‘मोदी के होते हुए भारत को कोई आंख नहीं दिखा सकता’ चीन-नेपाल संकट पर रविशंकर की दो टूक

चीन-नेपाल बॉर्डर पर बन रहे तनावपूर्ण हालातों पर दिया बयान, तुरंत दिखा असर, नेपाल ने छोड़ा भारतीय क्षेत्रों पर दावा तो चीन ने कही शांति समझौते की पालना की बात

चीन-नेपाल बॉर्डर
चीन-नेपाल बॉर्डर

पॉलिटॉक्स न्यूज. चीन और नेपाल बॉर्डर पर लगातार बने हुए तनावपूर्ण हालातों पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दो टूक जवाब देते हुए कहा​ कि ये 2020 सदी का भारत है, मोदी का भारत है. मोदी के होते हुए भारत को कोई आंख नहीं दिखा सकता. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन और नेपाल बॉर्डर पर लगातार तनावपूर्ण हालातों पर किए सवाल पर बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने ये करारा जवाब दिया. दरअसल इस महीने की शुरुआत से ही लद्दाख में चीनी सैनिक और भारतीय सैनिक आमने-सामने हैं, चीन की ओर से लगातार सैनिकों की संख्या बढ़ाने और बेस बनाने की खबरें आ रही हैं. ऐसे में भारत भी पूरी तरह से मुस्तैद है. कानून मंत्री के इस दो टूक का असर तुरंत ही दिखाई भी देने लगा जब नेपाल ने हाल में जारी किए नक्शों पर अपना पक्ष रखते हुए इससे पीछे हटने का फैसला किया. इधर, चीन ने भी सीमा पर शांति समझौते की पालना की बात कही है.

दरअसल, बीजेपी की ओर से देश में कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन को लेकर राहुल गांधी की बयानबाजी के जवाब में बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी. इस दौरान जब एक पत्रकार ने चीन-नेपाल बॉर्डर पर विवाद के संबंध में सवाल पूछा तो कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ये 2020 सदी का भारत है, मोदी का भारत है. मोदी के होते हुए भारत को कोई आंख नहीं दिखा सकता.

यह भी पढ़ेें: रविशंकर प्रसाद ने गिनाई राहुल गांधी की 5 खास विशेषताएं, लॉकडाउन को बताया था ‘फेल’

इससे पहले बीते दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मसले पर प्रधानमंत्री कार्यालय में चर्चा की थी. पीएम मोदी ने मंगलवार को लद्दाख मामले पर पूरी रिपोर्ट ली, साथ ही तीनों सेना के प्रमुखों से विकल्प सुझाने के लिए कहा गया. इस दौरान सेना प्रमुखों, सीडीएस से इस मसले पर ब्लू प्रिंट मांगा गया. इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी मौजूद रहे. पीएम मोदी की बैठक से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मसले पर बैठक करते हुए भारत—लद्दाख बॉर्डर पर अपनी सड़क का निर्माण नहीं रोकने का फैसला लिया.

वहीं दूसरी ओर नेपाल बॉर्डर पर एक सड़क उद्घाटन के बाद से ही नेपाली सरकार बयानबाजी कर रही थी और अपने नए जारी नक्शों में उत्तराखंड का कुछ हिस्सा अपने हिस्से में दिखाया. नेपाल ने इस संबंध में वार्ता की पेशकश भी की लेकिन भारत की ओर से इस संबंध में ज्यादा ध्यान नहीं दिया. फिर सामने आने लगा कि नेपाल चीन से मदद की गुहार लगा रहा है. आज नेपाल ने नए नक्शों में दिखाए ​भारतीय क्षेत्रों पर दावे से अपने कदम पीछे खींच लिए और संसद में इस हेतू प्रस्ताव पारित कराने से भी मनाही कर ली.

यह भी पढ़ेें: क्या सच में भारत के खिलाफ नेपाल को मिल रही चीन से आंतरिक मदद!

दूसरी ओर, चीन ने शांति समझौते का पालन करने की बात कही. बता दें, 6-7 मई को चीन और भारत के सैनिकों की सीमा की निगरानी के दौरान पेंग्योंग लेक इलाके में झड़प भी हुई थी. इसके बाद से पूर्वी लद्दाख की सीमा पर लगातार तनाव बना हुआ है. भारतीय सीमा के निकट चीनी सैनिकों के तंबू गाड़ने की भी खबरें मिलीं थी.

इधर, नेपाल और चीन के पीछे हटने से अन्य पड़ौसी देशों को भी सबक मिलेगा और घुसपैठ की घटनाओं में कमी आएगी. लॉकडाउन के दौरान पाकिस्तान और बांग्लादेश की बॉर्डर से लगातार घुसपैठ की खबरें आ रही थीं लेकिन अब उनके दुसाहस को लगाम लगेगी. कानून मंत्री ने नेपाल और चीन पर आंखें तरेरते हुए कहा कि भारत अपने फैसलों से पीछे नहीं हटेगा.

Leave a Reply