भागवत के बयान पर ओवैसी का पलटवार- ये नफरत हिंदुत्व की देन, तो दिग्विजय ने पूछा तंज भरा सवाल

भारत के लोगों का डीएनए एक जैसा है, हिंदू और मुसलमान दो समूह नहीं हैं बल्कि एक समूह है- भागवत, लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी, ये नफ़रत हिंदुत्व की देन है, इन मुजरिमों को हासिल है हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही- ओवैसी, जो ज्ञान आपने यहाँ दिया क्या वह अपने शिष्यों, प्रचारकों को भी देंगे?- दिग्विजय सिंह

भागवत के बयान पर ओवैसी का पलटवार
भागवत के बयान पर ओवैसी का पलटवार

Politalks.News/UttarPradesh. शायद भारत दुनिया का मात्र एक ऐसा देश है जहां राजनीति जनता के मुद्दों से कौसो दूर सिर्फ और सिर्फ धर्म, समाज और जाती के इर्द गिर्द घूमती हुई ही नजर आती है. आगामी उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव को मद्देनजर सूबे की तमाम राजनीतिक पार्टियां सियासी उधेड़बुन में लग गई हैं. सपा, बसपा और कांग्रेस का वोट बैंक माने जाने वाले मुस्लिम समुदाय को लेकर बीजेपी ने भी अपनी रणनीति बनाना शुरू कर दिया है. यूपी में इस बार बीजेपी की राह इतनी आसान नहीं है जिसके चलते राष्ट्रीय संव्य सेवक संघ अब बीजेपी के लिए नया आधार बना रहा है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा रविवार को दिए गए दो प्रमुख बयान इसी ओर इशारा कर रहे हैं. भागवत ने कहा कि, ‘अगर हिंदू कहता है कि यहां एक भी मुसलमान नहीं रहना चाहिए तो वो हिंदू, हिंदू नहीं है’ और दूसरा यह कि, ‘लिंचिंग में शामिल होने वाले लोग हिंदुत्व के विरुद्ध हैं.’ भागवत के इस बयान के बाद सियासी बयानबाजी तेज हो गई है, एक तरफ जहां ओवैसी ने पलटवार करते हुए कहा कि देश में जो ये नफरत है यह हिंदुत्व की देन है तो वहीं दिग्गज कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि जो ज्ञान आपने यहाँ दिया क्या वह अपने शिष्यों, प्रचारकों को भी देंगे?

दरअसल, बीते रोज रविवार को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में प्रमुख डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद द्वारा लिखित पुस्तक ‘द मीटिंग्स ऑफ माइंड्स: ए ब्रिजिंग इनिशिएटिव’ का विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि, ‘यह सिद्ध हो चुका है कि हम पिछले 40,000 वर्षों से एक ही पूर्वजों के वंशज हैं. भारत के लोगों का डीएनए एक जैसा है. हिंदू और मुसलमान दो समूह नहीं हैं, एकजुट होने के लिए कुछ भी नहीं है, वे पहले से ही एक साथ हैं. उन्होंने कहा, ‘संघ राजनीति से दूर रहता है. लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व के खिलाफ हैं. मैंने दिल्ली के भाषण मे भी कहा था अगर हिंदू कहता है कि यहां एक भी मुसलमान नहीं रहना चाहिए तो वो हिंदू हिंदू नहीं रहेगा और यह मैंने पहली बार नहीं कहा है, यह चलते आया है… आज मुझे संघ के शीर्ष पर रखा गया है तो मै बोलता हूं पर यह शुरू से कहा गया है तब संघ छोटा था तो उसकी बात सुनी नहीं गई. हम सबके पूर्वज एक समान हैं. स्वार्थ अलग अलग होंगे पर समाज एक है.’

