पॉलिटॉक्स न्यूज़/मध्यप्रदेश. मध्यप्रदेश में सियासी संग्राम अपने चरम पर है. जहां एक ओर पिछले दो दिनों से गायब विधायकों ने कांग्रेस के बीजेपी पर विधायकों को अगवा करके बंधक बनाए जाने के आरोपों को खारिज कर दिया तो वहीं गुरुवार को चार लापता कांग्रेस विधायकों में से एक सुवासरा से कांग्रेस विधायक हरदीप डंग ने विधानसभा की सदस्यता से अपना इस्तीफा दे दिया है. विधायक हरदीप सिंह डंग ने विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को अपना इस्तीफा भेज दिया है. पत्र में हरदीप डंग ने कहा कि दूसरी बार लोगों का जनादेश मिलने के बावजूद पार्टी द्वारा उनकी लगातार अनदेखी की जा रही है. हरदीप सिंह डंग ने अपने पत्र में कहा कि ‘कोई भी मंत्री काम करने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि वे एक भ्रष्ट सरकार का हिस्सा हैं.’
शिवराज सिंह चौहान और भदौरिया ने संभाला मौर्चा
दूसरी तरफ प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली में तो भाजपा नेता अरविंद भदौरिया ने बेंगलुरु में मोर्चा संभाल लिया है. वहीं निर्दलीय विधायकों के आक्रामक तेवर व कांग्रेस नेताओं को उनकी ओर से दी जा रही चेतावनी ने सरकार की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री कमलनाथ को डैमेज कंट्रोल के लिए खुद मैदान में उतरना पड़ा है. सीएम कमलनाथ नाराज विधायकों को खुद मना रहे हैं. सियासी उलझन के बीच मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को आपात कैबिनेट की बैठक भी बुलाई है.
जिन विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप बीजेपी पर लगाया उन्होंने ही दी सरकार को चेतावनी
मध्यप्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता जिन विधायकों की खरीद-फरोख्त किए जाने का आरोप भाजपा पर लगा रही थे, गुरुवार को उन्हीं विधायकों ने कांग्रेस नेताओं और कैबिनेट मंत्री जीतू पटवारी व जयवर्धन सिंह को चेतावनी दे दी. उन्होंने कहा कि वे अपने नंबर बढ़ाने के लिए ऊटपटांग बयान न दें. बसपा विधायक संजीव सिंह कुशवाह ने कहा कि कांग्रेस के मंत्री सुधर जाएं वरना अगली बार रेस्क्यू का मौका भी नहीं मिलेगा. समाजवादी पार्टी के विधायक राजेश शुक्ला ने चेताया कि वे कमलनाथ सरकार को समर्थन दे रहे हैं, पर खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया तो प्रमाण दो, वरना राज्यसभा चुनाव में हमें क्या फैसला लेना हैं, हम तय करेंगे. वहीं बसपा से निलंबित विधायक राम बाई ने कहा कि खरीद-फरोख्त का आरोप लगाने वालों से सवाल किया जाना चाहिए, साथ ही कहा कि कुछ राज को राज ही रहने दो.
ना भाजपा और ना ही कांग्रेस में इतनी हिम्मत है कि मुझे हाथ लगा सके
विधायक रामबाई ने कांग्रेस नेताओं के बीजेपी पर लगाए आरोपों को झूठा बताते हुए कहा कि, “मेरा दिल्ली जाने का कार्यक्रम पहले से ही तय था. मेरी बेटी ने फ्लाइट का टिकट बुक कराया था. दिग्विजय का भूपेंद्र सिंह के साथ जाने का आरोप गलत है. किसी ने मुझे हाथ तक नहीं लगाया और कहा जा रहा है कि मारपीट की गई. ना भाजपा और ना ही कांग्रेस में इतनी हिम्मत है कि मुझे हाथ लगा सके. भाजपा पर लगाए जा रहे खरीद-फरोख्त के सभी आरोप गलत हैं.” वहीं बसपा के ही एमएलए संजीव सिंह ने कहा कि ”मुझे खुद आश्चर्य हुआ, ये मंत्री कह रहे हैं, ठीक नहीं है. वे अपने संगठन में पार्टी हाईकमान में अपने नंबर बढ़ाना चाहते हैं. मैं आपके माध्यम से चेतावनी देना चाहता हूं कि हमारे कंधे पर बंदूक रखकर नंबर ना बढ़ाएं.” इन विधायकों के ऐसे रवैये से बीजेपी को चुटकी लेने का मौका मिल गया है. बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इनको सोचना चाहिए, चले कैसे जाते हैं. इतनी नाराजगी भी क्या कि इनके साथ कोई रहना नहीं चाहता.
