Politalks.News/RajasthanByElection. प्रदेश की 3 विधानसभा सीटों सहाड़ा, राजसमंद और सुजानगढ़ में हो रहे उपचुनाव में प्रचार संपन्न हो गया है. प्रचार के आखिरी दिन भी कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने प्रचार से दूरी बनाए रखी, जिसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज है. इन प्रमुख नेताओं में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और प्रदेश प्रभारी अजय माकन शामिल हैं. अब तक सुजानगढ़ पर फोकस रखने वाले पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा ने भी प्रचार के आखिरी दिन सहाड़ा और राजसमंद की भी सुध लेनी चाही लेकिन ऐन समय कोरोना प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए उन्होने अपना दौरा केंसिल कर दिया. पीसीसी चीफ डोटासरा को यहां आधा दर्जन से ज्यादा स्थानों पर जनसभाएं करनी थी.
आपको बता दें, इन सबमें सबसे ज्यादा हैरानी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को लेकर है, कांग्रेस के दोनों ही दिग्गज नेता नामांकन के बाद से एक बार भी प्रचार के लिए नहीं गए. प्रचार के आखिरी दिन पायलट ने जयपुर स्थित अपने आवास पर अपने समर्थकों से मुलाकात की. गौरतलब है कि पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने बुधवार को मीडिया से बातचीत के दौरान अपने मन की बात आलाकमान तक पहुंचाने की कोशिश की थी. पायलट ने कहा कि उपचुनाव के बाद अब कोई कारण नहीं रह जाता है कि मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां ना हो. मतदान से पहले पायलट का अपना पक्ष मीडिया में रखना कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में चर्चा का विषय बना हुआ है.
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कांग्रेस प्रत्याशी चाहते थे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सभा
सूत्रों की माने तो तीनों ही सीटों के प्रत्याशियों की मंशा थी कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तीनों ही सीटों पर एक-एक बार और जनसभा करें, लेकिन तीनों सीटों का प्रचार के लिए मुख्यमंत्री गहलोत का दौरा नहीं बन पाया. हालांकि हाल ही में हुए असम व केरल के विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम गहलोत असम और सचिन पायलट असम और केरल विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए गए थे. लेकिन दोनों ही दिग्गजों का राजस्थान की तीनों ही सीटों नामांकन सभा के बाद प्रचार नहीं करना चर्चा का विषय बना हुआ है.
माकन ने राजसमंद सहाड़ा की सुध ली, लेकिन सुजानगढ़ से बनाई दूरी
दूसरी और प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने उपचुनाव में सुजानगढ़ से दूरी बनाकर रखी हालांकि वह प्रचार के लिए राजसमंद और सहाड़ा तो गए लेकिन नामांकन के बाद प्रचार के लिए सुजानगढ़ नहीं जा पाए. बता दें, मुख्यमंत्री गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और प्रदेश प्रभारी अजय माकन एक साथ 30 मार्च को तीनों सीटों पर नामांकन के दौरान आयोजित जनसभाओं को संबोधित करने गए थे.
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बीजेपी में भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है बीजेपी की स्टार प्रचारक पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पूरे प्रचार में दिखाई नहीं दीं. मैडम राजे के समर्थकों ने भी चुनाव प्रचार से उचित दूरी बनाए रखी. प्रदेश भाजपा ने मैडम राजे की जगह प्रचार के लिए उनके भतीजे ज्योदिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतारा. जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि इस निर्णय के पीछे भाजपा कुछ बड़ा प्लान कर रही है.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस बार भाजपा ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर उपचुनाव लड़ने की योजना बनाई है और अगर भाजपा का यह सियासी दांव सक्सेस फुल हो जाता है तो आगामी विधानसभा चुनाव भी इस लाइन पर लड़ा जाएगा. वहीं पार्टी से जुड़े जमीनी नेताओं का मानना है कि वसुंधरा राजे को साइड लाइन करने से उपचुनाव में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है. बीजेपी पार्टी के साथ ही कांग्रेस के नेता भी इस पर चुटकी लेते नजर आ रहे हैं.
इस राजनीतिक घटनाक्रम पर कांग्रेस ने निशाना साधा है. सहाड़ा विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की कमान संभाल रहे चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने गंगापुर में भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि प्रचार के लिए बुआजी वसुंधरा राजे को लाना चाहिए, लेकिन उन्हें तो नहीं ला पाना और मध्यप्रदेश से भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर आना ही भाजपा की नैतिक हार है. दस साल तक मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा जी चुनावों में क्यों नहीं आई. भाजपा में नीचे तक गुट बन चुके हैं. वसुंधरा राजे के समर्थकों को प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया के समर्थक अपमानित कर रहे हैं. मंत्री शर्मा ने कहा कि भाजपा का ये झगड़ा ही उन्हें ले डूबेगा.
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वहीं राजस्थान में उपचुनाव से ठीक पहले किसान आंदोलन के मुद्दे पर NDA से अलग होने वाली RLP ने उपचुनावों को रोचक बना दिया है. बेनीवाल उपचुनाव में बीजेपी को सबक सिखाकर राजस्थान की सियासत में खुद को बड़े खिलाड़ी की भूमिका में दिखाना चाहते हैं. RLP के संयोजक हनुमान बेनीवाल के प्रचार अभियान ने कांग्रेस और बीजेपी के रणनीतिकारों की नींद उड़ा दी. आपको बता दें, हनुमान बेनीवाल ने उपचुनाव में आक्रामक प्रचार किया, यहां तक कि प्रचार के आखिरी दिन सांसद हनुमान बेनीवाल ने हैलीकॉप्टर से तीनों सीटों पर जाकर प्रचार किया है. जनसभाओं में बेनीवाल के निशाने पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही रहे हैं. तीनों ही सीटों पर RLP ने जातिगण समीकरण साधते हुए दमदार उम्मीदवार उतारे हैं.
उपचुनाव के पूरे घटनाक्रम पर लोग अपने-अपने हिसाब से सियासी कयास लगा रहे हैं. वैसे चर्चा ये भी है इस चुनाव में पार्टियों ने अपने दिवंगत विधायकों के परिजनों को मैदान में उतारा है, जिससे सहानुभूति वाला फैक्टर भी इन सीटों पर हावी रहने की संभावना है. साथ ही इन चुनाव में जीत हार का दोनों की पार्टियों के संख्या बल पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है. केवल एक मोरल विक्ट्री वाला मामला है, इसलिए भी दिग्गजों ने प्रचार में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है.