‘हमारी रियासत 300 साल पुरानी, जवाब वे दें जो नए-नए राजा बने हैं’ कांग्रेस पर सिंधिया का पलटवार

कांग्रेस के 'भूमाफिया' वाले बयान पर सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तोड़ी चुप्पी, अवैध कब्जे के आरोपों पर कमलनाथ समेत कई विपक्षी नेताओं को लिया आड़े हाथ

Jyotiraditya Scindia
Jyotiraditya Scindia

Politalks.News/MP By-Election. कांग्रेस द्वारा भू-माफिया के आरोपों पर पहली बार चुप्पी तोड़ते हुए ज्योतिरादित्य ने कांग्रेस नेताओं पर पलटवार किया है. बीजेपी के राज्यसभा सांसद सिंधिया ने प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ सहित कई नेताओं पर एक साथ निशाना साधा और कई नेताओं को आड़े हाथ लिया. सिंधिया ने कहा कि हमारी रियासत तो 300 साल पुरानी है. जवाब वे दें जो नए-नए राजा बने हैं. तंज सीधे सीधे कमलनाथ पर कसा गया है. दरअसल पार्टी छोड़ने के बाद से ही सिंधिया कांग्रेस के निशाने पर हैं. कांग्रेस का आरोप हैं कि माहोरकर के बाड़ा पर सिंधिया परिवार के द्वारा अवैध कब्जा किया गया है.

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बीजेपी की एक सभा को संबोधित करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ और विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि मेरी संपत्ति 300 साल पुरानी है. सवाल मैं उन लोगों से करना चाहता हूं जो नए-नए महाराज बने हुए हैं. सिंधिया ने कहा, ‘मैं एक परिवार विशेष में पैदा हुआ हूं तो क्या यह मेरी गलती है. यदि मेरी गलती है तो मैं इसको स्वीकार करता हूं. जवाब वे दें, जो नए-नए राजा बने हैं.’

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दरअसल, तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा सिंधिया एजुकेशन सोसाइटी को 146 एकड़ भूमि 99 साल के लिए 100 रुपए टोकन मनी पर लीज पर दी गई थी. इस संपत्ति की कीमत लगभग 360 करोड़ रुपए बताई जाती है. सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद कांग्रेस उन्हें भू माफिया साबित करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है. कांग्रेस के आरोप हैं कि माहोरकर के बाड़ा पर सिंधिया परिवार के द्वारा अवैध कब्जा किया गया है. इसके अधिकांश हिस्से को बेच दिया गया है और जो हिस्सा बचा है, उस पर अवैध निर्माण कर किराया वसूली की जा रही है.

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इस मामले में कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने भी सिंधिया को अपने निशाने पर लिया है. कांग्रेस नेता ने कहा कि सिंधिया जब भी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलते थे, तो उनके पास ग्वालियर या इस अंचल से जुड़े कोई विकास कार्य का मुद्दा नहीं होता था. सिंधिया केवल जमीन के सिलसिले में कमलनाथ से मिलते थे. सिंधिया के पास केवल ट्रस्ट के नाम जमीन नामांतरण और अपने पसंदीदा अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग का मसला ही होता था. जब तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सिंधिया के जमीन नामांतरण के कार्यों को करना बंद कर दिया, तो सिंधिया अपने 22 विधायकों के साथ पार्टी से अलग हो गए.

यह कहना है भाजपा का

‘कांग्रेस को यह समीक्षा करनी चाहिए कि आखिर किस नियम के तहत उन्होंने यह जमीन सिंधिया ट्रस्ट को दी है. यदि गलत नियमों के चलते यह जमीन दी गई होगी तो निश्चित तौर पर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गठित मंत्री समूह की समिति इस पूरे मामले की जांच भी करेगी. यह कहना भी गलत है कि जब तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सिंधिया का काम करना बंद कर दिया तब उन्होंने सरकार को छोड़ा.’

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