बता दें, हॉर्स ट्रेडिंग के आरोपों को लेकर चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच बुधवार को चार बागी विधायकों को कांग्रेस विशेष विमान से दिल्ली से भोपाल ले गई थी, जबकि चार विधायकों का पता नहीं चल सका था. इस बीच लापता विधायकों के बेंगलुरु में होने की चर्चाएं उड़ी. ऐसे में बेंगलुरु भेजे गए कांग्रेस के तीन विधायक (बिसाहूलाल सिंह, रघुराज सिंह कंषाना और हरदीप सिंह डंग) और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा के गुरुवार तक भोपाल पहुंचने की संभावना जताई गई थी, लेकिन वे लौटे तो नहीं बल्कि सुवासरा से कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग ने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति और मुख्यमंत्री कमलनाथ को भेज दिया.
ये बोले मुख्यमंत्री और विधानसभाध्यक्ष
विधायक हरदीप सिंह डंग के इस्तीफे पर विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने एक बयान में कहा है कि – ”मुझे सुवासरा विधायक हरदीप सिंह डंग के इस्तीफ़ा देने की ख़बर मिली है. उन्होंने मुझसे प्रत्यक्ष रूप से मिलकर इस्तीफ़ा नहीं सौंपा है. जब वे प्रत्यक्ष रूप से मुझसे मिलकर इस्तीफ़ा सौपेंगे तो मैं नियमानुसार उस पर विचार कर आवश्यक कदम उठाऊंगा.’ वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि, “डंग हमारी पार्टी के विधायक हैं, उनके इस्तीफा देने की खबर मिली है, लेकिन मुझे अभी तक उनका इस संबंध में ना तो कोई पत्र मिला है और ना ही उन्होंने मुझसे कोई चर्चा की है. जब तक मेरी उनसे इस संबंध में चर्चा नहीं हो जाती, तब तक इस बारे में कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा.”
गड़बड़ा सकता है विधानसभा में सरकार का बहुमत का गणित
लापता चार कांग्रेस विधायकों में से एक हरदीप डंग ने तो अपना इस्तीफा सौंप दिया जबकि बाकी के तीन विधायकों का अभी तक कुछ पता नहीं है. ऐसे में मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के पास 113 विधायक बचे हैं, बीजेपी के पास 107 एमएलए हैं. 230 सदस्यों वाली विधानसभा में फिलहाल दो सदस्यों के निधन से संख्या 228 हैं. इसमें कांग्रेस को दो बसपा, एक सपा और चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है, लेकिन एक निर्दलीय भी गायब है. ऐसे में डंग के इस्तीफे के बाद शेष बचे 227 सदस्यों वाले सदन में भाजपा अपने 107 और अन्य के समर्थन से 114 तक पहुंच सकती है. वहीं सूत्रों की मानें तो कुछ कांग्रेस विधायक भी अपना इस्तीफा दे सकते हैं और यदि इस्तीफे हुए तो कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ सकती है.
ऑपरेशन लोटस नहीं ऑपरेशन होली चला रही बीजेपी
जानकार सूत्रों के मुताबिक इस पूरे ऑपरेशन को ऑपरेशन होली का नाम दिया गया. सूत्र ये भी कह रहे हैं खतरा खत्म नहीं हुआ, सरकार पर बढ़े संकट के बाद भाजपा एक बार फिर पूरी तैयारी के साथ हमला बोल सकती है. इसी तैयारी के चलते पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले चौबीस घंटे से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और भाजपा के कुशल प्रबंधक माने जाने वाले वरिष्ठ नेता अरविंद भदौरिया सियासी संग्राम का मोर्चा संभालने बेंगलुर पहुंच गए हैं. उनके प्रयासों के बाद ही विधायकों के इस्तीफे की शुरुआत हो गई है.
गौरतलब है कि कांग्रेस के दिग्गज नेता चार दिनों से आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा उनके विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सरकार गिराने की कोशिश में जुटी है. मंगलवार देर रात राजनीतिक ड्रामा उस वक्त शुरू हुआ, जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस, बसपा और सपा के कुल नौ विधायक अचानक गायब हो गए. इनमें से पांच विधायकों को बुधवार देर रात भोपाल लाया गया. हालांकि, कांग्रेस के चार विधायकों बिसाहूलाल, हरदीप सिंह डंग, रघुराज कंसाना और निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा की लोकेशन नहीं मिल रही थी. अब इसमें से हरदीप सिंह डंग ने अपना इस्तीफा दे दिया है. इससे पहले मंगलवार को कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि भाजपा विधायकों को करोड़ रुपये और मंत्री पद देने का प्रलोभन दे रही है. इसके बाद से प्रदेश की सियासत गर्म है और गुरुवार को कमलनाथ सरकार के भविष्य पर संकट और ज्यादा गहरा गया है.