पॉलिटॉक्स न्यूज/पश्चिम बंगाल. एक तरफ देश कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा है, वहीं पश्चिम बंगाल में सियासी वर्चस्व की लड़ाई एक बार फिर अपने चरम पर है. यहां राज्यपाल जगदीप धनकड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच एक बार फिर से घमासान शुरु हो गया है. दरअसल बंगाल में लॉकडाउन के दौरान नियमों के जमकर हो रहे उल्लंघन की शिकायतों के बाद केंद्र सरकार की टीम कोरोना जांच के लिए कोलकाता पहुंची थी, लेकिन ममता ने उन्हें होटल में से बाहर तक नहीं निकलने दिया. इसी बात से नाराज होकर गवर्नर ने मंगलवार को एक निजी मीडिया चैनल पर न केवल टीएमसी सरकार पर संगीन आरोप लगाए, साथ ही सीएम ममता बनर्जी के किसी भी पत्र का जवाब न दिए जाने की बात कही.
हुआ कुछ यूं कि लॉकडाउन 2.0 से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई मुख्यमंत्रियों की बैठक के बाद कई सरकारों ने राज्य में 30 अप्रैल तक लॉकडाउन बढ़ा दिया था. लॉकडाउन बढ़ाने वाले राज्यों में बंगाल भी था. इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को लॉकडाउन में ढिलाई को लेकर फटकार लगाई थी. शिकायत मिली थी कि राज्य में लॉकडाउन के नियमों का जमकर उल्लंघन हो रहा है। कहीं मछली बाजार सजा है तो सोशल डिस्टेन्सिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. इसी के साथ धार्मिक आयोजनों के लिए छूट देने का आरोप भी लगाए गए थे.
बता दें, सरकार पर कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़े छुपाने के भी आरोप पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स एसोसिएशन और बीजेपी ने लगाए थे. वहीं केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने फूल मंडी, पान और मिठाई पर भीड़ को लेकर राज्य सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया था कि ममता दीदी तबलीगी जमात से जुड़े लोगों की जांच नहीं करा रही हैं. उस समय तक बंगाल में कोरोनो के 116 केस सामने आए थे.
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इस मामले पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में कहा कि, ‘यह भी सामने आया है कि पुलिस धार्मिक कार्यक्रमों की इजाजत देती रही है. मुफ्त राशन संस्थागत आपूर्ति प्रणाली के माध्यम से नहीं बांटे जा रहे, बल्कि नेताओं द्वारा बांटे जा रहे. हो सकता है कि इसकी वजह से कोविड-19 संक्रमण बढ़ा हो’. गृह मंत्रालय के एक आंतरिक आकलन में ये भी कहा गया है कि बंगाल में कोरोनो वायरस से होने वाली मौतों की संख्या बताई गई संख्या से अधिक होने का अनुमान है. इसमें दावा किया गया है कि मौत के कारण के बारे में गलत जानकारी इसकी वजह हो सकती है.
ऐसे में केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस लॉकडाउन के कथित उल्लंघन की जमीनी हकीकत जानने के लिए कुछ राज्यों में विशेष टीमें भेजी जिसमें बंगाल भी शामिल है. केंद्र की IMCT (इंटर मिनिस्ट्रीयल सेंट्रल टीम) सोमवार को ही बंगाल पहुंच गई थी लेकिन टीम को मंगलवार को कोरोना संक्रमण के जोखिम वाले क्षेत्रों का दौरा करने से रोक दिया गया. टीम के एक सदस्य के अनुसार, उन्हें होटल से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई. टीम की अगुवाई कर रहे रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी अपूर्व चंद्रा ने कहा कि हमने लिखित में बताया था कि हम कुछ जगह का आज दौरा कर सकते हैं लेकिन आज हमें सूचित किया गया कि कुछ दिक्कते हैं और हम बाहर नहीं जा सकते हैं.
