पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. कारोना वायरस के बढते संक्रमण के चलते आगामी 26 मार्च को होने वाले राज्यसभा चुनाव स्थगित कर दिए गए हैं. चुनाव आयोग ने मंगलवार को चुनाव स्थगित करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया. उल्लेखनीय है कि आंधप्रदेश, गुजरात, झारखंड, मध्यप्रदेश, मणिपुर, मेघालय और राजस्थान में 18 सीटों पर चुनाव होने थे जिन्हें अब स्थगित कर दिया गया है. इसी के तहत राजस्थान में भी 3 सीटों पर होने वाले राज्यसभा चुनाव स्थगित हो गए हैं. चुनाव स्थगित किए जाने के निर्णय पर एक बार फिर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच विरोधाभास देखने को मिला. जहां एक ओर सीएम गहलोत ने निर्वाचन आयोग के इस फैसले की कडी निंदा की तो वहीं पायलट ने आयोग के इस फैसले का स्वागत किया है.
नोटिफिकेशन जारी करते हुए चुनाव आयोग ने बताया कि ग्यारह मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोना वायरस को विश्वव्यापी महामारी घोषित किये जाने के बाद केन्द्र सरकार ने देश में सभी रेल सेवाओं और विमान सेवाओं को बंद कर दिया और कई राज्यों में लॉकडाउन की घोषण कर दी गयी है. इसे देखते हुये राज्यसभा चुनाव को स्थगित किया जा रहा है तथा स्थिति सामान्य होने पर चुनाव की नई तारीखों की घोषणा की जाएगी. राजस्थान में तीन सीटों पर चुनाव होने थे. यहां से भाजपा और कांग्रेस के दो-दो उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. कांग्रेस ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल और राजस्थान युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नीरज डांगी को तो भाजपा ने प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री राजेन्द्र गहलोत और पूर्व सांसद औंकार सिंह लखावत को चुनाव मैदान में उतारा.
निर्वाचन आयोग के राज्यसभा चुनाव को स्थगित करने के बाद आए बयानों में सीएम गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच एक बार फिर से विरोधाभास देखा गया. विरोधभास भी ऐसे समय में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद पूरे देश की निगाहें पायलट पर हैं. जानकारों की माने तो राजस्थान में पायलट की स्थिती भी ठीक वैसी ही है जैसी मध्यप्रदेश में सिंधिया की थी. हालांकि पायलट इस तरह की बातों से पार्टी छोडने की बात से साफ इनकार कर चुके है. लेकिन मंगलवार को आए सीएम गहलोत और पायलट के विरोधाभासी बयानों के बाद एक बार फिर से कानाफूसी शुरू हो गई.
दरअसल, निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव स्थगित किये जाने के बाद सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा कि, “किसी भी राजनीतिक दलों को विश्वास में लिए बिना राज्यसभा चुनाव को स्थगित करने का भारत निर्वाचन आयोग का निर्णय अत्यंत निंदनीय है. सबसे चिंताजनक बात यह है कि संसद का सत्र कल तक चल रहा था और कल मध्यप्रदेश में आयोजित हुए शपथ ग्रहण समारोह को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया. वहीं राज्यसभा चुनाव को एक दिन पहले स्थगित करने का निर्णय संदेह के घेरे में है, क्योंकि बीजेपी गुजरात और राजस्थान में हॉर्स ट्रेंडिंग में सफल नहीं हो पा रही है. बीेजेपी नेता राज्यसभा चुनाव के लिए कुछ ओर समय चाहते हैं, लोकतंत्र के लिए यह दुखद दिन है.”
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वहीं उपमुख्यमंत्री व पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने अपने निवास पर प्रेस को सम्बोधित करते हुए निर्वाचन आयोग के फैसले का सही ठहराते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग ने देशभर में 26 मार्च को राज्यसभा के होने वाले चुनाव को स्थगित किया है. यह एक अच्छा कदम है क्योंकि सभी विधानसभाओं से मतदान करने के लिए विधायक आते, प्रदेश में धारा 144 लगी हुई है उस दिशा में निर्वाचन आयोग द्वारा राज्यसभा चुनाव को स्थगित करने का निर्णय एक अच्छा निर्णय है. इससे जनता में एक संदेश भी जाएगा कि राजनेता और सरकारें भी प्राथमिकता जन सुरक्षा को दे रहे है. कोरोना से एहतियात बरतने की जो मुहीम है उसको प्राथमिकता दे रहे है.
वहीं कुछ नेताओं द्वारा निर्वाचन आयोग के फैसले पर सवाल उठाये जाने के सवाल पर पायलट ने कहा कि निर्वाचन आयेग ने राज्यसभा चुनाव को स्थगित करने का निर्णय लिया है. निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है निर्वाचन आयोग पर सवाल उठाना ठीक नहीं है. राज्यसभा चुनाव को लेकर बहुत से विधायक पहले ही यह आशंका व्यक्त कर चुके थे कि वो अपनी सुरक्षा को लेकर वोट डालने नहीं आएंगे, इसी दृष्टिकोण से अलग अलग राज्यों ने अपना मत दिया होगा उस मत को सुनने के बाद निर्वाचन आयोग ने चुनाव को स्थगित करने का निर्णय लिया है.