसेना, कांग्रेस और शरद पवार समर्थित एनसीपी के बीच भी सीट बंटवारे को लेकर बातचीत शुरू हो गयी है. हाल में शरद पवार ने बयान दिया था कि आगामी 10 से 15 दिन में तीनों प्रमुख दलों के अलावा एमवीए में शामिल अन्य दलों के बीच सीट बंटवारे की कार्रवाई पूरी हो जाएगी.
यह भी पढ़ें: आदित्य ठाकरे की इस जीत ने बीजेपी को चौंकाया! क्या यही तो नहीं पतन की शुरूआत?
हालांकि महाविकास अघाड़ी में सीट बंटवारे को लेकर कोई खास दिक्कत नहीं आने वाली है. यहां सब आसानी से निपट जाएगा. कांग्रेस सबसे बड़े राजनीति दल होने के नाते कुछ अतिरिक्त सीटों पर हक जमाएगी. शिवसेना और एनसीपी को बराबर बराबर सीट हासिल होंगी. महायुति में परेशानियां काफी ज्यादा है. 288 में से बीजेपी अकेले 150 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रही है.
कुछ सीटें अन्य सहयोगी पार्टियों के लिए भी सुरक्षित रखी जाएंगी. ऐसे में एकनाथ शिंदे और अजित पवार दोनों को मिलाकर 60-70 सीटें मिलेंगी. वहीं दोनों पार्टियां 70-70 सीटों पर दावा ठोक रही है. अब देखना ये है कि क्या दोनों गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर सहमति बन पाती है. वहीं रामदास अठावले किस पाले में जाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने की तैयारी करते हैं.