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वहीं मोब लिंचिंग से जुड़े मुद्दे पर मोहन भागवत ने कहा कि, ‘भीड़ द्वारा पीट-पीटकर की जाने वाली हत्या (लिंचिंग) में शामिल होने वाले लोग हिंदुत्व के विरुद्ध हैं. देश में एकता के बिना विकास संभव नहीं. एकता का आधार राष्ट्रवाद और पूर्वजों की महिमा होनी चाहिए. हम लोकतांत्रिक देश में रहते हैं. यहां हिंदू या मुसलमानों का प्रभुत्व नहीं हो सकता. केवल भारतीयों का प्रभुत्व हो सकता है.’ भागवत ने कहा कि कुछ काम ऐसे हैं जो राजनीति नहीं कर सकती है. राजनीति लोगों को एकजुट नहीं कर सकती. राजनीति लोगों को एकजुट करने का यंत्र नहीं हो सकती लेकिन यह एकता को खत्म करने का हथियार जरूर बन सकती है.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के लिंचिंग वाले बयान पर पलटवार करते हुए AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि देश में ये नफरत हिंदुत्व की देन है. ओवैसी ने कहा कि RSS के भागवत ने कहा “लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी”. इन अपराधियों को गाय और भैंस में फ़र्क़ नहीं पता होगा लेकिन क़त्ल करने के लिए जुनैद, अखलाक़, पहलू, रकबर, अलीमुद्दीन के नाम ही काफी थे.ये नफ़रत हिंदुत्व की देन है, इन मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है.

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ओवैसी ने आगे कहा कि केंद्रीय मंत्री के हाथों अलीमुद्दीन के कातिलों की गुलपोशी हो जाती है, अखलाक़ के हत्यारे की लाश पर तिरंगा लगाया जाता है, आसिफ़ को मारने वालों के समर्थन में महापंचायत बुलाई जाती है, जहाँ भाजपा का प्रवक्ता पूछता है कि ‘क्या हम मर्डर भी नहीं कर सकते?’ कायरता, हिंसा और क़त्ल करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोंच का अटूट हिस्सा है. मुसलमानो की लिंचिंग भी इसी सोच का नतीजा है.

वहीं आरएसएस प्रमुख के बयान पर तंज कसते हुए मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले- हिंदू और मुस्लिम अलग नहीं, सभी भारतीयों का डीएनए एक है. मोहन भागवत जी यह विचार क्या आप अपने शिष्यों, प्रचारकों, विश्व हिंदू परिषद/ बजरंग दल कार्यकर्ताओं को भी देंगे? क्या यह शिक्षा आप मोदीशाह जी व भाजपा मुख्यमंत्री को भी देंगे? दिग्विजय ने आगे कहा कि यदि यह विचार मोहन भागवत जी आप अपने शिष्यों को पालन करने के लिए बाध्य कर देंगे तो मैं आपका प्रशंसक हो जाऊँगा.

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वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने आगे कहा कि लेकिन यह आसान नहीं है. आप लोगों ने हिंदू मुसलमान के बीच में इतनी नफ़रत भर दी है उसे दूर करना आसान नहीं है. सरस्वती शिशु मंदिर से ले कर संघ द्वारा बौद्धिक प्रशिक्षणों में मुसलमानों के खिलाफ जो नफ़रत का बीज बोया गया है वह निकालना आसान नहीं है. यदि आप अपने व्यक्त किए गए विचारों के प्रति ईमानदार हैं तो भाजपा में वे सब नेता जिन्होंने निर्दोष मुसलमानों को प्रताड़ित किया है उन्हें उनके पदों से तत्काल हटाने का निर्देश दें. शुरूआत नरेंद्र मोदी व योगी आदित्यनाथ से करें.

दिग्विजय सिंह ने आगे ट्वीट करते हुए कहा कि मुझे मालूम है आप नहीं करेंगे क्योंकि आपके कथनी और करनी में अंतर है. आपने सही कहा है #हम_पहले_भारतीय_हैं लेकिन हुज़ूर अपने शिष्यों को तो पहले समझाएँ. वे मुझे कई बार पाकिस्तान जाने की सलाह दे चुके हैं!! खैर देखते हैं.

संघ प्रमुख के बयान के बाद उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सियासी बयानबाजी बदस्तूर जारी है. आरएसएस और बीजेपी की छवि लगातार मुस्लिम विरोधी मानी जाती रही है. यूपी में कुल मुस्लिम आबादी 19 फीसदी है. सूबे के 24 जिलें ऐसे हैं जो मुस्लिम बाहुल्य माने जाते हैं. ऐसे में बीजेपी विधानसभा चुनाव से पहले सभी सियासी समीकरण साधने में जुटी है और मोहन भागवत का ये बयान कहीं न कहीं इसी का हिस्सा माना जा रहा है. अब ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि ऊँट किस करवट बैठेगा.

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