पॉलिटॉक्स न्यूज. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर राष्ट्र के सामने अपनी मन की बात लेकर उपस्थित हुए. इस दौरान पीएम मोदी ने शुरुआत से लेकर अब तक घटित कोरोना काल, परेशानियां, आगे की चुनौतियां और देश में हुए नए इनोवेशन के बारे में बात कही. पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना के खिलाफ रास्ता लंबा है और लड़ाई कठिन लेकिन देश में सबके सामूहिक प्रयासों से कोरोना के खिलाफ लड़ाई बहुत मजबूती से लड़ी जा रही है. हमारी जनसंख्या ज़्यादातर देशों से कई गुना ज्यादा है, फिर भी हमारे देश में कोरोना उतनी तेजी से नहीं फैल पाया, जितना दुनिया के अन्य देशों में फैला. मृत्युदर भी काफी कम है. पीएम मोदी ने कहा कि जो नुकसान हुआ है, उसका दु:ख हम सबको है, लेकिन जो कुछ भी हम बचा पाएं हैं, वो निश्चित तौर पर देश की सामूहिक संकल्पशक्ति का ही परिणाम है. इस दौरान उन्होंने योग साधना के बारे में बताया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि कोरोना संकट के इस दौर में, मेरी विश्व के अनेक नेताओं से बातचीत हुई है, लेकिन विश्व के अनेक नेताओं में इन दिनों बहुत ज्यादा दिलचस्पी योग और आयुर्वेद के सम्बन्ध में होती है. हर जगह लोगों ने योग और उसके साथ-साथ आयुर्वेद के बारे में, और ज्यादा जानना चाहा है. कितने ही लोग, जिन्होंने, कभी योग नहीं किया, वे भी ऑनलाइन योग क्लास से जुड़ गए हैं या ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से भी योग सीख रहे हैं.
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पीएम ने कहा कि कोरोना संकट के इस समय में योग आज इसलिए भी ज्यादा अहम है, क्योंकि ये वायरस, हमारे श्वास तंत्र को सबसे अधिक प्रभावित करता है. योग में तो श्वास तंत्र को मजबूत करने वाले कई तरह के प्राणायाम हैं. ये टाइम टेस्टेड तकनीक है. कपालभाती और अनुलोम-विलोम, प्राणायाम से अधिकतर लोग परिचित होंगे, लेकिन भस्त्रिका, शीतली, भ्रामरी जैसे कई प्राणायाम के प्रकार हैं, जिसके, अनेक लाभ भी हैं आपके जीवन में योग को बढ़ाने के लिए.
प्रधानमंत्री ने बताया कि जीवन में योग को बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने भी इस बार एक अनोखा प्रयोग किया है. आयुष मंत्रालय ने ‘My Life, My Yoga’ नाम से अंतर्राष्ट्रीय वीडियो ब्लॉग उसकी प्रतियोगिता शुरू की है. भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लोग इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते हैं. इसमें हिस्सा लेने के लिए आपको अपना तीन मिनट का एक वीडियो बना करके अपलोड करना होगा. इस वीडियो में आप, जो योग, या आसन करते हों, वो करते हुए दिखाना है और योग से आपके जीवन में जो बदलाव आया है, उसके बारे में भी बताना है. पीएम ने अपील की कि सभी इस प्रतियोगिता में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस में हिस्सेदार बनिए.
लॉकडाउन में रियायत को लेकर पीएम मोदी ने कहा, हम सभी को ध्यान रखना होगा कि इतनी कठिनाइयों के बाद देश ने जिस तरह हालात को संभाला है उसे बिगड़ने नहीं देना है. हमें लड़ाई को कमजोर नहीं होने देना है, हम लापरवाह हो जाएं, सावधानी छोड़ दें ये कोई विकल्प नहीं है. कोरोना के खिलाफ लड़ाई अभी भी उतनी ही गंभीर है. संबोधन की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछली बार जब मैंने पिछली बार आपसे मन की बात की थी, तब यात्री ट्रेनें बंद थीं, बसें बंद थीं, हवाई सेवा बंद थी. इस बार, बहुत कुछ खुल चुका है. श्रमिक स्पेशल ट्रेन चल रही हैं, अन्य स्पेशल ट्रेनें भी शुरू हो गई हैं. तमाम सावधानियों के साथ, हवाई जहाज उड़ने लगे हैं, धीरे-धीरे उद्योग भी चलना शुरू हुआ है, यानी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अब चल पड़ा है, खुल गया है. ऐसे में, हमें और ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है.
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प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे डॉक्टर्स,नर्सिंग स्टाफ, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी, मीडिया के साथी, ये सब जो सेवा कर रहे हैं, उसकी चर्चा मैंने कई बार की है. सेवा में अपना सब कुछ समर्पित कर देने वाले लोगों की संख्या अनगिनत है. दूसरों की सेवा में लगे व्यक्ति के जीवन में, कोई डिप्रेशन या तनाव कभी नहीं दिखता. उसके जीवन में, जीवन को लेकर उसके नजरिए में, भरपूर आत्मविश्वास, सकारात्मकता और जीवंतता प्रतिपल नजर आती है.
