Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में सीएम अशोक गहलोत और पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट के बीच की सियासी तकरार के चलते अब दोनों गुटों के विधायक खुलकर एक दूसरे पर हमला बोल रहे हैं. मंगलवार को लगातार दूसरे दिन बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में आए विधायकों ने जयपुर में बैठक कर जहां एक ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में अपनी निष्ठा जताई, वहीं सचिन पायलट गुट पर खुलकर हमला बोला है. सचिन पायलट गुट पर गद्दारी का आरोप लगाते हुए विधायक संदीप यादव ने तो यहां तक कह दिया कि गहलोत सरकार से बगावत करने वाले 19 विधायक गद्दार हैं, जिनकी वजह से सरकार गिरने वाली थी. ऐसे लोग किस हक से कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बना रहे हैं. बसपा विधायकों ने कहा कि आलाकमान को अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करनी चाहिए और उनके खिलाफ (पायलट गुट) कार्रवाई करनी चाहिए.
बसपा से कांग्रेसी बने विधायक संदीप यादव ने कहा कि आपकी (पायलट गुट) मेहनत की वजह से सरकार नहीं बनी, सरकार हम लोगों की वजह से बची है. सरकार आपने बनने के बाद बिगाड़ दी, जिन लोगों ने सरकार बचाई हाईकमान को उन लोगों को ईनाम देना चाहिए. जो लोग यह कह रहे हैं कि हमारे कार्यकर्ताओं ने सरकार बनाई है, उन कार्यकर्ताओं की मेहनत से सरकार नहीं बची, सरकार हमारी टीम की वजह से बची है. यादव ने आगे कहा कि, जिन लोगों ने पार्टी के साथ गद्दारी, जिन लोगों ने सरकार को अस्थिर करने का काम किया, वे किस हक से हाईकमान पर दबाव बना रहे हैं और हाईकमान किस हक से उनकी बात सुन रहा है? उनकी वजह से तो सरकार गिर चुकी थी. वे (पायलट गुट) बार बार कहते हैं कि हाईकमान कांग्रेस कार्यकर्ताओं की सुनें, किन कार्यकर्ताओं की सुनें?
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वहीं उदयपुरवाटी विधायक राजेद्र गुढा ने कहा कांग्रेस आलाकमान को असली और नकली में पहचान करनी होगी, हम असली हैं जिन्होंने सरकार बचाई. गुढ़ा ने कहा कि अशोक गहलोत हमारे नेता हैं, उनके कोई शिकायत नहीं है. हाईकमान को समझना होगा कि जिन 19 विधायकों ने गद्दारी की उनकी सुनने के बजाय हमारी बात मानी जाए. बैठक में मौजूद बसपा से कांग्रेस में आए विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा, जोगेंद्र अवाना, लाखन सिंह और संदीप यादव ने एक सुर में पायलट ग्रुप पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘जो लोग कैबिनेट मंत्री बने वो कांग्रेस को छोड़ के चले गए थे, लेकिन हमने सरकार को बचाया. वफादार और गैर वफादार में अंतर नहीं तो फिर क्या मतलब है.
बसपा विधायकों ने कहा कि आलाकमान को यह देखना चाहिए कि वफादार और गैर वफादार कौन है. जिन लोगों ने सरकार बचाई उनका मान सम्मान रहना चाहिए. जिन लोगों की वजह से एक-डेढ़ महीने तक हम होटल में कैद रहे, लोगों के काम नहीं हुए, उसका जिम्मेदार कौन हैं? आलाकमान को इसे देखना चाहिए. इस दौरान सभी बसपा विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रति नाराजगी होने से भी साफ इंकार किया.
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जानकर सूत्रों की मानें तो बसपा विधायकों का इस तरह से पायलट गुट पर हमला बोलना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की रणनीति का एक हिस्सा है. इस पूरी कवायद से आलाकमान को यह सन्देश दिया गया है कि पायलट गुट के विधायकों को अगर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया तो सियासी संकट के समय सरकार के साथ खड़े रहे समर्थक विधायकों में गलत मैसेज जाएगा. क्योंकि मंत्रिमंडल में 9 ही पद खाली हैं, एक दो मंत्रियों को खराब परफॉर्मेंस के चलते हटा भी देते हैं तो भी 11 ही होंगे, जिनमें 3 तो बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों को ही देने हैं. इनके अलावा निर्दलीय और कांग्रेस के अपने वरिष्ठ विधायकों में से भी शामिल करना आवश्यक है. जबकि सचिन पायलट पहले से अपने 5 या 6 विधायकों के लिए मंत्रीपद मांग रहे हैं. खैर, सारी बातों का सार यह है कि प्रदेश में सियासी घमासान अपने चरम पर है और आने वाले दिनों में कुछ बड़े राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिल सकते हैं. वहीं अब बसपा से कांग्रेसी बने विधायकों की आज की बयानबाजी पर पायलट गुट का जवाबी हमला क्या होगा, इस पर भी सभी की निगाहें टिक गई हैं.