संतों की निर्मम हत्या पर फूटा उमा भारती का गुस्सा, क्या उपद्रवी भीड़ से बचाया नहीं जा सकता था संतों को?

उमा भारती ने रखा व्रत, सीएम उद्धव से कहा- कड़ी सजा नहीं मिलने पर आप भी होंगे पाप के भागीदार, घटना पर हिन्दू संगठनों में जबरदस्त रोष, संतों से महाराष्ट्र छोड़कर यूपी आने का किया आग्रह, लॉकडाउन के बाद महाराष्ट्र सरकार का घेराव का एलान, कांग्रेस प्रवक्ता ने उपद्रवी भीड़ के गिरफ्तार हुए लोगों का बीजेपी से जुड़े होने का किया दावा

पॉलिटॉक्स न्यूज/महाराष्ट्र. प्रदेश के पालघर में दो साधूओं सहित तीन लोगों के साथ हुई दरिंदगी और उनकी हत्या के बाद अब हिंदू संगठन एकमत होकर हत्यारों को कठोर सजा देने की मांग कर रहे हैं. बता दें इस मामले में 101 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जबकि 250 फरार हैं. बताया जा रहा है कि घटना वाली रात पहले दादरा-नगर हवेली बॉर्डर पर साधुओं की गाड़ी को रोका गया था लेकिन लॉकडाउन के चलते लौटा दिया गया. इसके बाद वे गडचिंचली के अत्यंत दुर्गम इलाके से गुजरे और वहीं लोगों ने भीड़ ने उन पर हमला कर दिया. इस बीच पुलिस साधुओं को भीड़ से बचाकर चौकी भी ले गई थी, ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि उन्हें चौकी से बाहर नहीं निकालकर अतिरिक्त पुलिस जाब्ता मंगवाकर क्या संतों और ड्राइवर को बचाया नहीं जा सकता था? इससे पहले दादरा-नगर हवेली बॉर्डर पर ही गाड़ी को रोक लिया जाता और वापस नहीं लौटाया जाता तो भी शायद संतों सहित तीनों को बचाया जा सकता था.

दरअसल, दो दिन पहले संत रामगिरी महाराजजी का सूरत में उनके आश्रम में निधन हो गया था. अपने गुरुभाई के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए गुरुवार रात पंच दशनाम जूना अखाड़ा के ब्रह्मलीन संत की समाधि क्रिया में शामिल होने सुशील गिरि महाराज (35), चिकने महाराज कल्पवृक्ष गिरी (70) अपने ड्राइवर के साथ मुंबई के दहिसर से सूरत जाने के लिए निकले. लॉकडाउन की वजह से ड्राइवर ने दुर्गम रास्ते से होकर कार को निकलना ठीक समझा. जब कार दादरा-नगर हवेली के बॉर्डर पर पहुंची तो चैक पॉइंट पर पुलिस ने उन्हें रोका और लॉकडाउन के चलते आगे न जाने देने की बात कहकर उन्हें वापस उसी रास्ते पर लौटा दिया. लौटते वक्त जिला मुख्यालय से करीब 110 किमी.दूर केंद्र शासित राज्य दादरा-नगर हवेली से चंद मीटर दूर पालघर स्थित तलासरी कांसा गांव में घात लगाकर बैठे लोगों ने उन पर हमला कर दिया. यहां न केवल उन्हें जानवरों की तरह पीटा गया, बल्कि उनकी नकदी भी छीनी गई.

लेकिन सवाल ये खड़ा होता है कि जिस तरह वारदात को अंजाम दिया गया, उससे तो किसी भी तरह से ये गफलत वाला मामला नहीं बल्कि लूट और चोरी का मामला ज्यादा लगता है. दूसरी ओर, जैसा कि सीएम ठाकरे ने बताया कि दरअसल क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से रात में फसल काटने और बच्चा चुराने वाला गिरोह के सक्रिय होने की अफवाह फैली हुई है. अफवाह ये भी थी कि अपहरण कर लोगों की किडनी निकाली जा रही है. इससे बचने के लिए ग्रामीणों ने निगरानी दल बनाया था. जब साधुओं की कार वहां से निकली तो गफलत में भीड़ ने उनपर हमला कर दिया और उनकी मौत हो गई. जबकि वायरल हो रहे वीडियो में कहानी कुछ और ही नजर आ रही है.

वीडियो में एक पुलिसकर्मी साधु को चौकी से घायल अवस्था में बाहर निकाल कर ला रहा है. साधु के सिर से पहले से ही खून निकल रहा है. पुलिसकर्मी थोड़ी देर उसके साथ दिखता है और बाद में 8-10 लोग लाठियों से बुरी तरह साधू को जमीन पर लिटाकर लाठियों से पीटते हैं. यहां पुलिस की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध है, इसमें कोई दोराय नहीं है.

