Politalks.News/MaharashtraPolitics. शिवसेना से बगावत कर बीजेपी की शरण में पहुंचकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे के सामने बहुत कम समय में ही सियासी संकट खड़ा होता नजर आ रहा है. महाराष्ट्र में अभी सरकार बने करीब तीन महीने ही बीते हैं, लेकिन अभी से शिंदे को अपने साथ आए विधायकों की नाराजगी से गुजरना पड़ रहा है. यही कारण है कि वह कैबिनेट का दूसरा विस्तार भी नहीं कर पा रहे हैं. दरअसल शिवसेना से बागी ज्यादातर विधायक एकनाथ शिंदे सरकार में खुद को मंत्री देखना चाहते हैं जबकि सभी को एडजस्ट करना बिलकुल भी संभव नहीं है. वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में असली शिवसेना और नकली शिवसेना का विवाद भी चल रहा है, जो कोर्ट के साथ साथ चुनाव आयोग के समक्ष भी लंबित है. ऐसे में विशेष सूत्रों का कहना है कि कुछ ऐसे विधायक भी हैं, जो मंत्री न बन पाने की स्थिति में उद्धव ठाकरे गुट के साथ जा सकते हैं और आगे वाकई ऐसा होता है तो एकनाथ शिंदे के लिए यह बहुत बड़ी मुश्किल होगी.
सिर्फ 4 विधायक काफी हैं किला ढहाने के लिए
40 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने वाले शिंदे कैंप से अगर चार विधायक भी चले जाते हैं तो फिर एकनाथ शिंदे गुट के सामने दलबदल कानून का खतरा पैदा हो जाएगा. आपको बता दें, एकनाथ शिंदे ने जब शिवसेना से बगावत करके सरकार बनाई थी तो उन्हें शिवसेना के कुल 54 विधायकों में से 40 विधायकों का समर्थन मिला था, ऐसे में उन्हें कम से कम 37 विधायक विवाद हल होने तक अपने साथ रहना जरूरी है ताकि दलबदल कानून से बच सकें. ऐसे में यदि बागी विधायकों में से 4 भी अलग हुए तो संख्या 36 ही रह जाएगी और दलबदल कानून का खतरा पैदा हो जाएगा. यही एकनाथ शिंदे की मुश्किल है, जिसके चलते वह विधायकों को राजी करने का प्रयास कर रहे हैं.
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शिंदे ग्रुप के एक विधायक ने कहा कि, ‘फिलहाल यह पूरा विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. इसके अलावा चुनाव आयोग के पास भी दोनों पक्षों की याचिका लंबित है. लेकिन इस वक्त यदि कैबिनेट विस्तार होता है और यदि मंत्री पद न पाने वाले नेता उद्धव खेमे में चले जाते हैं तो फिर असली शिवसेना पर दावे का आधार ही कमजोर हो जाएगा.’ वहीं दूसरी तरफ आपको यह भी बता दें कि पहले कैबिनेट विस्तार में एकनाथ शिंदे गुट के 40 में से 9 विधायक ही मंत्री बने हैं. ऐसे में बाकी लोगों के बीच असंतोष है कि उन्हें शिवसेना से बगावत करने पर आखिर क्या मिला है. इसके अलावा एक बड़ा गुट यह भी सोच रहा है कि शिवसेना से बगावत पर एक तरफ उनकी चुनावी संभावनाएं कमजोर हो सकती हैं तो दूसरी तरफ उन्हें मंत्री पद जैसे फायदा भी नहीं मिल सका है.
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भाजपा और छोटे दलों की भी है मंत्री पदों पर नजर
आपको बता दें, महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे अपने दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार ने अब ज्यादा से ज्यादा 23 और लोगों को मंत्री बना सकते हैं, जबकि मंत्री बनने की उम्मीद सभी 31 विधायक कर रहे हैं. इसके अलावा भाजपा को भी कोटे में रखना है। ऐसे में एकनाथ शिंदे के लिए यह चिंता की बात है कि कैसे विधायकों को साधा जाए. दरअसल दूसरे कैबिनेट विस्तार पर भाजपा की भी नजर है और उसके विधायकों की संख्या अधिक है, ऐसे में वह ज्यादा मंत्री पद चाहती है. इसके अलावा छोटे दलों के विधायक भी मंत्री पद मांग रहे हैं.