वर्तमान में सीएम गहलोत से भी ज्यादा पॉवरफुल हैं सीपी जोशी, चाहें तो सरकार गिरा दें- सुमित्रा सिंह

प्रदेश सरकार की चाबी अब सीपी जोशी के हाथ में है, मौजूदा सियासी घटनाक्रम में 76 कांग्रेस विधायकों ने अपने इस्तीफे जोशी को सौंपे हैं, जिस पर निर्णय जोशी को ही लेना है, अब जोशी चाहें तो सरकार गिरा दें और चाहें तो बचा लें- पूर्व विधानसभाध्यक्ष सुमित्रा सिंह

joshi sumitra singh copy
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Politalks.News/RajasthanPoliticalCrisis. राजस्थान में जो मौजूदा परिस्थितियां बनी है उसमें यदि सबसे पावरफुल कोई है तो वो विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ही है. क्योंकि मौजूदा परिस्थितियों में विधायकों के इस्तीफे उनके पास होने की बात सामने आ रही है. ऐसे में वे चाहें तो उसे स्वीकार करके सरकार गिरा भी सकते हैं और चाहें तो सरकार बचा भी सकते हैं…. यह कहना है राजस्थान विधानसभा की पहली महिला अध्यक्ष रहीं सुमित्रा सिंह का. सुमित्रा सिंह की गिनती राजस्थान में उन वरिष्ठ राजनीतिज्ञों में होती है जो ना केवल कांग्रेस, बल्कि भाजपा और जनता दल से भी विधायक रह चुकी हैं. राजनीतिक जीवन में उनका लंबा अनुभव रहा है. पूर्व विधानसभाध्यक्ष सुमित्रा सिंह ने मौजूदा घटनाक्रम को बेहद दुखद बताया और कहा कि इन परिस्थितियों में सरकार के टिके रहने की संभावना बेहद कम है.

आपको बता दें कि राजस्थान में नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर जारी सियासी घमासान के बीच बीते रविवार को हुए हाईवोल्टेज सियासी ड्रामे के लिए पर्यवेक्षक अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे ने जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को तकनीकी तौर पर क्लीनचिट दे दी है तो वहीं सीएम गहलोत के बेहद करीबी माने जाने वाले नेताओं को दोषी करार दिया गया है. ऐसे में आलाकमान ने संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक महेश जोशी और सीएम गहलोत के हनुमान माने जाने वाले RTDC चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसका इन तीनों दिग्गजों को अगले 10 दिन में जवाब देना है. इसी बीच डिजिटल मीडिया ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह ने बड़ा बयान दिया है.

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सुमित्रा सिंह ने कहा कि कांग्रेस में जारी सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से ज्यादा पावरफुल अब विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी हो गए हैं. क्योंकि प्रदेश सरकार की चाबी अब उनके हाथ में ही है. मौजूदा सियासी घटनाक्रम में 76 विधायकों ने अपने इस्तीफे जोशी को सौंपे हैं, जिस पर निर्णय जोशी को ही लेना है. सुमित्रा सिंह ने आगे कहा कि विधायकों ने जो इस्तीफे दिए वह एबनॉर्मल परिस्थितियों में दिए. रविवार रात में इतने विधायक एकत्रित होकर विधानसभा अध्यक्ष के घर पहुंचते हैं और इस्तीफे देते हैं तो यह अब एबनॉर्मल परिस्थितियां हैं. यदि नॉर्मल परिस्थितियों में विधायक सुबह के समय विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पहुंच कर अपना इस्तीफा देता है तो उसे सामान्य परिस्थिति मानी जाती है.

सुमित्रा सिंह ने आगे बताया कि अब विधानसभा अध्यक्ष के नाते यह सीपी जोशी के विवेक पर निर्भर करता है कि वो इसे एबनॉर्मल परिस्थितियां मानकर डिसीजन टाल दें. सुमित्रा सिंह यह भी कहती है कि व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर विधायक ने इस्तीफा दिया है, लेकिन उसमें क्या कुछ लिखा है यह किसी को नहीं मालूम. यह तो केवल स्पीकर सीपी जोशी ही बता सकते हैं. सुमित्रा सिंह के अनुसार नियम यही कहता है कि इस्तीफा मिलने पर विधानसभा अध्यक्ष उसे कुछ दिनों के लिए टाल सकता है, लेकिन लंबे समय तक के लिए नहीं टाला जा सकता. हालांकि, यह सब कुछ निर्भर करता है कि इस्तीफे में क्या कुछ लिखा गया है.

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गौरतलब है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नामांकन से पर्दा हटने के बाद प्रदेश में नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर बीते रविवार सीएम आवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक रखी गई थी. लेकिन इस बैठक का बहिष्कार करते हुए गहलोत समर्थक लगभग 76 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के आवास पहुंचकर अपने इस्तीफे सीपी जोशी को सौंप दिए थे. हालांकि, इस्तीफों पर विधानसभा अध्यक्ष भी चुप्पी साधे हुए हैं और कोई निर्णय नहीं ले रहे.

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