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इससे पहले रास्ते में जब साधुओं पर हमला हुआ और शोर ज्यादा मचा तो पुलिस घटना स्थल पर पहुंची और संतो को पुलिस जीप में बिठाकर स्थानीय पुलिस चौकी ले गई. वहां काफी देर उन्हें जीप में बिठाकर रखा गया. ऐसे में भीड़ ने जीप पर पत्थर फेंकने शुरु कर दिए और वहां भी संतों और ड्राइवर से मारपीट की गई जिसमें तीनों बुरी तरह घायल हो गए. उसके बाद पुलिस उन्हें पुलिस चौकी के अंदर ले गई लेकिन थोड़ी देर बाद एक पुलिसकर्मी एक साधु को पकड़कर बाहर लाता है और बाद में भीड़ ने संतों को लाठी डंडों और हथियारों से तब तक मारा जब तक उनके प्राण पखेरू नहीं उड़ गये.

यहां कुछ सवालों पर पुलिस की जवाबदेही बनती है कि उन सभी को पहले जीप में काफी देर बिठाकर क्यों रखा गया जबकि उन्हें पुलिस चौकी में बिठाना चाहिए था? बाद में जब भीड़ ने जीप पर हमला किया तो वहां एक भी पुलिसकर्मी निगरानी के लिए क्यों नहीं था? इसके अलावा पुलिस ने साधुओं को चौकी से बाहर क्यों निकाला जबकि बाहर उपद्रवी मौजूद थे? अगर पुलिस कुछ समय तक इन तीनों को पुलिस चौकी के अंदर ही बैठा कर रखती और कंट्रोल रूम से अतिरिक्त पुलिस बल की मदद मांगती तो उन सभी की जान बच सकती थी. इन संतों के शव सौंपने को लेकर भी पुलिस ने काफी सवाल जवाब किए लेकिन जब पुलिस से इस घटनाक्रम पर पूछताछ की गई तो उन्होंने किसी भी जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया. ऐसे में कहीं न कहीं इस घटना में महाराष्ट्र पुलिस की भूमिका के ऊपर भी एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है.

वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने घटना के सांप्रदायिक व धार्मिक होने से पूरी तरह इनकार किया है. साथ ही थाने के असिस्टेंट इंस्पेक्टर आनंदराव काले और सब इंस्पेक्टर सुधीर कटारे को निलंबित कर दिया है.

इस मामले पर बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर साधुओं की निर्मम हत्या करने वाले दोषियों और मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है. पू्र्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने आज एक दिन का उपवास भी रखा है. साथ ही देश के सभी साधु संतों से भी उपवास की अपील की है. उमा भारती ने महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे को पत्र में लिखा कि आपको महाराष्ट्र में साधुओं की हत्या करने वाले दोषियों दंडित करना ही होगा. साथ ही उन पुलिसकर्मियों पर भी 302 का मुकदमा होना चाहिए जिन्होंने साधुओं को बचाने के बजाये उन्हें भीड़ के हवाले छोड़ दिया. वह चाहते तो हवाई फायरिंग करके साधुओं को बचा सकते थे. मेरा अनुरोध है कि आपको उन सभी पुलिसवालों समेत हत्यारों को कड़ा दंड देना ही होगा अन्यथा आप स्वयं भी इस पाप के भागीदार होंगे.

इस घटना पर हिंदू संगठन बेहद आक्रोशित हैं. वहीं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने सभी साधु संतों को उत्तर प्रदेश आ जाने की सलाह दी है. अखाड़ा अध्यक्ष ने कहा कि यदि साधु संत महाराष्ट्र में खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं तो वे यूपी आ जाएं. साथ ही उन्होंने कहा कि दोषियों को फांसी दी जानी चाहिए. उन्होंने साधु संतों से अपील की कि अभी लॉकडाउन के दौरान काई संत या महात्मा ब्रह्मलीन होता है तो उनकी समाधि पर न जाएं. साथ ही लॉकडाउन के खत्म होने के बाद सभी अखाड़ों के सदस्यों को लेकर महाराष्ट्र सरकार का घेराव करने की बात कही.

इधर, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष महंत प्रेम गिरि ने पुलिस की मौजूदगी में लाठी डंडे से पीटकर संतों की हत्या को निंदनीय बताया. वहीं विहिप के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने पालघर में वामपंथी गतिविधियां जोरों पर होने की बात कही. उधर नागा साधुओं का आक्रोश भी साफ तौर पर देखा जा रहा है.

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अब इस मुद्दे पर सियासत भी रंग लेने लगी है. महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने बीजेपी पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि जिस गांव में साधुओं की हत्या हुई, वो बीजेपी का गढ़ है. गडचिंचली ग्राम पंचायत पर पिछले 10 सालों से बीजेपी काबिज रही है और यहां की सरपंच चित्रा चौधरी है. गिरफ्तार लोगों में भी ज्यादातर बीजेपी से जुड़े हुए हैं.

इधर पालघर में हुई घटना पर गृहमंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे से वार्ता कर घटनाक्रम की पूरी रिपोर्ट मांगी है. वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सीएम ठाकरे से बात कर घटना के जिम्मेदार तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हेतु आग्रह किया.

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