Politalks.News/Rajasthan. ऐसा बताया जा रहा है कि अब कांग्रेस में बगावत की पुरानी बातें समाप्त हो गई हैं. गहलोत सरकार के बहुमत साबित करने के बाद सचिन पायलट सहित 18 विधायकों की नाराजगी की चर्चा भी अब बडा विषय नहीं रही.
सचिन पायलट भी कह चुके हैं कि अपना मर्ज डाॅक्टर को बता दिया है और डॉक्टर ने भी मर्ज ठीक करने के लिए तीन सदस्यों की कमेटी का एक डोज तैयार किया गया है. लेकिन कांग्रेस आलाकमान का यह डोज कितना कारगर होगा, यह तो भविष्य के गर्भ में छुपा है. लेकिन प्रदेश कांग्रेस में मुख्यमंत्री गहलोत और सचिन पायलट के बीच हुई सुलह के बाद से अब तक के घटनाक्रम इस बात के साफ संकेत दे रहे हैं कि पार्टी और सरकार में अपने प्रभाव को दिखाने के लिए घमासान पार्ट-2 शुरू हो चुका है.
कुछ बातें हैं, जो सियासी गलियारों में खास चर्चा में है, इन घटनाक्रमों को कुछ प्वाइंट से समझा जा सकता हैं: –
1. दिल्ली से लौटने वाले विधायक नहीं रुके होटल में
शुरूआत सुलह के पहले दिन से ही की जाए तो समझने में आसानी रहेगी. आलाकमान से बात कर सचिन पायलट सहित 18 विधायक उस समय लौटे थे, जब कांग्रेस के बाकी 102 विधायक जयपुर की एक होटल में हुई बाडेबंदी में थे. लेकिन इन विधायकों को पहले से होटल में ठहरे विधायकों के साथ नहीं रखा गया.
2. विधानसभा में पायलट की अलग से पीछे लगी कुर्सी
बहुमत परीक्षण की कार्यवाही में भाग लेने जब सचिन पायलट विधानसभा पहुंचे, तो उन्हें मंत्री खाचरियावास के पीछे की एक सीट पर बैठाया गया. वहां भी कोविड 19 के चलते सोफे के बजाए एक अलग से कुर्सी पर पायलट को बैठना पडा. हालांकि यहां पायलट ने कहा कि उन्होंने उनके सिटिंग अर्जेमेंट को देखते हुए सोचा कि उन्हें पक्ष और विपक्ष के बीच बनी सरहद पर भेजा गया है और सरहद पर सिर्फ योद्धा को ही भेजा जाता है. खैर पायलट को योद्धा मानकर सरहद पर भेजने वाले ही इस बात की सच्चाई पर प्रकाश डाल सकते हैं. यह अलग बात है कि किसी भी मीडिया ने सरकार से नहीं पूछा कि सुलह के बाद पायलट के साथ ऐसा व्यवहार क्यूं?
यह भी पढ़ें: सोनिया गांधी के बाद अशोक गहलोत बन सकते हैं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष!
3. सुलह के बाद से अब तक सिर्फ एक बार हुई मुलाकात
दिल्ली से लौटने के बाद से अब तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच केवल एक बार मुलाकात हुई है, वो भी केसी वेणुगोपाल, अजय माकन और अविनाश पांडे की मध्यस्थता में. अगर सुलह हो चुकी है, तो फिर दोनों एक दूसरे के साथ अभी तक वापस क्यों नहीं बैठे? दोनों के बीच अभी भी इतनी दूरी क्यों बनी हुई है?
4. पायलट पहुंचे तो गहलोत का कार्यक्रम रदद
हाल ही में राजीव गांधी की जयंती पर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में श्रद्धांजलि का कार्यक्रम निर्धारित था. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पहुंचना भी पूर्व-निर्धारित था. उनका रूट तक तय हो चुका था लेकिन एन वक्त पर मुख्यमंत्री गहलोत का पीसीसी जाने का कार्यक्रम रद्द हो गया. सुर्खिखोरों की मानें तो मुख्यमंत्री गहलोत के पहुंचने से पहले सचिन पायलट कांग्रेस कार्यलय पहुंच गए थे, इसलिए सीएम गहलोत ने अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया. अब इस बात की चर्चा ना हो ऐसा तो हो नहीं सकता. यही वो अवसर था जब दोनों की बिना किसी की मध्यस्थता में पहली बार मुलाकात होती नजर आ रही थी, खैर हो नहीं सकी.
5 कांग्रेस का पक्ष रखने वालों में पायलट नहीं
कोरोना महामारी को लेकर विधानसभा में दो-दो हाथ दिखाते हुए शुक्रवार को गर्मागर्म बहस हुई. राजस्थान की जनता ने इसका खूब आनंद उठाया. सरकार और विपक्ष जनता को लेकर आमने- सामने थे. दोनों और से नेताओं ने अपने-अपने पक्ष को लेकर भाषण दिए. कांग्रेस और भाजपा से 20 से अधिक विधायकों ने अपने दमदार भाषण दिए. लेकिन इन भाषणों में अगर कोई नजर नहीं आया तो वो थे सचिन पायलट. यहां पहलू यह है कि कांग्रेस की ओर से कौन पक्ष रखेगा यह कांग्रेस के नेताओं को ही तय करना था. यानि कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मंत्री शांति धारीवाल, मंत्री संतोष सिंह खाचरियवास और प्रदेश अध्यक्ष गोविंदसिंह डटोसरा ही इस समय कांग्रेस के मुख्य नेता हैं, जिन्हें विधानसभा में कांग्रेस का पक्ष रखने वालों के नाम तय करने थे. मोटी बुद्धि की बात यह है कि अगर वाकई सुलह होकर मन मिल चुके होते तो कोरोना को लेकर विधानसभा में सचिन पायलट से भी भाषण दिलवाया जाता, जो नहीं हुआ.
