Politalks.News/Punjab. पंजाब कांग्रेस में अमरिंदर और सिद्धू के बीच जारी ‘दंगल’ अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है. कांग्रेस के आलाकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस की कमान सौंप दी है, लेकिन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अभी भी तीखे तेवर दिखा रहे हैं. सूत्रों का दावा है कि अमरिंदर ने 21 जुलाई को एक लंच दिया है. जिसमें सिद्धू को नहीं बुलाया गया है. वहीं सिद्धू भी प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त होने के बाद अब तक ‘कैप्टन’ के दरबार में नहीं गए हैं.
इन सब घटनाक्रमों के बीच नवजोत सिंह सिद्धू के कैंप ने कैप्टन अमरिंदर की उस मांग को ठुकरा दिया है, जिसमें उन्होंने सिद्धू के ट्विट्स पर माफी मांगने को कहा था. नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी और कांग्रेस विधायक परगट सिंह का कहना है कि नवजोत सिंह सिद्धू नहीं, बल्कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को पंजाब के लोगों से माफी मांगनी चाहिए, जिन्होंने अपने वादों को पूरा नहीं किया है. परगट सिंह से पहले कैबिनेट मंत्री राजिंदर सिंह बाजवा ने भी कैप्टन से इस मसले को भूलने की बात कही थी और याद दिलाया था कि कैसे प्रताप बाजवा ने राज्य सरकार के खिलाफ खुले पत्र लिखे थे और अब कैप्टन उनके साथ खड़े हैं. कांग्रेस के एक और विधायक मदन लाल जलालपुर का कहना है कि ‘महाराजा’ को बड़ा दिल दिखाना चाहिए और सभी को मिलकर काम करना चाहिए.
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दिलचस्प हुआ पंजाब कांग्रेस का ‘पंगा’!
पंजाब में कांग्रेस पार्टी ने आगे की राजनीति को दिलचस्प बना दिया है. जो काम भाजपा, आम आदमी पार्टी और अकाली दल-बसपा गठबंधन से नहीं हो पाया था वह काम कांग्रेस ने कर दिया है. कांग्रेस ने क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना कर ऐसे राजनीतिक हालात पैदा कर दिए हैं, जिसमें दूसरी पार्टियों के लिए भी अवसर बन गए हैं. अब तक ऐसा लग रहा था कि चुनाव एकतरफा है और कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस जीतेगी. अब पंजाब विधानसभा का चुनाव सभी पार्टियों के लिए खुल गया है.
अभी भविष्य में भी जारी रहेगी अमरिंदर और सिद्धू की रार !
पंजाब राजनीति से जुड़े जानकारों की माने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच का टकराव यहीं पर खत्म नहीं होने वाला है. अब दोनों के बीच ज्यादा लड़ाई होगी और टिकट बंटवारे के समय घमासान छिड़ना तय माना जा रहा है. दोनों नेता एक-दूसरे के समर्थकों या करीबियों की टिकट कटवाने और अपने सिपहसालारों को टिकट दिलवाने का प्रयास करेंगे. ऐसे हालात बनने से पहले ही कैप्टन के पार्टी छोड़ने या पाला बदलने की चर्चाएं भी चल रही हैं.
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कौन होगा पंजाब का अगला मुख्यमंत्री ‘खिलाड़ी’ या ‘महाराजा’?
सवाल ये है कि ‘कैप्टन’ और ‘गुरु’ के इस झगड़े के बावजूद अगर कांग्रेस जीत जाती है तो पंजाब का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? क्या पंजाब में कांग्रेस चुनाव जीतती है तो मुख्यमंत्री बदला जा सकता है? हालांकि यह काम आसान नहीं होगा. क्योंकि सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर कैप्टन तभी स्वीकार करेंगे, जब आलाकमान की ओर से उनको यह भरोसा दिया जाएगा कि जीतने के बाद कैप्टन ही मुख्यमंत्री रहेंगे. कांग्रेस के जानकार नेताओं का कहना है कि अगर कांग्रेस चुनाव जीतती है तो दो स्थितियां बनेंगी, एक स्थिति कर्नाटक वाली है, जहां दो साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद भाजपा वीएस येदियुरप्पा को बदल रही है. दूसरी स्थिति यह है कि अपने ज्यादा समर्थकों को जीता कर ‘कैप्टन’ पाला बदल लें, अगर कांग्रेस आलाकमान ने सिद्धू को सीएम बनाने की जिद की तो कैप्टन अपने समर्थकों को लेकर किसी भी पार्टी के साथ जा सकते हैं, और कैप्टन की पहली पसंद भाजपा ही होगी. अगर उसे कुछ सीटें मिल जाती है तो उसके समर्थन से कैप्टन फिर से मुख्यमंत्री बन जाएंगे नहीं तो आम आदमी पार्टी का साथ लेंगे. पूरी कवायद का सार यह है कि कैप्टन किसी हाल में मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ने वाले हैं.