Politalks.News/karnataka. कर्नाटक (Karnataka) के पूर्व सीएम कुमारस्वामी (KUMARSWAMI) ने प्रदेश में समय से पहले चुनाव होने की संभावना जताई है. कुमारस्वामी के इस बयान के बाद कर्नाटक जैसे अहम राज्य को लेकर सियासी चर्चाओं का दौर जारी है. वैसे तो प्रदेश में चुनाव अगले साल 2023 अप्रैल- मई में होने हैं. सियासी जानकारों का कहना है कि कुमारस्वामी का ये बयान ऐसे ही सामने नहीं आया है. कुमारस्वामी को पता है कि हिजाब (hijab controversy) और शिवमोगा में बजरंग दल कार्यकर्ता की हत्या के बाद हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण का एक मौका भाजपा को मिला है उसे भुनाने की तैयारी कर रही है. क्योंकि माहौल बसवराज बोम्मई नीत सरकार के पक्ष में नही हैं. पार्टी को भी करारी हार का डर है. अब इसे टालने के लिए पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व जल्दी चुनाव करवाने का दांव खेल सकता है. पॉलिटॉक्स के सूत्रों का दावा है कि ‘भाजपा के दिग्गज रणनीतिकार मानते हैं कि कर्नाटक के चुनाव इस साल नवंबर-दिसंबर में प्रस्तावित गुजरात चुनाव (Gujarat Assembly Election) के साथ करा लिए जाएं.’
बोम्मई सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी!
दरअसल, कर्नाटक में भाजपा 3 साल पुरानी सरकार, आंतरिक कलह, भ्रष्टाचार और सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है. हांलाकि हाल के हिजाब विवाद और शिवमोगा में बजरंग दल के कार्यकर्ता की हत्या जैसे घटनाक्रम ने हिंदु वोटों को भाजपा की ओर मोड़ने मे मदद की है. पार्टी के रणनीतिकार इसे जल्दी भुनाने की सोच रहे हैं.
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JDS में भागदौड़ वाले हालात!
दूसरी ओर, विपक्षी जनता दल (सेक्युलर) में दलबदल की स्थिति बनी हुई है. पार्टी के ऐसे कई विधायक हैं जो अपने दम पर जीत सकते हैं. वह या तो पार्टी छोड़ चुके हैं या चुनाव की तारीखें घोषित होने पर पार्टी छोड़ने का मन बना चुके हैं. इस उथल-पुथल का फायदा वैसे तो कांग्रेस को मिलना चाहिए, लेकिन राज्य कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पार्टी नेता सिद्धारमैया नेतृत्व को लेकर चल रहे घमासान ने ऐसी उम्मीदों को फीका कर दिया.
कुमारस्वामी दे चुके हैं संकेत!
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और JDS के नेता एच. डी. कुमारस्वामी ने रविवार को कहा कि ‘कर्नाटक में विधानसभा चुनाव जल्द होने की संभावना है’. कुमारस्वामी ने यहां कहा कि, ‘उनकी पार्टी चुनाव की तैयारी कर रही है. राष्ट्रीय पार्टियां राज्य की जनता के साथ विश्वासघात कर रही हैं’. साथ ही यह भी आरोप लगाया कि ‘मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने राज्य की जनता के साथ विश्वासघात किया है.’
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कांग्रेस उलझी है अंतरकलह में!
माना जा रहा है कि सामुदायिक स्तर पर सिद्धारमैया के मुकाबले शिवकुमार की लोकप्रियता बेहद कम है. कांग्रेस को अब कुरुबा-मुस्लिम पार्टी के रूप में देखा जाता है. पार्टी को दक्षिण कर्नाटक में जीत के लिए वोकालिगा समुदाय के सर्मथन की जरूरत है, जबकि शिवकुमार इस समुदाय को साधने मे असमर्थ दिखते हैं, वहीं कुरबा समुदाय से दूर जाते दिख रहा है. शिवकुमार की लिंगायत बहुल उत्तरी कर्नाटक क्षेत्र में प्रभाव नही हैं.
बोम्मई सरकार के बजट से मिल रहे हैं संकेत
भाजपा की जल्दी चुनाव कराने की मंशा 4 फरवरी को पेश किए बजट से सामने आई. जब सीएम बसवराज बोम्मई ने बड़ी परियोजनाओं के बड़े वादे नहीं किए. जनता पर बोझ बढ़ाने से बचते हुए नया टैक्स नहीं लगाया. लिंगायत, वोकलिंगा का ध्यान रखा. मराठा, जैन, बौध्द, सिख, और ईसाई समुदाय को भी साधा पर मुस्लिम विकास के नाम पर कॉलम खाली रखा.