पीएम मोदी ने छात्रों को दिया ‘नो टेक्नोलॉजी चैलेंज’, टेक्नोलॉजी को दोस्त समझो, उसके गुलाम मत बनो

परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्राओं को समझाया समय का महत्व, कुछ समय निकाल कर अपने माता-पिता के साथ बैठने की भी दी सलाह

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षाओं की तैयारी करने वाले सभी विद्यार्थियों को ‘नो टेक्नोलॉजी चैलेंज’ देकर सीख दी कि टेक्नोलॉजी को केवल दोस्त समझिए, उसका गुलाम मत बनिए. उनका ये कथन दरअसल स्मार्टफोन की ओर था जिसका रोल छात्र जीवन में लगातार बढ़ता जा रहा है. दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में ‘परीक्षा पे चर्चा 2020‘ कार्यक्रम में एक छात्र के प्रश्न का उत्तर देते हुए पीएम मोदी ने ये जवाब दिया. कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी से एक छात्र ने पूछा कि मॉर्डन टेक्नोलॉजी का छात्र के जीवन में क्या रोल होना चाहिए? इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि नई पीढ़ी में जीवन टेक्नोलॉजी ड्रिवन हो गया है लेकिन इसका भय नहीं आने देना चाहिए.

पीएम मोदी ने इस बात पर भी जोर किया कि स्मार्टफोन आपके समय की बर्बादी करता है. ऐसे में टेक्नोलॉजी को अपने काबू में रखना अनिवार्य है. टेक्नोलॉजी को अपना दोस्त मानें तो उसके आदी न हों. स्मार्ट फोन आपका समय चोरी करता है लेकिन उसमें से कुछ समय निकाल कर अपने माता-पिता के साथ बैठिए. अपनी मातृभाषा की डिक्शनरी को फोन में रखें और रोजाना कुछ वर्ड सीखें.

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उन्होंने छात्रों को ‘नो टेक्नोलॉजी चैलेंज’ देते हुए कहा कि हमें तय करना होगा कि रोजाना कुछ समय के लिए टेक्नोलॉजी फ्री रहूंगा. घर में एक कमरा ऐसा होना चाहिए जिसमें टेक्नोलॉजी को नो एंट्री हो. उस कमरे में जो भी आएगा बिना टेक्नोलॉजी आएगा. पीएम मोदी ने बताया कि आज के वक्त में सोशल नेटवर्किंग सिर्फ अपने फोन में आ गई है. पहले दोस्त को जन्मदिन विश करते थे लेकिन अब तो रात में ही मैसेज कर दिया जाता है. हमें तय करना होगा कि रोजाना कुछ समय के लिए टेक्नोलॉजी फ्री रहना है. कुछ समय अपनों के साथ बिताना जरूरी हैं. दिन में कम से कम 1 या दो घंटे ऐसा रखें, जिसमें आप खुद को टेक्नोलॉजी से दूर रखें. स्मार्टफोन से समय निकालकर अपने बड़े-बुजुर्ग, परिवार से मिले, उनसे बातचीत करें.

चंद्रयान लॉन्च से बताया मूड ऑफ नहीं करने का जवाब
कार्यक्रम में जब एक छात्र ने प्रश्न पूछा कि बोर्ड पेपर की वजह से मूड ऑफ हो जाता है तो हम किस तरह अपने आपको उत्साहित करें? जवाब देते हुए पीएम मोदी ने चंद्रयान लॉन्च का उदाहरण देते हुए कहा कि जब मैं चंद्रयान लॉन्च पर ISRO गया था तो लोगों ने मुझे कहा था कि वहां नहीं जाना चाहिए, क्योंकि पास होना पक्का नहीं है. मैंने कहा कि इसलिए मुझे जाना चाहिए. चंद्रयान के जब आखिरी मिनट थे, तो वैज्ञानिकों के चेहरे पर तनाव दिख रहा है. जब चंद्रयान फेल हुआ तो मैं चैन से बैठ नहीं पाया, सोने का मन नहीं कर रहा था. हमारी टीम कमरे में चली गई थी, लेकिन बाद में मैंने सभी को बुलाया. मैंने टीम को कहा कि हम वापस बाद में जाएंगे और सभी वैज्ञानिकों को सुबह बुलाया गया. अगली सुबह सभी वैज्ञानिकों को इकट्ठा किया, उनके सपनों की बातें की. उसके बाद पूरे देश का माहौल बदल गया, ये पूरे देश ने देखा है. अगर आप किसी चीज में असफल हुए हैं तो इसका मतलब है कि आप सफलता की ओर बढ़ चुके हैं.

राहुल-लक्ष्मण की पारी ने किया कमाल, आप भी करेंगे
पीएम नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के दौरान पुराना वाकिया याद करते हुए बताया कि 2001 में भारत-ऑस्ट्रेलिया का मैच हो रहा था और फॉलोऑन हो गया. विकेट भी जाने लगे तो माहौल बिगड़ गया था. उसके बाद राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने पिच पर कमाल किया और पूरे खेल को खींचा. पूरी परिस्थिति पलट दी और मैच भी जीत लिया. एक-एक बॉल के लिए जूझा गया. 2002 में टीम इंडिया वेस्टइंडीज खेलने गई थी तो अनिल कुंबले को चोट लगी. उन्होंने पट्टी बांधी और फिर खेले. तब उसके बाद कुंबले ने पूरा माहौल पलट दिया. कंपीटिशन करने वालों को एग्जाम वॉरियर्स बनने और लक्ष्य चुनने की सीख दी. वहीं माता पिता को बच्चों पर प्रेशर नहीं बनाने की सलाह भी पीएम मोदी ने दी.