पॉलिटॉक्स न्यूज. कोरोना वायरस के संकट और पिछले लगातार 54 दिनों से चल रहे लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था धड़ाम से नीचे आ गिरी है. इसे फिर से पटरी पर लाने के लिए पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज जारी किया है. इस भारी भरकम राहत पैकेज से राहुल गांधी बिलकुल भी संतुष्ठ नहीं हैं और उन्होंने इसे राहत नहीं बल्कि साहुकार का कर्ज कहकर संबोधित किया. राहुल का इतना ही कहना था कि बीजेपी के तमाम नेता उखड़ गए. इसके बाद एक ओर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने राहुल गांधी का समर्थन किया, वहीं संबित पात्रा ने ’70 साल’ वाला जुमला दोहराया. अन्य नेताओं ने भी राहुल गांधी को घेरने की कोशिश की. कुल मिलाकर कोरोना काल में राजनीति की हांडी में बयानों की गर्मागर्म खिचड़ी पक रही है.
दरअसल राहुल गांधी ने शनिवार को एक वीडियो प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सड़क पर चलने वाले प्रवासी मजदूरों को कर्ज नहीं, पैसे की जरूरत है. राहुल गांधी ने सरकार की मदद को नाकाफी बताते हुए कहा कि उनकी सहायता कर्ज का पैकेट नहीं होना चाहिए. किसान, प्रवासी मजदूरों की जेब में सीधा पैसा जाना चाहिए. सरकार को साहूकार नहीं, मां की तरह व्यवहार करना होगा. कांग्रेस नेता ने ये भी कहा कि इस वक्त सबसे बड़ी जरूरत डिमांड-सप्लाई को शुरू करने की है. उन्होंने कहा कि आपको गाड़ी चलाने के लिए तेल की जरूरत होती है. जब तक आप कार्बोरेटर में तेल नहीं डालेंगे, गाड़ी स्टार्ट नहीं होगी. मुझे डर है कि जब इंजन शुरू होगा तो कहीं तेल नहीं होने की वजह से गाड़ी ही नहीं चले.
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इसके बाद बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी के बयान पर कहा कि पैसा सीधे लोगों की जेब में पहुंच रहा है. कांग्रेस ने जो 70 सालों में नहीं किया उसे मोदी सरकार ने केवल छह साल में करके देश और दुनिया को दिखा दिया है. पात्रा ने कहा, ‘आर्थिक तूफान रोकने का सरकार ने इंतजाम किया है. कांग्रेस राज में भ्रष्टाचार की सुनामी थी. मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार की सफाई की है.’ राहुल गांधी के सीधे लोगों के खाते में पैसे डालने की बात पर पात्रा ने कहा कि राशन और पैसा सीधे जरूरतमंद के खाते में पहुंचाया गया है. 8 करोड़ किसानों को पैसा दिया गया. महिला जनधन खातों में सीधे पैसे डाले जा रहे हैं. विधवा, दिव्यांग, बुजुर्गों को पैसे दिए गए. अब तक खातों में 34 हजार करोड़ रुपये डाले गए हैं. सरकार ने प्रवासी मजदूरों को 3400 करोड़ रुपये दिए. ईपीएफओ में 700 करोड़ रुपये दिए गए हैं.
इधर, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी को स्वदेशी से परेशानी है. उनको भलाई के काम हजम नहीं होते. यह उधार नहीं बल्कि किसानों का उद्धार है. 41 करोड़ से अधिक किसानों को मजदूरों को इसी दौरान डीबीटी से लाभ पहुंचाया गया है. नकवी ने कहा कि देश में कोरोना महामारी के कारण उद्योग-व्यापार और यातायात सब ठप होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ही 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया है.
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इसी कड़ी में केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि जो राहुल गांधी गरीबों के लिए मांग कर रहे हैं, सरकार ने उससे ज्यादा ही दिया है. केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने कहा कि कांग्रेस की हालत ‘अंगूर खट्टे हैं’ वाली है. कांग्रेस पार्टी अभी तक इस बात को स्वीकार नहीं कर पायी है कि वो सत्ता से बाहर है. विपक्ष के सरकार पर सवाल उठाए जाने को लेकर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मजदूरों के अलावा किसानों पर फोकस किया गया है, 52 हजार करोड़ रुपये से अधिक पैसा आज लोगों के हाथ में पहुंच गया है. इसमें सीधे खाते में पैसा, खर्चा, अनाज दिया जा रहा है. जावड़ेकर ने कहा कि विपक्ष पूछ रहा है कैश कहां है, लेकिन हमारी सरकार डिजिटल के भरोसे चलती है. दो महीने के अंदर 52 हजार करोड़ से अधिक रुपया भेज दिया है.
वहीं कांग्रेस के सीनियर लीडर मनीष तिवारी ने पूरजोर राहुल गांधी का समर्थन किया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि भारत को राहत पैकेज की जरूरत थी लेकिन सरकार ने लोन मेला लगा दिया. इस संकट की घड़ी में लोन मेला की जरूरत नहीं थी. मनीष तिवारी ने औरैया और औरंगाबाद में मजदूरों की मौत का जिक्र करते हुए तिवारी ने कहा कि आखिर क्यों रोज मजदूर रेल के आगे कट रहे हैं? क्यों रोड पर डेथ हो रही है? क्या मजदूरों को सुरक्षित नहीं पहुंचाया जा सकता है? सरकार को उनके बारे में सोचना चाहिए.
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मनीष तिवारी के सवाल पर बीजेपी नेता जयंत सिन्हा ने पलटवार करते हुए कहा कि हमारी सरकार ने करोड़ों लोगों को जान बचाई इसलिए हम दोषी है. प्रशासनिक समझदारी के कारण ही हम सुरक्षित हैं. उन्होंने तिवारी की सवालबाजी को सियासत बताया. बीजेपी सांसद ने राज्य सरकारों की ओर इशारा करते हुए कहा कि मैं इंसानियत के तौर पर भीख मांग रहा हूं कि जो रोड पर हैं, उन्हें घर पहुंचाएं. उन्होंने इस काम में राज्य सरकारों को केंद्र का सहयोग करने की सलाह दी.
जयंत सिन्हा के जवाब पर मनीष तिवारी ने पलटवार करते हुए कहा कि मैं जयंत सिन्हा को याद दिलाना चाहता हूं, किसी से जवाब मांगना सियासत नहीं होता. लाखों मजदूर पलायन कर रहे हैं. भारत के विभाजन के बाद सबसे बड़ी मानवीय आपदा है लेकिन केंद्र सरकार ने 25 मार्च से लेकर 16 मई तक बसों का इंतजाम तक नहीं कराया.
तिवारी ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पर जोरदार प्रहार करते हुए कहा कि वित्तमंत्री कहती हैं श्रमिक ट्रेन ने 10 लाख लोगों को अपने गृह राज्य पहुंचाया है लेकिन मजदूरों की संख्या तो 11 करोड़ है? कांग्रेस नेता ने सवाल पूछते हुए कहा कि इतना सब होते हुए भी 3.90 करोड़ श्रमिक सड़कों पर धक्के क्यों खा रहे हैं?