इनोवेशन पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एक बात जो मेरे मन को छू गई है, वो है- संकट की इस घड़ी में इनोवेशन गांवों से लेकर शहरों तक, छोटे व्यापारियों से स्टार्टअप तक, हमारी लैब्स कोरोना लड़ाई में, नए-नए तरीके इजाद कर रहे हैं, नए अविष्कार कर रहे हैं. पीएम ने कहा कि मैं सोशल मीडिया में कई तस्वीरें देख रहा था. कई दुकानदारों ने, दो गज की दूरी के लिए, दुकान में, बड़े पाइपलाइन लगा लिए हैं, जिसमें एक छोर से वो ऊपर से सामान डालते हैं, और दूसरी छोर से ग्राहक अपना सामान ले लेते हैं. किसी भी परिस्थिति को बदलने के लिए इच्छाशक्ति के साथ ही बहुत कुछ इनोवेशन पर भी निर्भर करता है. हजारों साल की मानव जाति की यात्रा लगातार इनोवेशन से ही इतने आधुनिक दौर में पहुंची है. पढ़ाई के क्षेत्र में भी कई अलग-अलग इनोवेशन शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर किए हैं. ऑनलाइन क्लासेज और वीडियो क्लासेज, उसको भी अलग-अलग तरीकों से इनोवेट किया जा रहा है.
श्रमिकों पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना एक ऐसी आपदा जिसका पूरी दुनिया के पास कोई इलाज नहीं है, पहले का अनुभव नहीं है, ऐसे में, नयी चुनौतियां, परेशानियां हम अनुभव कर रहें हैं. ये दुनिया के हर देश में हो रहा है, इसलिए भारत भी इससे अछूता नहीं है. हमारे देश में भी कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो कठिनाई में न हो, परेशानी में न हो और इस संकट की सबसे बड़ी चोट अगर किसी पर पड़ी है तो वो हमारे गरीब, मजदूर, श्रमिक वर्ग पर पड़ी है. उनकी तकलीफ, उनका दर्द, उनकी पीड़ा शब्दों में नहीं कही जा सकती. हमारे रेलवे के साथी दिन-रात लगे हुए हैं. केंद्र, राज्य, स्थानीय स्वराज की संस्थाएं दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. लाखों श्रमिकों को, ट्रेनों, बसों से सुरक्षित ले जाना, उनके खाने-पाने की चिंता करना, हर जिले में क्वारंटीन केन्द्रों की व्यवस्था, सभी की टेस्टिंग, चेक-अप, उपचार की व्यवस्था, ये सब काम लगातार चल रहे हैं और बड़ी मात्रा में चल रहे हैं.
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‘मन की बात’ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने बंगाल में सुपर साइक्लोन अम्फान, खेतों में टिड्डियों के हमले, लाखों मजदूरों को घर पहुंचाने, आत्मनिर्भर भारत, नई चुनौतियों समेत कई मुद्दों पर भी देश को संबोधित किया. पीएम मोदी ने कहा कि एक ओर जहां हम कोरोना महामारी से लड़ रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ हमें हाल में पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में प्राकृतिक आपदा का भी सामना करना पड़ा. पिछले कुछ हफ्तों के दौरान हमने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में सुपर साइक्लोन अम्फान का कहर देखा. तूफान से अनेकों घर तबाह हो गए. किसानों को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ा. हालात का जायजा लेने के लिए मैं ओडिशा और पश्चिम बंगाल गया था. पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लोगों ने जिस हिम्मत और बहादुरी से हालात का सामना किया है वो प्रशंसनीय है.
वहीं भारत सरकार, राज्य सरकार, कृषि विभाग, प्रशासन टिड्डी संकट के नुकसान से बचने के लिए, किसानों की मदद के लिए,आधुनिक संसाधनों का उपयोग कर रहा है. नए-नए आविष्कार की तरफ भी ध्यान दे रहा है और मुझे विश्वास है कि हम सब मिलकर के हमारे कृषि क्षेत्र को बचा लेंगे.
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संबोधन में प्रधानमंत्री ने आयुष्मान भारत का भी जिक्र किया. पीएम मोदी ने बताया कि हमारे देश में, करोडों-करोड़ गरीब, दशकों से, एक बहुत बड़ी चिंता में रहते आए हैं – अगर, बीमार पड़ गए तो क्या होगा? इस तकलीफ को समझते हुए, इस चिंता को दूर करने के लिए ही, करीब डेढ़ साल पहले आयुष्मान भारत योजना शुरू की गई थी. कुछ ही दिन पहले, आयुष्मान भारत के लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ के पार हो गई है. आयुष्मान भारत योजना के 1 करोड़ लाभार्थियों में से करीब 80 प्रतिशत लाभार्थी ग्रामीण इलाके के हैं. इसमें से भी करीब 50 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं-बेटियां हैं. इन लाभार्थियों में ज्यादातर ऐसी बीमारी से पीड़ित थे जिनका इलाज सामान्य दवाओं से संभव नहीं था.
आयुष्मान भारत योजना के साथ एक बड़ी विशेषता पोर्टेबिलिटी की सुविधा भी है पोर्टेबिलिटी ने देश को, एकता के रंग में रंगने में भी मदद की है,यानी बिहार का कोई गरीब अगर चाहे तो, उसे, कर्नाटक में भी वही सुविधा मिलेगी, जो उसे, अपने राज्य में मिलती. अगर, गरीबों को अस्पताल में भर्ती होने के बाद इलाज के लिए पैसे देने पड़ते, इनका मुफ्त इलाज नहीं हुआ होता, तो, उन्हें एक मोटा-मोटा अंदाज़ है, करीब-करीब 14 हज़ार करोड़ रूपए से भी ज्यादा, अपनी जेब से, खर्च करने पड़ते. आयुष्मान भारत योजना के तहत जिन गरीबों का मुफ्त इलाज हुआ है, उनके जीवन में जो सुख आया है, उस पुण्य के असली हकदार हमारा ईमानदार टैक्स चुकानेवाला भी है.