यह भी पढ़ें: गांधी परिवार के दो बड़े निर्णय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राजनीति को चुनौती देने से कम नहीं
6. इलाज के लिए बनी कमेटी, कब शुरू करेगी काम
पयलट सहित 18 विधायकों के मर्ज के इलाज के लिए आलाकमान ने डाॅक्टर के रूप में तीन सदस्य कमेटी तो बना दी, लेकिन सवाल बना हुआ है कि अब तक हुआ क्या? इस कमेटी ने अब तक किया क्या? अभी तक इस कमेटी को लेकर ऐसा कोई समाचार नहीं आया है कि यह कमेटी जयपुर कब आएगी? आएगी भी या नहीं? या फिर सबको दिल्ली बुलाया जाएगा. यानि इस कमेटी की आगे की कार्रवाई के बारे में अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं है.
यह तो हुई बडे नेताओं से जुडे घटनाक्रम की बात, अब नजर डाल लेते हैं मंझले स्तर पर प्रदेश कांग्रेस में क्या चल रहा है: –
1. ना खत्म हुई तलखी और ना ही तेवर
सुलह के फार्मूले को लेकर मानेसर से जयपुर लौटे पायलट खेमे के विधायक अपनी नाराजगी समाप्त कर जयपुर पहुंचने के बाद भी पुराने तेवरों में ही बयान दे रहे हैं. उनके बयानों में कहीं में मुख्यमंत्री गहलोत के प्रति नरमी नजर नहीं आ रही. उनके द्वारा अपनी ही सरकार के लिए कहा जा रहा है कि जनता के काम नहीं हो रहे हैं. जनता ने उन्हें काम करने के लिए चुना हैं, सो वो काम कराकर ही मानेंगे.
2 विधायकों ने मुख्यमंत्री को थमाया मांग पत्र
दो दिन पहले कुछ विधायकों ने मुख्यमंत्री को कई कामों से जुडा लंबा पर्चा यानि कि मांग पत्र थमा दिया. चर्चा में है कि इसमें कई भर्तीयों सहित कई महकमों की सुविधा बढाने के साथ-साथ उनके विधानसभा क्षेत्रों के विकास कार्यों को लेकर जिक्र यानि की दूसरे शब्दों में मांग की गई है. एक अर्थ में कह सकते हैं कि मुख्यमंत्री पर विभिन्न मांगों को लेकर दबाव बनाने का काम शुरू हो चुका है.
3. यूथ कांग्रेस अध्यक्ष सहित संगठन में नए पदाधिकारियों की नियुक्तियां शुरू
सचिन पायलट के मानेसर जाने के बाद उनके स्थान पर नए प्रदेश अध्यक्ष गोविंदसिंह डटोसरा को घोषित किया गया. इसके साथ ही पायलट के समय बनाए गए सभी तरह के पदाधिकारियों के पद स्वत ही समाप्त हो गए. इसका अर्थ है कि हर पद पर नए सिरे से नियुक्ति होगी. वहीं हाल ही में ऑनलाइन पोलिंग में गड़बड़ी के खुलासे के बाद प्रदेश यूथ कांग्रेस अध्यक्ष बने विधायक मुकेश भाकर के स्थान पर बगावती दिनों में नए अध्यक्ष की घोषणा हो चुकी है. खास बात यह है कि सोमवार को उनके पदभार ग्रहण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद भाग लेंगे. अगर सुलह हो चुकी है और भूलो, माफ करो, आगे बढ़ो के सिद्धांत पर हम चक रहे हैं तो मुकेश भाकर को भी तो माफ किया जाना चाहिए था.
यह भी पढ़ें: सचिन पायलट खेमे की वापसी का राज – गांधी परिवार के बड़े वफ़ादार केसी वेणुगोपाल के पास
पायलट का दिल्ली जाना बना चर्चा का विषय
इस दौरान चर्चा यह भी है कि सचिन पायलट का जयपुर से दिल्ली जाने और आने का सिलसिला बना हुआ है, हालांकि पायलट पहले से ही शनिवार-रविवार दिल्ली जाते रहे हैं, लेकिन इन दिनों पायलट के दिल्ली दौरे पर खास नजर है. माना जा रहा है कि पायलट ने जिस डाॅक्टर को मर्ज बताया था, उससे संपर्क करने का प्रयास कर रहे हैं. यह बताने के लिए कि मर्ज के इलाज के लिए जो तीन सदस्यों की डोज तैयार की है, उसका तो असर कुछ नजर ही नहीं आ रहा है.
ऐसे में कहीं यह सारे घटनाक्रम सुलह में सुलगती किसी नई आग की तरफ तो संकेत नहीं कर रहे हैं. एक के बाद एक बनने वाली स्थितियों से तो धुंआ उठता नजर आ रहा है.