ममता सरकार के इस रवैये पर एक निजी चैनल से बातचीत करते हुए राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने ममता सरकार पर संगीन आरोप लगाते हुए कहा कि आज तक ममता बनर्जी ने उनके किसी भी पत्र का जवाब तक नहीं दिया. गवर्नर ने आरोप लगाया कि अभी तक मुझे राज्य सरकार की ओर से कोरोना पर कोई रिपोर्ट नहीं दी गई. उन्होंने ममता सरकार को सकारात्मक रुख अपनाने की नसीयत देते हुए कहा, ‘सबसे पहले 22 मार्च को ममताजी ने कहा कि किट नहीं है. मैंने केंद्र से बात की लिखित में पता चला कि ऐसा नहीं है. ममता बनर्जी की सरकार केंद्र और सांसदों को काम नहीं करने दे रही है. यहां राहत सामग्री में बड़ा घोटला हो रहा है. मैंने तमाम लेफ्ट के नेताओं से बात की, कांग्रेस के नेताओं से बात की, सबका सार्थक जवाब मिलता है लेकिन ममता दीदी का कोई जवाब नहीं आता. उलटा जो विरोधी पार्टी के सांसद हैं अगर वो बाहर आकर लोगों की मदद कर रहे हैं तो उनके खिलाफ मुकदमा लिखवाने की धमकी दी जाती है’.
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि कोरोना के खिलाफ लडाई अकेले नहीं चल सकती है, उन्होंने कहा कि राज्य का प्रथम सेवक होने के नाते ये उनकी जिम्मेदारी है कि वे सरकार के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलें. वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाते हुए राज्यपाल ने कहा कि वे भारत के संविधान का अनादर कर रही हैं और उनका पूरा आचरण राजनीति से प्रेरित है. राज्यपाल ने कहा कि ममता बनर्जी विक्टिम कार्ड खेलती हैं, लेकिन वो विक्टिम नहीं हैं. राज्यपाल धनकड़ ने आगे कहा कि कोरोना पर केंद्र सरकार ने कानून के तहत कमेटी बनाई है, इस पर सुप्रीम कोर्ट का भी निर्देश है आखिर ममता बनर्जी इसका विरोध क्यों कर रही है. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को इस टीम को खुले दिल से स्वागत करना चाहिए था क्योंकि ये टीम कोरोना के खिलाफ लोगों की मदद करने के लिए आई थी.
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वहीं दूसरी ओर, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने भी पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को पत्र लिखकर कहा कि मंत्रालय के ध्यान में लाया गया है कि कोलकाता और जलपाईगुड़ी में इंटर-मिनिस्ट्रीयल सेंट्रल टीमों के लिए राज्य और स्थानीय प्रशासन की ओर से जरूरी सहयोग नहीं किया गया. इन टीमों को क्षेत्रों का दौरा करने, स्वास्थ्यकर्मियों से मिलने और जमीनी स्तर को जानने से रोका गया. वहीं पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने केंद्र के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार की टीम कैसे कोलकाता में लैंड कर सकती है जबकि हमें सिर्फ 15 मिनट पहले ही इस संबंध में सूचना दी गई हो.
इधर, पं.बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्र की टीम को प्रदेश में भेजने पर आपत्ति जाहिर की है. पत्र में ममता ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह से केंद्रीय टीमें भेजने का आधार पूछा है. बंगाल सीएम ने ये भी लिखा कि मुझे दोपहर एक बजे टीम भेजने की सूचना दी गई जबकि वे सुबह ही यहां पहुंच गए थे. ममता के मुताबिक कोलकाता में केवल 11 संक्रमित मरीज हैं, इसके बावजूद कोलकाता को गंभीर ठहराने का आधार क्या है?
बता दें, पश्चिम बंगाल में कोरोना के 392 मरीज हैं. सबसे ज्यादा 11 मरीज कोलकाता में हैं. 365 अन्य मरीज भी हैं लेकिन उनके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी दी गई. यहां 15 मरीजों की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो चुकी है.