Politalks.News/AmitShah. पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम 10 मार्च को आने हैं. इससे पहले एक रोचक सियासी चर्चा जारी है. पिछले 8 साल से भारतीय जनता पार्टी नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नाम पर चुनाव लड़ती आई है. चुनाव में हर जगह मोदी-शाह का नाम होता था. भाजपा की दो यूएसपी रहती थी, पहली- मोदी का करिश्मा और भाषण तो दूसरी- अमित शाह का प्रबंधन और तैयारी, ये दो चीजें थीं, जिन पर भाजपा चुनाव लड़ती थी और जीतती थी. 2013 से भारत की राजनीति में मोदी-शाह युग की शुरुआत हुई इस काल में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Assembly Elections 2022) में तीन चुनाव हुए हैं और तीनों चुनाव अमित शाह ने लड़वाए और जीतवाए इसमें कोई शक नहीं है. अबकी बार यूपी का चुनाव अलग है. पार्टी ने मोदी (PM Narendra Modi) और योगी (Yogi AdityaNath) के नाम पर चुनाव लड़ा है. सियासी चर्चा है कि इस बार के चुनाव में पार्टी के पक्ष में रिजल्ट नहीं आता है तो आने वाले चुनाव में फिर से पार्टी में शाह की अपरिहार्यता बढ़ेगी और फिर से मोदी शाह की जोड़ी मैदान में दिखाई देना तय मानी जा रही है.
भाजपा के ‘चाणक्य’ अमित शाह के नेतृत्व में पहली बार यानी 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव थे. दूसरी बार यानी 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के अध्यक्ष थे और तीसरी बार यानी 2019 के लोकसभा चुनाव में अध्यक्ष के विस्तारित कार्यकाल के तहत वे पार्टी को चुनाव लड़ा रहे थे और इसमें कोई भी दो राय नहीं है कि तीनों ही चुनावों में भाजपा ने जोरदार जीत दर्ज की थी. सबसे बड़ी जीच 2014 में हुई थी जब यूपी में भाजपा ने जोरदार जीत दर्ज कर दिल्ली में मोदी युग की नींव रखी थी.
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सियासी चर्चा ये है कि इस बार का चुनाव खास है. तीन बार की ताबड़तोड़ जीत के बाद यह उत्तर प्रदेश का चौथा चुनाव है और पहली बार ऐसा है कि चुनाव मोदी और शाह के चेहरे पर नहीं लड़ा गया है, बल्कि मोदी-योगी के चेहरे पर चुनाव हुआ है. कई जगह तो योगी-मोदी का नारा लगा है यानी मोदी से भी पहले योगी का नाम! देश के सबसे बड़े राज्य में, जहां से 80 लोकसभा सांसद चुन कर आते हैं. वहां भाजपा में वरीयता का पदानुक्रम मोदी और उसके बाद योगी का है. इसमें संदेह नहीं है कि अमित शाह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी थे और उन्होंने खूब मेहनत भी की. पूर्वांचल में भी उन्होंने सभाएं कि और रोडशो भी किए. लेकिन पिछले तीन चुनावों जैसी सक्रियता और तेवर शाह के भी दिखाई नहीं दिए. आखिरी चरण के मतदान से ठीक पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेंस करके भाजपा की जीत का दावा भी किया.
सियासी जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के सात चरण के चुनाव में किसी भी चुनावी नारे या चुनावी गीत में शाह का नाम नहीं दिखा. पार्टी के पोस्टर में भी मोदी और योगी ही लिखा हुआ है. यहां तक कि पार्टी के पोस्टर में, जहां योगी का चेहरा पहले पीछे होता था वहां, उनका चेहरा अब आगे हो गया है, एक तरफ मोदी-शाह के पोस्टर, जिसमें शाह का चेहरा पीछे है और दूसरी ओर अकेले योगी का चेहरा!.
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सियासी जानकारों का कहना है कि इस बार का उत्तर प्रदेश का चुनाव नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ का चुनाव है. पिछले आठ साल में हुए तीन चुनावों में भाजपा को तीनों बार भारी-भरकम जीत मिली है. प्रदेश की विपक्षी पार्टियों ने बड़े बड़े गठबंधन किए इसके बावजूद भाजपा जीती. इस बार कोई गठबंधन नहीं है और सारी पार्टियां जोर आजमाइश कर रही हैं इसके बावजूद भाजपा के पसीने छूट रहे हैं. कुछ जानकारों का तो यह भी कहना है कि अगर पहले के तीन चुनावों की तरह भाजपा इस बार का चुनाव नहीं जीत पाई तो पार्टी में बड़ी उलटफेर होगा. यह नरेंद्र मोदी का करिश्मा कम होने का सबूत होगा तो अमित शाह की अपरिहार्यता बनवाने वाला होगा. फिर अगले लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री और पार्टी पूरी तरह से शाह पर निर्भर बनेंगे.